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पति की इच्छा होने के बावजूद पत्नी को Virginity Test के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा कि यदि पति अपनी पत्नी के कुंवारी नहीं होने का आरोप लगाता है तो वह अपनी पत्नी पर कौमार्य परीक्षण (Virginity Test) थोपने की जगह अन्य सबूत दे सकता है.

Husband wife

Written by Satyam Kumar |Published : March 31, 2025 12:56 PM IST

महिलाओं की गरिमा की रक्षा के लिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. मामला एक पति की याचिका से जुड़ा है, जिसमें उसने अपनी पत्नी का वर्जिनिटी टेस्ट (Virginity Test) कराने की मांग की थी. इस मांग को फैमिली कोर्ट ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद यह मामला छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में पहुंचा. छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा कि किसी महिला को वर्जिनिटी टेस्ट के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है. बता दें कि संविधान का अनुच्छेद 21, लोगों को गरिमापूर्ण तरीके से जीवन जीने की गारंटी देता है. हाई कोर्ट ने इस आदेश को 9 जनवरी के दिन ही सुनाया था, वहीं जजमेंट कॉपी अभी उपलब्ध हो पाई.

गरिमा पूर्ण जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन: HC

पति की मांग खारिज करते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 21 मौलिक अधिकारों का दिल है. यदि किसी महिला की वर्जिनिटी टेस्ट की अनुमति दी जाती है, तो यह न केवल उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा, बल्कि यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों और महिलाओं की गोपनीयता का भी उल्लंघन करेगा. जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा ने यह स्पष्ट किया कि इस तरह के परीक्षण महिलाओं के प्रति सम्मान और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन है.

यह मामला एक पति की याचिका से संबंधित है, जिसमें उसने अपनी पत्नी पर आरोप लगाया कि उसका किसी अन्य पुरुष के साथ अवैध संबंध है. पति ने एक पारिवारिक अदालत के आदेश को चुनौती दी, जिसने उसकी पत्नी के वर्जिनिटी टेस्ट की मांग को खारिज कर दिया था. वहीं, पत्नी ने आरोप लगाया कि उसका पति नपुंसक है और वह उसके साथ सहवास करने से इनकार कर रहा है. हाई कोर्ट ने आगे कहा, यदि याचिकाकर्ता अपने आरोपों को सिद्ध करना चाहता है, तो वह संबंधित चिकित्सा परीक्षण करा सकता है या अन्य सबूत प्रस्तुत कर सकता है. अदालत ने यह भी कहा कि पति को अपनी पत्नी को वर्जिनिटी टेस्ट के लिए मजबूर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.

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वर्जिनिटी टेस्ट की मांग

पति ने याचिका में यह भी दावा किया कि उसकी पत्नी ने भी उसके नपुंसकता के आरोप को साबित करने के लिए वर्जिनिटी टेस्ट की मांग की. हालांकि, अदालत ने कहा कि यह मामला सबूतों के आधार पर ही तय किया जा सकता है. दोनों पक्षों के आरोप और प्रत्यारोपों का निपटारा उचित तरीके से किया जाएगा.

हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत की गई है. यह अधिकार न केवल जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की गारंटी देता है, बल्कि गरिमा के साथ जीने का अधिकार भी सुनिश्चित करता है. अदालत ने यह स्पष्ट किया कि कोई भी महिला वर्जिनिटी टेस्ट के लिए मजबूर नहीं की जा सकती है. पारिवारिक अदालत ने 15 अक्टूबर 2024 को पति की वर्जिनिटी टेस्ट की मांग को खारिज कर दिया था. इसके बाद, पति ने हाई कोर्ट में आपराधिक याचिका दायर की थी. मामला अभी पारिवारिक अदालत में साक्ष्य के चरण में जारी है.