इन सिचुएशन में पति को आसानी से मिलेगा Divorce
अगर पत्नी पति को उसके माता-पिता से अलग रहने को दबाव बनाती है, जिससे रोजमर्रा की जिंदगी में कलह होता है, तब अदालत पति के तलाक की मांग को स्वीकार करते हुए विवाह नामक संस्था को तोड़ने की इजाजत दे सकता है.
अगर पत्नी पति को उसके माता-पिता से अलग रहने को दबाव बनाती है, जिससे रोजमर्रा की जिंदगी में कलह होता है, तब अदालत पति के तलाक की मांग को स्वीकार करते हुए विवाह नामक संस्था को तोड़ने की इजाजत दे सकता है.
सुनवाई के दौरान अदालत ने पत्नी के दहेज को लेकर मारपीट के दावे को खारिज करते हुए कहा कि पत्नी ने अपने दावे को सही साबित करने के लिए किसी प्रकार के सबूत नहीं दिए है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस विवाह को रद्द करने के लिए पति ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा बाल विवाह के मामले (23 वर्ष से कम) को तय समय-सीमा के भीतर दायर किया गया था, इसलिए इस मामले पर सुनवाई को इजाजत मिली.
वैवाहिक रिश्ते को समाप्त करने के लिए तलाक लेने की प्रक्रिया है. सहमति से तलाक पाने के लिए पति-पत्नी दोनों में से किसी एक को परिवारिक न्यायालय (Family Court) में वाद दायर करनी होती है.
Punjab And Haryana High Court ने Working Women पर शक के नजरिए देखनेवालों के प्रति बड़ी टिप्पणी की है. उच्च न्यायालय ने कहा, घर से बाहर कामकाजी महिलाएं Adulterous Life जीवन जी रही हैं, ऐसी धारणा निंदनीय है.
सुप्रीम कोर्ट ने स्त्रीधन के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने किसी महिला द्वारा ब्याह में लाई गई संपत्ति पर उसके पति का हक होने से इंकार किया है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने पति की तलाक की मांग को खारिज करते हुए उसके आरोपों को पत्नी के साथ मानसिक क्रूरता बताया. पति ने पत्नी पर विवाह से बाहर जाकर संबंध बनाने के आरोप लगाते हुए बच्चे का पितृत्व स्वीकार करने से इंकार किया था.
हाल ही में दहेज उत्पीड़न केस में मध्य प्रदेश फैमिली कोर्ट ने हिंदू महिलाओं को सिंदूर लगाने को उनका कर्तव्य बताया है. साथ ही महिला को अपने ससुराल जाने का आदेश दिया. आइये जानें पूरा वाक्या….
अपने पति के आर्थिक हालात पर लगातार ताने देने को तलाक का आधार मानते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने एक पत्नी की याचिका खारिज कर दिया. जानें क्या था पूरा मामला...
वर्तमान मामले में अपील 49 दिनों की देरी से दायर की गई थी. जबकि फैमिली कोर्ट एक्ट, 1984 के तहत 30 दिन के भीतर अपील करनी होती है.
अपनी पत्नी के साथ विवाद में खुद अपनी पैरवी कर रहे आरोपी ने दावा किया कि उसे अदालत से न्याय नहीं मिल रहा है.
तलाक से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि "जीवनसाथी रहे पति या पत्नी को एक साथ जीवन फिर से शुरू करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है. पति-पत्नी को शादी में हमेशा बांधे रखने की कोशिश करने से कुछ नहीं मिलता है"
कुटुम्ब न्यायालय की अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश प्रवीणा व्यास ने 25 अप्रैल को पारित आदेश में कहा,‘‘बालिका की उम्र 10 साल है और वह युवावस्था की ओर अग्रसर है.
इन सब झगड़ों की सुलह या मामलों पर सुनवाई फैमिली कोर्ट में होती है। अब आप सोच रहे हैं कि क्या है फैमिली कोर्ट और कैसे होती है इसमें मामलों पर सुनवाई। तो आइए आपको बताते हैं।
शादी करनी हो, तलाक लेनी हो या बच्चा गोद लेना इन सभी मामलों को फैमिली कोर्ट देखती है लेकिन क्या आपको पता है आजादी के कुछ साल तक फैमिली कोर्ट था ही नहीं, आईए जानते हैं फैमिली कोर्ट जुड़ी से दिलचस्प बातें.
शादी करनी हो, तलाक लेनी हो या बच्चा गोद लेना इन सभी मामलों को फैमिली कोर्ट देखती है लेकिन क्या आपको पता है आजादी के कुछ साल तक फैमिली कोर्ट था ही नहीं, आईए जानते हैं फैमिली कोर्ट जुड़ी से दिलचस्प बातें.
हमारे देश में शादी, तलाक़, बच्चे गोद लेना, बच्चे को संपत्ति में हिस्सा देना, विधवा को संपत्ति में हिस्सा देना जैसे कई मामलों का निपटारा Family Court में होता है. शादी register करना, तलाक़ देना, संपत्ति में हिस्सा देने की ज़िम्मेदारी भी Family Court की है.
एक पति की निगरानी याचिका पर सुनवाई करते हुए केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि अधिकांश पारिवारिक अदालतें दावेदारों के लिए जमा की गई भरण-पोषण कि बकाया राशि को जारी करने में देरी करती है.
इन सब झगड़ों की सुलह या मामलों पर सुनवाई फैमिली कोर्ट में होती है। अब आप सोच रहे हैं कि क्या है फैमिली कोर्ट और कैसे होती है इसमें मामलों पर सुनवाई। तो आइए आपको बताते हैं।
शादी करनी हो, तलाक लेनी हो या बच्चा गोद लेना इन सभी मामलों को फैमिली कोर्ट देखती है लेकिन क्या आपको पता है आजादी के कुछ साल तक फैमिली कोर्ट था ही नहीं, आईए जानते हैं फैमिली कोर्ट जुड़ी से दिलचस्प बातें.
सुनवाई के दौरान अदालत ने पत्नी के दहेज को लेकर मारपीट के दावे को खारिज करते हुए कहा कि पत्नी ने अपने दावे को सही साबित करने के लिए किसी प्रकार के सबूत नहीं दिए है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस विवाह को रद्द करने के लिए पति ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा बाल विवाह के मामले (23 वर्ष से कम) को तय समय-सीमा के भीतर दायर किया गया था, इसलिए इस मामले पर सुनवाई को इजाजत मिली.
Punjab And Haryana High Court ने Working Women पर शक के नजरिए देखनेवालों के प्रति बड़ी टिप्पणी की है. उच्च न्यायालय ने कहा, घर से बाहर कामकाजी महिलाएं Adulterous Life जीवन जी रही हैं, ऐसी धारणा निंदनीय है.
सुप्रीम कोर्ट ने स्त्रीधन के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने किसी महिला द्वारा ब्याह में लाई गई संपत्ति पर उसके पति का हक होने से इंकार किया है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने पति की तलाक की मांग को खारिज करते हुए उसके आरोपों को पत्नी के साथ मानसिक क्रूरता बताया. पति ने पत्नी पर विवाह से बाहर जाकर संबंध बनाने के आरोप लगाते हुए बच्चे का पितृत्व स्वीकार करने से इंकार किया था.
हाल ही में दहेज उत्पीड़न केस में मध्य प्रदेश फैमिली कोर्ट ने हिंदू महिलाओं को सिंदूर लगाने को उनका कर्तव्य बताया है. साथ ही महिला को अपने ससुराल जाने का आदेश दिया. आइये जानें पूरा वाक्या….
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वर्तमान मामले में अपील 49 दिनों की देरी से दायर की गई थी. जबकि फैमिली कोर्ट एक्ट, 1984 के तहत 30 दिन के भीतर अपील करनी होती है.
अपनी पत्नी के साथ विवाद में खुद अपनी पैरवी कर रहे आरोपी ने दावा किया कि उसे अदालत से न्याय नहीं मिल रहा है.
कुटुम्ब न्यायालय की अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश प्रवीणा व्यास ने 25 अप्रैल को पारित आदेश में कहा,‘‘बालिका की उम्र 10 साल है और वह युवावस्था की ओर अग्रसर है.
हमारे देश में शादी, तलाक़, बच्चे गोद लेना, बच्चे को संपत्ति में हिस्सा देना, विधवा को संपत्ति में हिस्सा देना जैसे कई मामलों का निपटारा Family Court में होता है. शादी register करना, तलाक़ देना, संपत्ति में हिस्सा देने की ज़िम्मेदारी भी Family Court की है.
एक पति की निगरानी याचिका पर सुनवाई करते हुए केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि अधिकांश पारिवारिक अदालतें दावेदारों के लिए जमा की गई भरण-पोषण कि बकाया राशि को जारी करने में देरी करती है.