जज के खिलाफ FIR क्यों दर्ज नहीं कर सकती Police

Satyam Kumar

Image Credit: my-lord.in | 04 Apr, 2025

जस्टिस यशवंत वर्मा के मामले में यह मांग की गई कि उनके खिलाफ FIR दर्ज कराकर कैश मिलने के आरोपों की जांच कराई जाए.

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हालांकि, अभी जस्टिस यशवंत वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाई कोर्ट में किया गया है और उनके खिलाफ इन-हाउस इनक्वायरी शुरू की गई है.

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ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जजों के खिलाफ शिकायत मिलने पर पुलिस सीधे FIR कर सकती है. आइये जानते हैं कि इससे जुड़ा नियम क्या कहता है...

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सामान्यत: लोक सेवकों के खिलाफ बिना सरकार की अनुमति के खिलाफ FIR दर्ज नहीं की जा सकती है.

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जज और न्यायपालिका के मामले में यह अलग है. जज के खिलाफ मुकदमा करने से पहले सीजेआई की अनुमति चाहिए होती है.

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नियमों के अनुसार, उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को आरोपों की प्रारंभिक जाँच करनी होती है.

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इस प्रक्रिया को 'इन-हाउस प्रक्रिया' कहा जाता है, जिसकी देखरेख CJI स्वयं करते हैं.

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यदि CJI को आरोप सही लगता है, तो वे भारत के राष्ट्रपति को पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति देने की सिफारिश करते हैं.

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राष्ट्रपति CJI की सलाह मानने के लिए बाध्य नहीं हैं, और CJI की सलाह के बिना जज के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती.

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पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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