
Husband-Wife
आजकल पति-पत्नी के रिश्तों का जो मंजर देखने-सुनने व पढ़ने को मिल रहा है, वह शादी के बंधन के लिए बेहद चिंताजनक है.

गुजारा-भत्ता
तलाक और गुजारा भत्ता को लेकर तरह-तरह की बातें की जाती है. पति, अपनी पत्नी को गुजारा-भत्ता नहीं देना चाहता हो, लेकिन जब बच्चों को गुजारा-भत्ता नहीं देने का विचार उसके मन में आना चिंताजनक है.

पति-पत्नी और गुजारा-भत्ता
यह मामला भी ऐसा ही है, जिसमें पति ने गुजारा भत्ता देने से बचने के लिए हाई पेइंग सैलरी को छोड़कर लो इनकम नौकरी ज्वाइन कर लिया ताकि उसे अपनी पत्नी-बेटी को गुजारा-भत्ता नहीं देना पड़े.

बॉम्बे हाई कोर्ट
हालांकि, ऐसा करना पति को ही भारी पड़ा, बॉम्बे हाई कोर्ट ने उस पर एक लाख रूपये का जुर्माना लगाया है. हाई कोर्ट ने कहा कि उनसे ऐसा जानबूझकर और गुजारा-भत्ता से बचने के लिए किया था.

तय गुजारा-भत्ता को चुनौती
मामले में तय गुजारा भत्ता को चुनौती देते हुए पति ने तर्क दिया कि वह प्रति माह 30,000 रुपये का गुजारा भत्ता नहीं दे सकता क्योंकि वह आर्थिक रूप से कमजोर है.

65 लाख रूपये
बॉम्बे हाई कोर्ट ने गौर कि अगस्त 2021 में नौकरी शुरू करने पर उसकी वार्षिक आय 65 लाख रुपये (प्रति माह लगभग 5.5 लाख रुपये) थी.

कम सैलरी वाली नौकरी पकड़ी
फिर पति ने नौकरी शुरू करने के चार दिन बाद एक दुर्घटना का हवाला देते हुए दो महीने की मेडिकल लीव ली. फिर उसने फरवरी 2022 में एक कम वेतन वाली नौकरी स्वीकार की, जिसमें उसे 20,000 रुपये प्रति माह मिलते थे.

मेट्रोमोनियल साइट
इस पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि पति ने नवंबर 2023 तक मेट्रोमोनियल साइट पर अपनी आय 35-50 लाख रुपये बताया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वह अपनी असली वित्तीय स्थिति को छिपा रहा था.

मां-भाई को दिए पैसे
अदालत ने यह भी पाया कि फरवरी 2021 से जनवरी 2022 के बीच, आरोपी ने अपनी मां और भाई को 34 लाख रुपये ट्रांसफर किए थे.

एक लाख का जुर्माना
बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक लाख रूपये का जुर्माना लगाते हुए कहा कि पति ने अपनी आय को छुपाकर जानबूझकर गुजारा भत्ता देने से बचने की कोशिश की. ऐसा लगता है कि वह अपनी आठ वर्षीय बेटी का समर्थन करने के लिए तैयार नहीं था.