कर्नाटक हाई कोर्ट ने रूसी महिला के बच्चों के डिपोर्टेशन पर लगाई रोक, सुनवाई के दौरान इस अंतर्राष्ट्रीय नियमों का दिया गया हवाला
वीजा अवधि समाप्त होने पर भी भारत में रह रही रूसी महिला के डिपोर्टेशन पर कर्नाटक हाई कोर्ट ने रोक लगाया है.
वीजा अवधि समाप्त होने पर भी भारत में रह रही रूसी महिला के डिपोर्टेशन पर कर्नाटक हाई कोर्ट ने रोक लगाया है.
धर्मांतरण निषेध कानून में बंद शख्स को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी. बेल मिलने के बावजूद, तकनीकी कारणों से 28 दिन तक जेल में रखे जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने जेल अधिकारियों के रवैये से नाराजगी जाहिर की.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि भारतीय संविधान धर्म के स्वतंत्र रूप से प्रचार, प्रसार और पालन के अधिकार की गारंटी देता है, लेकिन जबरदस्ती या धोखाधड़ी से धर्मांतरण को मंजूरी नहीं देता है.
कानून मंत्रालय ने समय पर और पर्याप्त जवाब देने के लिए निर्देश जारी किए हैं ताकि ऐसी कार्यवाहियों को रोका जा सके. इसमें अदालती आदेशों का समय पर पालन सुनिश्चित करने के लिए तंत्र को मजबूत करना शामिल है.
तलाक के बाद इदत अवधि तीन मासिक धर्म चक्र (Three menstrual cycles) (या उन महिलाओं के लिए तीन चांद्र मास जो मासिक धर्म नहीं करती हैं) होती है. वहीं, मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार, मुस्लिम महिलाओं को इद्दत पीरियड तक गुजारा भत्ता पाने का अधिकार है.
राज्यसभा में सरकार ने बताया कि 2018 से नियुक्त 715 हाई कोर्ट जजों में से 22 एससी, 16 एसटी, 89 ओबीसी और 37 अल्पसंख्यक केटेगरी से हैं.
मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में दो व्यक्तियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत कार्रवाई की गई है. आइये जानते हैं कि रासुका क्या होती है और इसमें कितने कठोर प्रावधान होते हैं.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने छात्रों से अपेक्षा की है कि वे पेशेवर डिग्री पाठ्यक्रमों का अध्ययन पूरी गंभीरता और उचित परिश्रम के साथ करें.
गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में एक व्याख्यान के दौरान न्यायमूर्ति अभय एस. ओका ने रचनात्मक और जिम्मेदार आलोचना की वकालत करते हुए अदालती फैसलों की आलोचना करने के अधिकार पर जोर दिया.
मुस्लिम महिला, जो अपने धर्म में विश्वास नहीं रखती है, ने सुप्रीम कोर्ट से अपने पिता की संपत्ति का बंटवारा शरीयत कानून की जगह हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम से करने के निर्देश देने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए 4 हफ्ते में जबाव देने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार, भारत के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने संयुक्त विधि प्रवेश परीक्षा (CLAT), 2025 के परिणामों से संबंधित ‘कंसोर्टियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज’ (CLNU) की दो अलग-अलग याचिकाओं को सूचीबद्ध किया है.
सुप्रीम कोर्ट के लॉ क्लर्क-कम-रिसर्च एसोसिएट्स के लिए आवेदन की प्रक्रिया 14 जनवरी से शुरू हो रही है, जो कि 7 फरवरी, 2025 तक चलेगी. इस परीक्षा में आवेदन फी 500 रूपये है.
भारत सरकार देश के हर नागरिकों को टेली लॉ के माध्यम से फ्री में कानूनी सहायता उपलब्ध करवा रही है. इस कानूनी सहायता का लाभ लगभग एक करोड़ लोगो ने उठाया है, आइये आपको बताते हैं कि आप इस योजना का लाभ कैसे उठा सकते हैं..
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस बीआर गवई ने अखिल भारतीय क्षेत्रीय रील मेकिंग एवं लघु फिल्म प्रतियोगिता की घोषणा की है. सावित्रीबाई फुले की जयंती के अवसर पर शुरू की गई इस प्रतियोगिता का शीर्षक NALSA ने "लक्ष्य से जुड़ना" रखा है.
CLAT में कम अंकों की वजह से अच्छे लॉ कॉलेजों में एडमिशन लेने के ऑप्शन ढूंढ़ रहे होंगे, तो हम आपको ऐसे पांच कॉलेज बताने जा रहे हैं, जो CLAT के अलावे बेहतरीन लॉ कॉलेज में आपके एडमिशन की राह खोल सकते हैं...
प्रश्न काल के दौरान आप एमपी राघव चड्ढा ने मांग रखते हुए कहा कि जजों को रिटायरमेंट के बाद उन्हें दो साल का कूलिंग ऑफ पीरियड देना चाहिए यानि कि उनकी नियुक्ति विधायिका या किसी पॉलिटिकल रोल में उनकी नियुक्ति नहीं की जानी चाहिए.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 34 में मार्शल लॉ का जिक्र आता है, जिसका उद्देश्य सैन्य कार्यों में किसी प्रकार के अवरोध को रोकना है. हमारे देश में राष्ट्रपति और राज्यपाल मार्शल लॉ के आदेश दे सकते हैं.
इस सत्र के दौरान कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल मंत्री से यह भी पूछा गया कि क्या सरकार को सितंबर 2022 से मई 2023 तक मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ भ्रष्टाचार की कोई शिकायत मिली है.
कुछ महीने पहले ही एयर इंडिया की न्यूयॉर्क से दिल्ली आ रही एक फ्लाइट में कुछ ऐसा हुआ जिसके कारण सफर कर रहे दूसरे यात्रियों को परेशान होना पड़ा.
अपराध कोई भी हो वह समाज पर गलत प्रभाव ही डालता है. परन्तु कुछ अपराधों की केवल कल्पना, हमें भयभीत कर देती है. वैसा ही एक अपराध है Acid Attack. आइए जानते हैं क्या है IPC के तहत एसिड हमलों के खिलाफ दंड के प्रावधान.
जहां कानून दिन पर दिन सख्ती बरत रहा है, तो वहीं हर दिन नए-नए अपराधी सामने आ रहे हैं. अपराध और अपराधी की प्रवृत्ति को ही देखते हुए कानून ने अपराधियों को कई प्रकार की श्रेणी में विभाजित किया है.
लेकिन कई बार ऐसे मामले भी देखने को मिलते हैं, जहां कुछ उपद्रवी दूसरे धर्म के पूजा स्थलों को चोट पहुंचाते हैं या अपवित्र करते हैं या तो करने की कोशिश करते हैं।
देश का कोई भी नागरिक खुद के केस में खुद पैरवी करने के लिए अदालत के सामने निवेदन कर सकता है और कोर्ट की अनुमति मिलने के बाद ही अपनी पैरवी की जा सकती है।
इसके तहत कोई व्यक्ति होश में रहते यह लिख सकता है कि गंभीर बीमारी की स्थिति में उसे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर जबरन जिंदा न रखा जाए।
लेकिन अदालत के जरिए इसकी मंजूरी ली जा सकती है। एक ऐसा ही वाक्या सामने आया है महाराष्ट्र से। जहां मेडिकल बोर्ड की लाख दलीलों के बावजूद अदालत ने महिला को गर्भपात की इजाजत दे दी।
एकांत कारावास जैसा की इसके शब्दों से ही सामने आता है कि अपराधी को जेल में अकेले रहने की सजा। IPC की धारा 73 और 74 में एकांत कारावास के बारे में बताया गया है और उससे सम्बंधित बातों को रेखांकित किया गया है।
अब आप सोच रहे होंगे कि इन गलतियों की सजा क्या है। आइए इस वीडियो में बताते हैं क्या है Medical Negligence पर कानून की राय और सजा का प्रावधान।
इन सब झगड़ों की सुलह या मामलों पर सुनवाई फैमिली कोर्ट में होती है। अब आप सोच रहे हैं कि क्या है फैमिली कोर्ट और कैसे होती है इसमें मामलों पर सुनवाई। तो आइए आपको बताते हैं।
वीजा अवधि समाप्त होने पर भी भारत में रह रही रूसी महिला के डिपोर्टेशन पर कर्नाटक हाई कोर्ट ने रोक लगाया है.
धर्मांतरण निषेध कानून में बंद शख्स को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी. बेल मिलने के बावजूद, तकनीकी कारणों से 28 दिन तक जेल में रखे जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने जेल अधिकारियों के रवैये से नाराजगी जाहिर की.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि भारतीय संविधान धर्म के स्वतंत्र रूप से प्रचार, प्रसार और पालन के अधिकार की गारंटी देता है, लेकिन जबरदस्ती या धोखाधड़ी से धर्मांतरण को मंजूरी नहीं देता है.
कानून मंत्रालय ने समय पर और पर्याप्त जवाब देने के लिए निर्देश जारी किए हैं ताकि ऐसी कार्यवाहियों को रोका जा सके. इसमें अदालती आदेशों का समय पर पालन सुनिश्चित करने के लिए तंत्र को मजबूत करना शामिल है.
राज्यसभा में सरकार ने बताया कि 2018 से नियुक्त 715 हाई कोर्ट जजों में से 22 एससी, 16 एसटी, 89 ओबीसी और 37 अल्पसंख्यक केटेगरी से हैं.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने छात्रों से अपेक्षा की है कि वे पेशेवर डिग्री पाठ्यक्रमों का अध्ययन पूरी गंभीरता और उचित परिश्रम के साथ करें.
गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में एक व्याख्यान के दौरान न्यायमूर्ति अभय एस. ओका ने रचनात्मक और जिम्मेदार आलोचना की वकालत करते हुए अदालती फैसलों की आलोचना करने के अधिकार पर जोर दिया.
मुस्लिम महिला, जो अपने धर्म में विश्वास नहीं रखती है, ने सुप्रीम कोर्ट से अपने पिता की संपत्ति का बंटवारा शरीयत कानून की जगह हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम से करने के निर्देश देने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए 4 हफ्ते में जबाव देने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार, भारत के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने संयुक्त विधि प्रवेश परीक्षा (CLAT), 2025 के परिणामों से संबंधित ‘कंसोर्टियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज’ (CLNU) की दो अलग-अलग याचिकाओं को सूचीबद्ध किया है.
सुप्रीम कोर्ट के लॉ क्लर्क-कम-रिसर्च एसोसिएट्स के लिए आवेदन की प्रक्रिया 14 जनवरी से शुरू हो रही है, जो कि 7 फरवरी, 2025 तक चलेगी. इस परीक्षा में आवेदन फी 500 रूपये है.
प्रश्न काल के दौरान आप एमपी राघव चड्ढा ने मांग रखते हुए कहा कि जजों को रिटायरमेंट के बाद उन्हें दो साल का कूलिंग ऑफ पीरियड देना चाहिए यानि कि उनकी नियुक्ति विधायिका या किसी पॉलिटिकल रोल में उनकी नियुक्ति नहीं की जानी चाहिए.
इस सत्र के दौरान कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल मंत्री से यह भी पूछा गया कि क्या सरकार को सितंबर 2022 से मई 2023 तक मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ भ्रष्टाचार की कोई शिकायत मिली है.
यूपी डीजीपी द्वारा जारी सर्कुलर के अनुसार, अब पुलिस गैंगस्टर या पीएमएलए मामले के बिना भी संपत्ति जब्त कर सकती है और दो महीने के भीतर डीएम इन संपत्तियों को नीलाम कर पीड़ितों में बांटेंगे.
नालसा में इंटर्नशिप करने के दौरान छात्र, कानूनी दुनिया की व्यवहारिक जानकारी व धरातल पर लोगों के हालातों से चिर-परिचित होंगे. इस दौरान छात्रों को बार काउंसिल में विजिट करने का भी मौका मिलेगा.
उड़ीसा उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एस मुरलीधर ने कहा कि डॉ. आंबेडकर की संवैधानिक नैतिकता केवल कानून के पालन तक सीमित नहीं है, बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी में उसका पालन करना जरूरी है.
फैसले में पटना हाईकोर्ट ने शराबबंदी मामलों में कार्रवाई को लेकर साफ कहा कि जहां शराब माफियाओं के खिलाफ केसेस बहुत कम हैं, वहीं गरीब लोगों के खिलाफ मामलों की भरमार है.
विधायी कानून, वैसे कानून को कहा जाता है जो विधानसभा या संसद के पारित किए जाते हैं. मदरसा एक्ट, 2004 यूपी विधानसभा से पारित किया गया था, जो मदरसा शिक्षा को रेगुलेट करने के लिए बनाया गया था.
विवाह पंजीकरण के बाद सरकार द्वारा एक विवाह प्रमाण पत्र जारी किया जाता है, जिसके माध्यम से महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की जा सकती है.