बॉम्बे हाई कोर्ट ने युजवेन्द्र चहल और धनश्री वर्मा के बीच कूलिंग ऑफ पीरियड को माफ करने की इजाजत दे दी है.
Image Credit: my-lord.inभारतीय क्रिकेटर युजवेन्द्र चहल ने हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 13बी (ii) के तहत कूलिंग ऑफ पीरियड माफ करने की मांग की थी.
Image Credit: my-lord.inफैमिली कोर्ट ने चहल की मांग खारिज करते हुए कहा कि चहल ने तय शर्तों का पालन नहीं किया है. उसने तय 4.67 करोड़ की एलिमनी राशि में से केवल 2.37 करोड़ ही दिया है. वहीं, बॉम्बे हाई कोर्ट ने कूलिंग ऑफ पीरियड को माफ करते हुए फैमिली कोर्ट को तलाक मामले में फैसला सुनाने को कहा है.
Image Credit: my-lord.inहिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13बी(2) के तहत, तलाक याचिका की प्रस्तुति की तारीख से कम से कम 6 महीने की वैधानिक कूलिंग-ऑफ अवधि प्रदान की जाती है, ताकि जोड़े के बीच समझौते और पुनर्मिलन की संभावनाओं का पता चल सके.
Image Credit: my-lord.inअगर तलाक आवेदन दायर करने के छह महीने के बाद और 18 महीने के भीतर, यदि दोनों पार्टी द्वारा आवेदन वापस नहीं लिया जाता है, तो अदालत तलाक का आदेश दे सकती है.
Image Credit: my-lord.inवहीं, शिल्पा शैलेश बनाम वरुण श्रीनिवासन मामले में सुप्रीम कोर्ट के सामने यह सवाल था कि क्या हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13-B की उप-धारा (2) में निर्धारित अवधि (कूलिंग ऑफ पीरियड) को इस न्यायालय द्वारा कम किया जा सकता है साथ ही क्या सुप्रीम कोर्ट को सीधे तलाक देने की शक्ति है.
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा था कि यह लगातार देखा जा रहा है कि फैमिली कोर्ट और विभिन्न हाई कोर्ट द्वारा कूलिंग ऑफ पीरियड में माफ किया जा रहा है.
Image Credit: my-lord.inसुप्रीम कोर्ट ने कई फैसले को आधार बनाते हुए कहा कि अदालत को कूलिंग ऑफ पीरियड माफ करने की शक्ति है, साथ ही आर्टिकल 142 प्रदत शक्तियों के अंतर्गत तलाक देने की शक्ति है.
Image Credit: my-lord.inबताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट को यह फैसला लेने से पहले यह विचार करना पड़ता है कि दंपत्ति के बीच किसी तरह से साथ रहने की गुंजाइश नहीं है और उनके बीच का रिश्ता व्यवहार में पूरी तरह से समाप्त हो चुका है.
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