मैरिटल रेप अपराध नहीं! फिर भी पत्नी से जबरन संबंध नहीं बना सकता पति, केन्द्र सरकार का SC में हलफनामा
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने की मांग वाली याचिकाओं का विरोध किया है.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने की मांग वाली याचिकाओं का विरोध किया है.
तलाक देने से पहले अदालत कुछ कारणों पर विचार करती है, जो हिंदू विवाह अधिनियम के द्वारा तय किए गए है और कपल को तलाक लेने के कारण को सही पाते हैं.
तलाक की मांग को लेकर फैमिली कोर्ट में आए दंपत्ति को जब जज नीलिमा सिंह ने सात फेरों के सात वचन पढ़ने को दिया तो दोनों भावुक हो गए और तलाक की मांग वापस लेते हुए साथ रहने को राजी हो गए.
हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अनुसार पति-पत्नी दोनों को गुजारा भत्ता पाने का हक है. वहीं कुछ परिस्थितियों के बारे में भी बताया गया है जब पत्नी को पति से गुजारा भत्ता पाने का अधिकार नहीं होगा.
वैवाहिक रिश्ते को समाप्त करने के लिए तलाक लेने की प्रक्रिया है. सहमति से तलाक पाने के लिए पति-पत्नी दोनों में से किसी एक को परिवारिक न्यायालय (Family Court) में वाद दायर करनी होती है.
दिल्ली की एक अदालत ने घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत अंतरिम भरण-पोषण के लिए एक महिला के अनुरोध को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि वह खुद का भरण-पोषण करने में सक्षम है.
भारतीय न्याय संहिता में संभोग या यौन संबंध (Sexual Intercourse) से जुड़े अपराधों की सजा की व्याख्या करती है. बीएनएस की धारा 67 में पीड़िता को नुकसान पहुंचाने तो वहीं बीएनएस की धारा 68 किसी तरह की प्राप्त अथॉरिटी या पद के सहारे किसी महिला को यौन संबंध बनाने के कृत्यों को अपराध घोषित करती है, जिसमें कम-से-कम पांच साल जेल की सजा व जुर्माने का प्रावधान है.
सुप्रीम कोर्ट ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत इस न्यायालय की शक्ति का प्रयोग करते हुए तलाक का आदेश दिया. वहीं एकमुश्त गुजारा भत्ते को तय करने को लेकर पति को 2 करोड़ राशि देने के निर्देश दिए हैं
पति की दोषसिद्धी के आधार पर तलाक देने का कोई प्रावधान नहीं है लेकिन अदालत ने इन परिस्थितियों में पति के साथ रहना पत्नी के लिए मानसिक क्रूरता के बराबर पाया, जो उसे तलाक लेने की मंजूरी देता है. अंतत: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पत्नी को तलाक की इजाजत दे दी.
दिल्ली हाईकोर्ट ने पति की तलाक की मांग को खारिज करते हुए उसके आरोपों को पत्नी के साथ मानसिक क्रूरता बताया. पति ने पत्नी पर विवाह से बाहर जाकर संबंध बनाने के आरोप लगाते हुए बच्चे का पितृत्व स्वीकार करने से इंकार किया था.
बॉम्बे उच्च न्यायाल ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए पत्नी को अपने बेरोजगार, बीमार पति को हर महीने दस हजार रूपये गुजारा भत्ता देने के आदेश दिए है.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा, पति के परिवार के सदस्यों को अक्सर IPC के सेक्शन 498A के तहत पत्नी के साथ क्रूरता के मामलों में फंसाया जाता है, जबकि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है.
पत्नी ने आरोप लगाया कि पति ने उसे हनीमून के दौरान सेकेंड हैंड कहा था. पत्नी के आरोपों को सही पाते हुए ट्रायल कोर्ट ने पति के ऊपर 3 करोड़ रूपये का जुर्माना लगाया है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसले को बरकरार रखा है.
पश्चिम बंगाल की एक कोर्ट से घर में सब्जियों लगातार खराब होने से नाराज पति ने पत्नी से तलाक मांगा है.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने की मांग वाली याचिकाओं का विरोध किया है.
दिल्ली की एक अदालत ने घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत अंतरिम भरण-पोषण के लिए एक महिला के अनुरोध को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि वह खुद का भरण-पोषण करने में सक्षम है.
भारतीय न्याय संहिता में संभोग या यौन संबंध (Sexual Intercourse) से जुड़े अपराधों की सजा की व्याख्या करती है. बीएनएस की धारा 67 में पीड़िता को नुकसान पहुंचाने तो वहीं बीएनएस की धारा 68 किसी तरह की प्राप्त अथॉरिटी या पद के सहारे किसी महिला को यौन संबंध बनाने के कृत्यों को अपराध घोषित करती है, जिसमें कम-से-कम पांच साल जेल की सजा व जुर्माने का प्रावधान है.
पति की दोषसिद्धी के आधार पर तलाक देने का कोई प्रावधान नहीं है लेकिन अदालत ने इन परिस्थितियों में पति के साथ रहना पत्नी के लिए मानसिक क्रूरता के बराबर पाया, जो उसे तलाक लेने की मंजूरी देता है. अंतत: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पत्नी को तलाक की इजाजत दे दी.
दिल्ली हाईकोर्ट ने पति की तलाक की मांग को खारिज करते हुए उसके आरोपों को पत्नी के साथ मानसिक क्रूरता बताया. पति ने पत्नी पर विवाह से बाहर जाकर संबंध बनाने के आरोप लगाते हुए बच्चे का पितृत्व स्वीकार करने से इंकार किया था.
बॉम्बे उच्च न्यायाल ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए पत्नी को अपने बेरोजगार, बीमार पति को हर महीने दस हजार रूपये गुजारा भत्ता देने के आदेश दिए है.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा, पति के परिवार के सदस्यों को अक्सर IPC के सेक्शन 498A के तहत पत्नी के साथ क्रूरता के मामलों में फंसाया जाता है, जबकि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है.
पत्नी ने आरोप लगाया कि पति ने उसे हनीमून के दौरान सेकेंड हैंड कहा था. पत्नी के आरोपों को सही पाते हुए ट्रायल कोर्ट ने पति के ऊपर 3 करोड़ रूपये का जुर्माना लगाया है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसले को बरकरार रखा है.
पश्चिम बंगाल की एक कोर्ट से घर में सब्जियों लगातार खराब होने से नाराज पति ने पत्नी से तलाक मांगा है.