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Divorce के बाद भी महिला का लिविंग स्टैंडर्ड ससुराल जैसा बनाए रखना पति की जिम्मेदारी, एलिमनी की राशि बढ़ाते हुए Supreme Court ने कहा

सुप्रीम कोर्ट ने तलाकशुदा महिला की गुजारा-भत्ता की राशि 30 हजार से बढ़ाकर 50 हजार कर दिया, जिसे हर दो साल पर 5% बढ़ाकर देना होगा.

Husband wife

Written by Satyam Kumar |Published : June 8, 2025 11:10 AM IST

क्या किसी महिला को तलाक के बाद अपने पति से गुजारा-भत्ता पाने का अधिकार है? साथ ही अगर महिला ने तलाक के बाद दूसरी शादी कर ली हो, तो क्या तब भी उसे अपने पहले पति से तलाक पाने का अधिकार है. इस मुद्दे से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर तलाकशुदा महिला ने दूसरी शादी नहीं की है तो उसे ससुराल जैसा लिविंग स्टैंडर्ड बनाए रखने के लिए पति से गुजारा-भत्ता पाने का अधिकार है.

सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी को मिलने वाले स्थायी गुजारा भत्ता को बढ़ाकर 50,000 रुपये प्रति माह कर दिया है, जो कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा पहले दी गई राशि का लगभग दोगुना है. कलकत्ता हाई कोर्ट ने पहले तलाक का फैसला सुनाते हुए महिला तो   20,000 रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता देने का फैसला सुनाया था, जिसमें हर तीन साल में 5% की वृद्धि होती. सुप्रीम कोर्ट ने इसे बढ़ाकर 50,000 रुपये प्रति माह कर दिया, जिसे हर दो साल में 5% के हिसाब से बढ़ाकर देना होगा.बताते चलें कि यह कपल 1997 में शादी के बंधन में बंधा था और 2008 में अलग हो गया. उनका एक बेटा है, जिसका जन्म 1998 में हुआ था. कलकत्ता हाई कोर्ट ने पाया कि कपल के बीच शादी अपरिवर्तनीय रूप से टूट चुकी है, इसलिए तलाक की अर्जी को स्वीकार किया था.

सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि अपीलकर्ता पत्नी, जो अविवाहित है और स्वतंत्र रूप से रह रही है, उसे शादी के दौरान मिले जीवन स्तर के अनुरूप और भविष्य को सुरक्षित करने के लिए पर्याप्त गुजारा भत्ता मिलना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि अब उनका 26 वर्षीय बेटा वयस्क है, इसलिए उसका अनिवार्य भरण-पोषण आवश्यक नहीं है, लेकिन पिता स्वेच्छा से उसकी शिक्षा या अन्य उचित खर्चों में मदद कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि बेटे के उत्तराधिकार के अधिकार अप्रभावित रहेंगे और लागू कानूनों के तहत उनका दावा किया जा सकता है.

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