मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार इद्दत पीरियड, तलाक या पति की मृत्यु के बाद एक प्रतीक्षा अवधि (Waiting period) है.
Image Credit: my-lord.inतलाक के बाद इदत अवधि तीन मासिक धर्म चक्र (Three menstrual cycles) (या उन महिलाओं के लिए तीन चांद्र मास जो मासिक धर्म नहीं करती हैं) होती है.
Image Credit: my-lord.inपति की मृत्यु के बाद इदत अवधि चार महीने और दस दिन होती है. वहीं, मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार, मुस्लिम महिलाओं को इद्दत पीरियड तक गुजारा भत्ता पाने का अधिकार है.
Image Credit: my-lord.inबताते चलें कि तलाक के मामलों में सीआरपीसी की धारा 125 के तहत इद्दत पीरियड के बाद भी मुस्लिम महिलाओं को गुजारा-भत्ता पाने का अधिकार है.
Image Credit: my-lord.inहाल में ही पटना हाई कोर्ट ने भी मुस्लिम पति को गुजारा भत्ता बढ़ाने का आदेश दिया है. हाई कोर्ट ने कहा कि अगर पति ने तलाकशुदा पत्नी के गुजारे कि लिए उचित व्यवस्था नहीं की है, तो उसे बढ़ाकर गुजारा-भत्ता पाने का अधिकार है.
Image Credit: my-lord.inसाथ ही मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 3 के अनुसार, तलाकशुदा महिला को उसकी शादी के समय तय किया गया मेहर या दहेज की पूरी रकम दी जाएगी. यह राशि तलाक के समय या उसके बाद किसी भी समय दी जा सकती है.
Image Credit: my-lord.inसाथ ही शादी से पहले, शादी के समय या शादी के बाद रिश्तेदारों, दोस्तों या पति के रिश्तेदारों द्वारा दी गई सभी गिफ्ट या रकम तलाकशुदा महिला को वापस मिलेंगी.
Image Credit: my-lord.inयदि तलाकशुदा महिला अपने बच्चों का भरण-पोषण करती है, तो पूर्व पति को उन बच्चों के जन्म के दिन से दो वर्षों तक उचित भरण-पोषण प्रदान करना होगा. वहीं, यदि पूर्व पति भरण-पोषण, मेहर या संपत्ति नहीं देता है, तो महिला मजिस्ट्रेट से इसे लागू कराने का आदेश प्राप्त कर सकती है.
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