Advertisement

पत्नी को पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर करना 'क्रूरता', मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने विवाह रद्द किया

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने विवाह को रद्द करते हुए कहा कि ऐसे व्यक्ति के साथ रहने के लिए दबाव डालना, जो न तो शिक्षित है और न ही खुद को सुधारने की इच्छा रखता है, महिला के साथ मानसिक क्रूरता के बराबर है.

Written by Satyam Kumar Published : March 9, 2025 4:08 PM IST

1

पत्नी की पढ़ाई छुड़ाना

हाल ही में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक विवाह को समाप्त करते हुए कहा कि पत्नी को पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर करना उसके सपनों को नष्ट करने के बराबर है.

2

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट

3

फैमिली कोर्ट

फैसले में फैमिली कोर्ट ने महिला की पति से अलग होने की याचिका को अस्वीकार कर दिया था.

Advertisement
Advertisement
4

Hindu Marriage Act

हाई कोर्ट ने महिला की अपील को स्वीकार कर हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधानों के तहत विवाह को समाप्त कर दिया. आइये जानते हैं कि हाई कोर्ट ने ऐसा करने के वजह को लेकर क्या-क्या बताया है.

5

पति बदलाव को तैयार नहीं!

हाई कोर्ट ने वस्तुस्थिति को ध्यान में रखकर कहा कि उसे (पत्नी) को एक ऐसे व्यक्ति के साथ रहने के लिए मजबूर करना जो न तो शिक्षित है और न ही अपने आप को सुधारने के लिए इच्छुक है, मानसिक क्रूरता के समान है.

6

शिक्षा बेहद अहम

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने जजमेंट में अमेरिकी दार्शनिक जॉन ड्यूई के प्रसिद्ध क्वोट 'शिक्षा केवल जीवन के लिए तैयारी नहीं है, बल्कि यह स्वयं जीवन है' का उल्लेख किया है.

7

महिला का दावा

महिला ने अदालत में बताया कि उसने 2015 में शाजापुर के एक व्यक्ति से विवाह हुआ था, जब उसने कक्षा 12 की परीक्षा पास की थी.

8

ससुराल वालों को पसंद नहीं

विवाह के बाद, वह अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती थी, लेकिन उसके ससुराल वालों ने इसके खिलाफ थे.

9

विवाद के बाद घर लौटी

विवाह के कुछ ही दिनों बाद, महिला अपने माता-पिता के घर लौट आई और फिर तलाक के लिए पारिवारिक न्यायालय में याचिका दायर की, जिसे अस्वीकार कर दिया गया.

Advertisement
Advertisement
10

बुरे सपने जैसा

अदालत ने यह भी कहा कि 2015 में विवाह के बाद से, याचिकाकर्ता और प्रतिवादी केवल जुलाई 2016 में तीन दिन एक साथ रहे. उस तीन दिन का अनुभव महिला के लिए एक बुरे सपने जैसा था

11

मैरिज खत्म

और उसके बाद वे कभी एक साथ नहीं रहे. यह तथ्य इस बात को स्पष्ट करता है कि विवाह में किसी तरह की पुनर्मिलन की संभावना नहीं है. कहकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने विवाह रद्द कर दिया.