गुरूवार के दिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने असफल होते रिश्तों के आपराधिक मुकदमे में बदलने के ट्रेंड के प्रति चिंता जताई है. जस्टिस कृष्ण पहल ने एक मामले में जमानत आवेदन को मंजूरी देते हुए कहा कि महिला ने पूरी और सचेत जानकारी के साथ आवेदक के वैवाहिक इतिहास को जानते हुए उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित किया. बता दें कि यह मामला एक 42 वर्षीय विवाहित व्यक्ति अरुण कुमार मिश्रा से संबंधित है, जिसे 25 वर्षीय महिला द्वारा बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
जस्टिस कृष्ण पहल ने याची को जमानत देते हुए एफआईआर में देरी, पक्षों के वकीलों द्वारा प्रस्तुत तर्कों, रिकॉर्ड पर साक्ष्यों और पीड़िता के योग्य होने जैसे तथ्यों पर विचार किया. जस्टिस ने कहा कि FIR कई महीनों की देरी के बाद दर्ज की गई थी और यह उनके असफल रिश्ते के भावनात्मक परिणाम से उत्पन्न हुई अधीक प्रतीत होती है, न कि किसी वास्तविक आपराधिक कार्रवाई से. बहस के दौरान, आवेदक के वकील ने बताया कि FIR में छह महीने की देरी हुई और पीड़िता आवेदक के साथ सहमति से रिश्ते में थी.
वकील ने आगे कहा कि पीड़िता ने याचिकाकर्ताके साथ कई जगहों गई हैं और इस दौरान होटलों में भी रुकी. दूसरी ओर, शिकायतकर्ता के वकील ने कहा कि आवेदक पहले ही तीन अन्य महिलाओं से विवाहित है और वह विभिन्न महिलाओं को सहमति से रिश्तों में लाने के लिए जाना जाता है. अदालत ने इस मामले को समाज में हो रहे व्यापक बदलाव के रूप में देखा, जहां अंतरंग रिश्तों की पवित्रता और गंभीरता में कमी आई है. यह देखा जा रहा है कि अस्थायी और गैर-प्रतिबद्ध रिश्तों का प्रचलन बढ़ रहा है, जो कि स्वेच्छा से बनाए और समाप्त किए जा रहे हैं. अदालत ने कहा कि यह प्रवृत्ति दर्शाती है कि व्यक्तिगत विफलताओं और भावनात्मक असहमति को आपराधिक रंग दिया जा रहा है, विशेष रूप से असफल अंतरंग रिश्तों के बाद. अदालत ने यह भी देखा कि पीड़िता एक शिक्षित महिला हैं. इसके बाद मामले के तथ्यों और परिस्थितियों, FIR में देरी, पक्षों के वकीलों द्वारा प्रस्तुत किए गए तर्कों और रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्यों के आधार पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आवेदक को जमानत देने का निर्णय लिया.