शादी के साल भर में नहीं हो सकता Divorce! जानें क्या है कानून
विवाह के बाद तलाक की याचिका प्रस्तुत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान है. आइये जानते हैं कि इसे लेकर हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 14 क्या कहती है...
विवाह के बाद तलाक की याचिका प्रस्तुत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान है. आइये जानते हैं कि इसे लेकर हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 14 क्या कहती है...
पटना हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला धारा 125 सीआरपीसी के तहत भरण-पोषण का दावा कर सकती है, अगर उसके पूर्व पति ने उसे पर्याप्त सहायता नहीं दी है.
केरल हाई कोर्ट ने पत्नी के दावे को सही माना कि उसके पति ने वैवाहिक जीवन और शारीरिक संबंधों में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और केवल धार्मिक गतिविधियों में लगा रहा.
Divorce Case: पति ने हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत क्रूरता के आधार पर तलाक के लिए याचिका दायर की थी, जबकि पत्नी ने धारा 9 के तहत वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए याचिका दायर की थी. मामले में दोनों पक्षों की बातें तो जान लीजिए...
मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि पत्नी के हस्तमैथुन करने की आदत को तलाक का आधार नहीं माना जा सकता है और इसे लेकर मुकदमा चलाना उसकी यौन स्वायत्तता का उल्लंघन होगा.
मुंबई के बांद्रा फैमिली कोर्ट ने तलाक की अर्जी स्वीकार करते हुए युजवेन्द्र चहल और धनश्री वर्मा को पति-पत्नी होने के बंधन से मुक्त किया.
युजवेन्द्र चहल और धनश्री वर्मा को बॉम्बे हाई कोर्ट ने कूलिंग पीरियड से राहत देते हुए फैमिली कोर्ट को तलाक के मामले पर फैसला सुनाने को कहा है. आइये जानतें है कि तलाक मामले में की पूरी टाइमलाइन
हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 13बी (i) के अनुसार, कपल को आपसी सहमति से तलाक लेने के लिए कम से कम साल भर तक अलग रहना जरूरी है. इसके अलावे आपसी सहमति से तलाक याचिका एक साथ न रहने की असमर्थता, और विवाह को समाप्त करने पर आपसी सहमति ना होने पर भी दायर की जाती है.
फैमिली कोर्ट ने चहल की मांग खारिज करते हुए कहा कि चहल ने तय शर्तों का पालन नहीं किया है. उसने तय 4.67 करोड़ की एलिमनी राशि में से केवल 2.37 करोड़ ही दिया है. वहीं, बॉम्बे हाई कोर्ट ने कूलिंग ऑफ पीरियड को माफ करते हुए फैमिली कोर्ट को तलाक मामले में फैसला सुनाने को कहा है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा के तलाक की कार्यवाही में कूलिंग-ऑफ पीरियड को माफ करने की याचिका स्वीकार की है.
तलाक के फैसले को बरकरार रखते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा कि पति के आपत्ति जताने के बावजूद पत्नी का अपने पुराने प्रेमी से अश्लील बातचीत जारी रखती है, तो यह निश्चित रूप से मानसिक क्रूरता के रूप में माना जाएगी.
ओड़िसा हाई कोर्ट ने पति की दलील को खारिज करते हुए कहा कि ऐसे पति जो योग्यता रखते हैं और फिर भी बेरोजगारी का बहाना बनाते हैं, उनकी निंदा की जानी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक पत्नी को स्टाम्प ड्यूटी के भुगतान से छूट दी, जिसने अपने पति से तलाक समझौते के तहत एक फ्लैट प्राप्त किया था.
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने विवाह को रद्द करते हुए कहा कि ऐसे व्यक्ति के साथ रहने के लिए दबाव डालना, जो न तो शिक्षित है और न ही खुद को सुधारने की इच्छा रखता है, महिला के साथ मानसिक क्रूरता के बराबर है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में महिला को दूसरे पति से भरण-पोषण भत्ता पाने का अधिकार दिया है, भले ही उसने कानूनन तौर पर पहले पति से तलाक ना लिया हो. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाई कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए फैमिली कोर्ट के, भरण-पोषण के फैसले को बहाल किया है.
तलाक मामले की सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि पति अपने दो बच्चों को संभाल रहा है और मुकदमे को ट्रांसफर करने से उसकी परेशानियां और बढ़ जाएगी. आइये जानते हैं पूरा मामला...
तलाक मामले की सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि पति अपने दो बच्चों को संभाल रहा है और मुकदमे को ट्रांसफर करने से उसकी परेशानियां और बढ़ जाएगी. आइये जानते हैं पूरा मामला...
अगर पत्नी पति को उसके माता-पिता से अलग रहने को दबाव बनाती है, जिससे रोजमर्रा की जिंदगी में कलह होता है, तब अदालत पति के तलाक की मांग को स्वीकार करते हुए विवाह नामक संस्था को तोड़ने की इजाजत दे सकता है.
मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि पत्नी के हस्तमैथुन करने की आदत को तलाक का आधार नहीं माना जा सकता है और इसे लेकर मुकदमा चलाना उसकी यौन स्वायत्तता का उल्लंघन होगा.
मुंबई के बांद्रा फैमिली कोर्ट ने तलाक की अर्जी स्वीकार करते हुए युजवेन्द्र चहल और धनश्री वर्मा को पति-पत्नी होने के बंधन से मुक्त किया.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा के तलाक की कार्यवाही में कूलिंग-ऑफ पीरियड को माफ करने की याचिका स्वीकार की है.
तलाक मामले की सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि पति अपने दो बच्चों को संभाल रहा है और मुकदमे को ट्रांसफर करने से उसकी परेशानियां और बढ़ जाएगी. आइये जानते हैं पूरा मामला...
कलकत्ता हाईकोर्ट ने तलाक को स्वीकृति देते हुए कहा कि पति की इजाजत के बिना पत्नी के रिश्तेदारों का उसके सुसराल में ज्यादा दिन तक रहना क्रूरता है और यह स्थिति और भी भयावह हो जाती है, जब पत्नी अपने पति के घर पर ना हो.
सुप्रीम कोर्ट ने सास-ससुर के खिलाफ सेक्शन 498ए का मुकदमा रद्द करते हुए कहा कि महिला ने पति से तलाक पाने के लिए अपने सास-ससुर के खिलाफ क्रूरता का मुकदमा दर्ज करवाया, क्योंकि जब महिला ने तलाक की मांग की थी तो इसमें उसके साथ हुए क्रूरता का कोई जिक्र नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस केस में पति दुबई में एक बैंक के CEO के रूप में काम कर रहा है और उसका वेतन लगभग 10 से 12 लाख रुपये प्रति माह है. वही पत्नी बेरोजगार है. इसलिए एक मुश्त राशि के रूप में 5 करोड़ की राशि उचित रहेगा.
दिवंगत अतुल ने अपने आखिरी वीडियो में कहा कि वह अपने कमाए हुए पैसों से टैक्स दे रहा है, जो उसके व परिवारवालों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है.
सुनवाई के दौरान अदालत ने पत्नी के दहेज को लेकर मारपीट के दावे को खारिज करते हुए कहा कि पत्नी ने अपने दावे को सही साबित करने के लिए किसी प्रकार के सबूत नहीं दिए है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तलाक मामले के लंबित रहने के दौरान पत्नी को ससुराल में मिले लाइफस्टाइल को मेंटेन करने का अधिकार है.
इंदौर में पदस्थ महिला ने पति से तलाक की मांग करते हुए दावा किया था कि वह उसे नौकरी छोड़कर भोपाल में अपने साथ रहने के लिए मानसिक तौर पर परेशान कर रहा है. बता दें कि पति बेरोजगार है.
तलाक मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि दंपत्ति छह साल से अलग रह रहे हैं और उनके रिश्ते में बहुत गिरावट आ चुकी है, जिसमें सुधार होना मुश्किल है.
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महिला को गर्भ समाप्त कराने की इजाजत देते हुए कहा कि तलाक पाने का इंतजार कर रही महिलाओं की चुनौती, तलाक पा चुकी महिलाओं से कम नहीं है. हाईकोर्ट ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी के तहत महिला को 28 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दी है.
पति की दोषसिद्धी के आधार पर तलाक देने का कोई प्रावधान नहीं है लेकिन अदालत ने इन परिस्थितियों में पति के साथ रहना पत्नी के लिए मानसिक क्रूरता के बराबर पाया, जो उसे तलाक लेने की मंजूरी देता है. अंतत: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पत्नी को तलाक की इजाजत दे दी.
सुप्रीम कोर्ट ने स्त्रीधन के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने किसी महिला द्वारा ब्याह में लाई गई संपत्ति पर उसके पति का हक होने से इंकार किया है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने पति की तलाक की मांग को खारिज करते हुए उसके आरोपों को पत्नी के साथ मानसिक क्रूरता बताया. पति ने पत्नी पर विवाह से बाहर जाकर संबंध बनाने के आरोप लगाते हुए बच्चे का पितृत्व स्वीकार करने से इंकार किया था.
पति द्वारा दायर तलाक के मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी द्वारा बच्चे को पिता के खिलाफ भड़काना, पति के साथ मानसिक क्रूरता करने के जैसा है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट तलाक से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान बदलते समय के साथ हिंदू मैरिज एक्ट में संशोधन करने की बात उठाते हुए रजिस्ट्री को आदेश दिया कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले वाली कॉपी कानून मंत्रालय को भेजें.
पटना हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला धारा 125 सीआरपीसी के तहत भरण-पोषण का दावा कर सकती है, अगर उसके पूर्व पति ने उसे पर्याप्त सहायता नहीं दी है.
केरल हाई कोर्ट ने पत्नी के दावे को सही माना कि उसके पति ने वैवाहिक जीवन और शारीरिक संबंधों में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और केवल धार्मिक गतिविधियों में लगा रहा.
Divorce Case: पति ने हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत क्रूरता के आधार पर तलाक के लिए याचिका दायर की थी, जबकि पत्नी ने धारा 9 के तहत वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए याचिका दायर की थी. मामले में दोनों पक्षों की बातें तो जान लीजिए...
तलाक के फैसले को बरकरार रखते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा कि पति के आपत्ति जताने के बावजूद पत्नी का अपने पुराने प्रेमी से अश्लील बातचीत जारी रखती है, तो यह निश्चित रूप से मानसिक क्रूरता के रूप में माना जाएगी.
ओड़िसा हाई कोर्ट ने पति की दलील को खारिज करते हुए कहा कि ऐसे पति जो योग्यता रखते हैं और फिर भी बेरोजगारी का बहाना बनाते हैं, उनकी निंदा की जानी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक पत्नी को स्टाम्प ड्यूटी के भुगतान से छूट दी, जिसने अपने पति से तलाक समझौते के तहत एक फ्लैट प्राप्त किया था.
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने विवाह को रद्द करते हुए कहा कि ऐसे व्यक्ति के साथ रहने के लिए दबाव डालना, जो न तो शिक्षित है और न ही खुद को सुधारने की इच्छा रखता है, महिला के साथ मानसिक क्रूरता के बराबर है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में महिला को दूसरे पति से भरण-पोषण भत्ता पाने का अधिकार दिया है, भले ही उसने कानूनन तौर पर पहले पति से तलाक ना लिया हो. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाई कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए फैमिली कोर्ट के, भरण-पोषण के फैसले को बहाल किया है.
तलाक मामले की सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि पति अपने दो बच्चों को संभाल रहा है और मुकदमे को ट्रांसफर करने से उसकी परेशानियां और बढ़ जाएगी. आइये जानते हैं पूरा मामला...
तलाक के इस मामले में पत्नी हमेशा अपने पति पर उसके पैरेंट्स से अलग रहने के लिए दबाव बनाती थी और सास-ससुर को परेशान करने के लिए उसने घरेलु हिंसा का मामला भी दर्ज करा दिया था. आइये जानते हैं कि यह मामला फैमिली कोर्ट से होते हुए हाई कोर्ट तक कैसे पहुंचा और अदालत ने पति को तलाक क्यों दिया...
दंपत्ति की शादी साल 2015 में हुई थी. दोनों एक-दूसरे ऑनलाइन एप के जरिए मिले थे. शादी के साल भर बाद ही उसकी पत्नी, बच्चे को लेकर मायके चली गई थी. मामला फैमिली कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट तक पहुंचा. आइये जानते हैं कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पति की तलाक अर्जी मंजूर करते हुए क्या कहा..
तलाक के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को विचार करना था कि क्या पति वैवाहिक अधिकारों की बहाली के आदेश के बाद पत्नी को भरण-पोषण देने से मुक्त हो जाता है.
पति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से दो आधार पर तलाक की मांग किया. पहला, उसकी पत्नी स्वतंत्र विचारों वाली है और अपनी मनमर्जी से बाजार एवं अन्य जगहों पर जाती है. दूसरा कि वह लंबे समय से उससे दूर रह रही है. आइये जानते हैं इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला...