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तलाक पाने का इंतजार कर रही महिलाओं की चुनौती तलाकशुदा महिलाओं से कम नहीं, पंजाब एंड हरियाणा HC ने महिला को गर्भ समाप्त करने की दी मंजूरी

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महिला को गर्भ समाप्त कराने की इजाजत देते हुए कहा कि तलाक पाने का इंतजार कर रही महिलाओं की चुनौती, तलाक पा चुकी महिलाओं से कम नहीं है. हाईकोर्ट ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी के तहत महिला को 28 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दी है. 

Written by Satyam Kumar |Published : August 23, 2024 11:21 AM IST

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महिला को गर्भ समाप्त कराने की इजाजत दी है. महिला ने अदालत को बताया कि शादी के कुछ दिनों बाद ही उसके पति ने उसे छोड़ दिया और उनका तलाक का मामला अदालत के सामने लंबित हैं. हाईकोर्ट ने यह पाते हुए कि तलाक मिलने का इंतजार कर रही महिलाओं की चुनौती, तलाक पा चुकी महिलाओं से कम नहीं होती है. हाईकोर्ट ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी के तहत महिला को 28 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दे दी.

तलाक का इंतजार कर रही महिला की चुनौती तलाक पा चुकी महिला से अलग नहीं: हाईकोर्ट

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में जस्टिस विनोद एस भारद्वाज ने महिला की याचिका स्वीकार करते हुए उसे 28 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की इजाजत दी है. अदालत ने पाया कि महिला शादी के तनाव और तलाक का दुख लंबे समय से झेल रही है, साथ ही साल भर का अनिवार्य समय-सीमा पूरा करने के चलते उसे तलाक मिलने में देरी हो रही है, महिला के लिए इन परिस्थितियों को कठोर पाते हुए अदालत ने उसे प्रेग्नेंसी खत्म करने की इजाजत दी है.

अदालत ने कहा, 

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"महिला तलाक के लिए दृढ़ है, तलाक पाने के लिए उसे साल भर का समय सीमा पूरा करना है. वैधानिक नियमों के चलते उसे देरी हो रही है. साथ ही परिस्थितियां कम कठोर नहीं है."

अदालत ने गर्भपात कराने की मंजूरी देते हुए कहा,

"तलाक पाने का इंतजार कर रही महिलाओं की चुनौती, तलाक पा चुकी महिलाओं से कम नहीं होती है."

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने महिला को तलाक की मंजूरी दे दी है,

पूरा मामला क्या है?

याचिकाकर्ता महिला, 7 जनवरी, 2024 को सिख रीति-रिवाजों के अनुसार अपने पति से शादी की थी. शादी के कुछ समय बाद ही उसके पति और ससुराल वालों ने दहेज को लेकर प्रताड़ित करने लगे. जनवरी 2024 में ही याचिकाकर्ता गर्भवती हो गई. महिला ने दावा किया कि उसका पति उसे घर पर छोड़कर दुबई चला गया और ससुराल वालों को पत्नी का खर्चा उठाने को कहा. याचिका के अनुसार, पति ने महिला को हिदायत दी कि अगर लड़की होती है तो वह उसे स्वीकार करने से इंकार कर देगा, जिसके बाद महिला ने अदालत से गर्भ समाप्त करने की मांग की. इस दौरान उसने तलाक के लिए आवेदन दायर की है जिसे पाने के लिए एक- साल तक उसे इंतजार करना पड़ रहा है. एक साल के बाद के ही अदालत उसकी इस मांग पर फैसला सुनाएगी.

तलाक मामले में अदालत पति-पत्नि को तलाक की मांग उठने के बाद साल भर का समय देती है जिस दौरान अपेक्षा की जाती है कि दोनों पक्षों में संबंध ठीक हो जाए, और तलाक की नौबत नहीं आए. इस मामले में अदालत ने परिस्थितियां विषम पाते हुए महिला को गर्भ समाप्त करने की इजाजत दे दी है.

गर्भपात कराने को लेकर मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी क्या कहती है?

मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी अधिनियम (MTP Act, 1971), विशेष परिस्थितियों में महिलाओं को गर्भपात कराने की इजाजत देती है. कानून के अनुसार,  20 सप्ताह से अधिक के गर्भ में केवल कुछ ही श्रेणी की महिलाएं, जिनमें तलाकशुदा या विधवा महिलाएं भी शामिल हैं, 24 सप्ताह तक का गर्भ समाप्त कर सकती हैं. वहीं, इस टाइम के बाद पीड़त या महिला को अदालत की इजाजत लेनी पड़ती है.