Habitual Offender: अपराधियों से निपटने में पुलिस अपना खून पसीना बहा रही है. सरकार द्वारा भी जेलों और अन्य सुधारात्मक संस्थानों पर ना जाने कितने पैसे खर्च किए जाते है, लेकिन अपराधी जेल जाते हैं, रिहा होते हैं और फिर से अपराध को अंजाम देते हैं. जहां कानून दिन पर दिन सख्ती बरत रहा है, तो वहीं हर दिन नए-नए अपराधी सामने आ रहे हैं. अपराध और अपराधी की प्रवृत्ति को ही देखते हुए कानून ने अपराधियों को कई प्रकार की श्रेणी में विभाजित किया है.