नई-नई शादी में अनबन होने पर पति-पत्नी शादी की मांग को खत्म करने के लिए अदालत के पास पहुंच जाते हैं.
Image Credit: my-lord.inकानूनन, अदालत तलाक याचिकाओं पर शादी से एक साल से पहले विचार नहीं करती.
Image Credit: my-lord.inविवाह के बाद तलाक की याचिका प्रस्तुत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान है. आइये जानते हैं कि इसे लेकर हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 14 क्या कहती है...
Image Credit: my-lord.inहिंदू मैरिज एक्ट की धारा 14 के अनुसार, विवाह के एक वर्ष के भीतर किसी भी अदालत को तलाक की याचिका स्वीकार करने का अधिकार नहीं है.
Image Credit: my-lord.inहिंदू मैरिज एक्ट, 1955 की धारा 14 के अनुसा इस अधिनियम के अनुसार, शादी की तारीख से कम से कम एक साल बाद ही तलाक की अर्जी दाखिल की जा सकती है.
Image Credit: my-lord.inअसाधारण स्थिति में, हाई कोर्ट के नियमों के अनुसार आवेदन पर कोर्ट एक साल से पहले भी याचिका पर विचार कर सकता है.
Image Credit: my-lord.inवैधानिक नियमों के अनुसार, शादी के एक साल से पहले तलाक की अर्जी पर फैसला लेते समय, अदालत बच्चों के हितों और पक्षकारों के बीच सुलह की संभावना पर विचार करेगी.
Image Credit: my-lord.inअगर सुनवाई के दौरान अदालत यह पाती है कि इस विवाह को बचाए रखना संभव नहीं है तभी तलाक की अर्जी मंजूर करती है.
Image Credit: my-lord.inपढ़ने के लिए धन्यवाद!