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पति की दोषसिद्धी के आधार पर तलाक का कोई प्रावधान नहीं, फिर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पत्नी को तलाक की मंजूरी क्यों दे दी?

पति की दोषसिद्धी के आधार पर तलाक देने का कोई प्रावधान नहीं है लेकिन अदालत ने इन परिस्थितियों में पति के साथ रहना पत्नी के लिए मानसिक क्रूरता के बराबर पाया, जो उसे तलाक लेने की मंजूरी देता है. अंतत: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पत्नी को तलाक की इजाजत दे दी.

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

Written by Satyam Kumar |Updated : June 10, 2024 3:33 PM IST

Divorce Case: हाल ही में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने महिला की तलाक की मांग को स्वीकृति दे दी है. महिला ने पति की दोषसिद्धी के आधार पर तलाक की मांगी थी. महिला के पति को अपने पिता की हत्या करने के मामले में आजीवन कारावास की सजा मिली है. साथ ही उसके ऊपर 307 का एक अन्य मुकदमा सुनवाई में है. अदालत ने स्पष्ट बताया कि पति की दोषसिद्धी के आधार पर तलाक देने का कोई प्रावधान नहीं है लेकिन अदालत ने इन परिस्थितियों में पति के साथ रहना पत्नी के लिए मानसिक क्रूरता के बराबर पाया, जो उसे तलाक लेने की मंजूरी देता है. अंतत: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पत्नी को तलाक की इजाजत दे दी.

पत्नी की तलाक की मांग एमपी हाईकोर्ट ने दी मंजूरी

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में, जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस राजेन्द्र कुमार वाणी की वेकेशन बेंच ने तलाक की मांग वाली अपील याचिका को सुना. पत्नी ने उच्च न्यायालय में ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें ट्रायल कोर्ट ने पति की दोषसिद्धी के आधार पर तलाक की मांग की थी. बेंच ने बताया कि पत्नी या पति की सजा के आधार पर तलाक देने का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन ऐसे मामलों में मानसिक क्रूरता के आधार पर राहत दी जा सकती है.

अदालत ने कहा,

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“पति को आईपीसी की धारा 302 के तहत मिली उम्रकैद की सजा पत्नी के प्रति मानसिक क्रूरता के बराबर है, जो उसे अपने पति से तलाक पाने का हक देती है,”

अदालत ने आगे कहा,

“हालांकि उसकी (पति) सजा निलंबित करके जमानत पर रिहा करने का प्रावधान है, लेकिन एक पत्नी के लिए ऐसे व्यक्ति के साथ रहना बहुत कठिन होगा, जो आईपीसी की धारा 307 के तहत मुकदमे का सामना कर रहा है और साथ ही उसे अपने पिता की हत्या के लिए आईपीसी की धारा 302 के तहत दोषी ठहराया गया है, यह निश्चित रूप से उसके (पत्नी) लिए मानसिक क्रूरता का कारण बनेगा,”

अदालत ने ये भी कहा,

“इसके अलावा, यह केवल एक दोषी पति के साथ रहने का मामला नहीं है, बल्कि यह भी महत्वपूर्ण है कि उसकी बेटी के लिए ऐसे पिता के साथ रहना उचित नहीं होगा, जिसका आपराधिक पृष्ठभूमि हो. यदि वह 6 साल की उम्र में प्रतिवादी (पति) के साथ रहती है, तो यह उसके लिए मानसिक रूप से भी उचित नहीं होगा,”

अदालत ने मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पति की सजा को मानसिक क्रूरता के बराबर मानते हुए पत्नी को तलाक की मांग को मंजूरी दे दी है.

क्या है मामला?

दंपत्ति का विवाह साल 2011 में हुआ था. दोनों की एक बेटी भी है. 2020 में पत्नी ने फैमिली कोर्ट में तलाक की मांग की. तलाक की मांग का आधार पति को हत्या के मामले में मिली सजा को आधार बताया. उसने ये भी बात भी कहीं कि पति का व्यवहार उसके प्रति अक्रमाक था. हालांकि, फैमिली कोर्ट ने पत्नी की दलीलों को मानने से इंकार करते हुए तलाक की याचिका खारिज कर दी. पत्नी ने फैमिली कोर्ट के इसी फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

अब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पत्नी को तलाक की इजाजत दे दी है.