तलाक से जुड़े मामले में उत्तर प्रदेश के फैमिली कोर्ट ने बेहद अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि पत्नी का मांग में सिंदूर ना भरना कपल के बीच की भावनात्मक दूरी को दिखाता है. भारतीय परंपरा के अनुसार पत्नी का मांग में सिंदूर लगाना, पत्नी होने का सिंबल है. अदालत ने ये बातें पति की तलाक की मांग याचिका को स्वीकार करते हुए कहीं. बता दें कि पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक की मांग करते हुए याचिका दायर की थी.
अपर प्रधान न्यायाधीश आलोक कुमार ने पति की तलाक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि परंपरा के अनुसार विवाह में विश्वास रखने वाली हर महिला से अपेक्षित हैं कि वे अपनी मांग में सिंदूर रखती है. अदालत ने पत्नी के सिर पर सिंदूर का ना पाना शादी को भावनात्मक रूप से टूटा माना. अदालत ने पति को एकमुश्त एलिमनी के रूप में 1.45 लाख रूपये देने के आदेश दिए है.
सुनवाई के दौरान अदालत ने पत्नी के दहेज को लेकर मारपीट के दावे को खारिज कर दिया है. अदालत ने कहा कि पत्नी ने अपने दावे को सही साबित करने के लिए किसी प्रकार के सबूत नहीं दिए है.
बता दें कि ये मामला स्टेट बैंक से स्वैच्छिक रिटायरमेंट ले चुके व्यक्ति से जुड़ा है, जिन्होंने अदालत से तलाक की मांग की. पति के अनुसार, उनकी शादी आर्य समाज परंपरा के अनुसार दिसंबर 2008 में हुई थी. पति ने दावा किया कि पत्नी ने शादी के बाद से ही उसकी मां को घर से निकालने का दावा किया. मुकदमे में पति ने आगे कहा कि नवंबर 2011 में पति को बर्जर नामक लाइलाज बीमारी हो जाने की बात सामने आने पर तलाक और 25 लाख रूपये मेंटनेंस की मांग की. वहीं, पत्नी ने इस दावे के जबाव में कहा कि उसके ससुराल वालों ने पांच लाख रूपये दहेज और जेवर ना मिलने से उसे मारपीट घर से निकाल दिया था.
हालांकि, अदालत ने पति की याचिका स्वीकार करते हुए तलाक की मांग को स्वीकृति दे दी है.