Divorce Cases में कूलिंग ऑफ पीरियड को लेकर सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

Satyam Kumar

Image Credit: my-lord.in | 20 Mar, 2025

बॉम्बे हाई कोर्ट ने युजवेन्द्र चहल और धनश्री वर्मा के बीच कूलिंग ऑफ पीरियड को माफ करने की इजाजत दे दी है.

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भारतीय क्रिकेटर युजवेन्द्र चहल ने हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 13बी (ii) के तहत कूलिंग ऑफ पीरियड माफ करने की मांग की थी.

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फैमिली कोर्ट ने चहल की मांग खारिज करते हुए कहा कि चहल ने तय शर्तों का पालन नहीं किया है. उसने तय 4.67 करोड़ की एलिमनी राशि में से केवल 2.37 करोड़ ही दिया है. वहीं, बॉम्बे हाई कोर्ट ने कूलिंग ऑफ पीरियड को माफ करते हुए फैमिली कोर्ट को तलाक मामले में फैसला सुनाने को कहा है.

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हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13बी(2) के तहत, तलाक याचिका की प्रस्तुति की तारीख से कम से कम 6 महीने की वैधानिक कूलिंग-ऑफ अवधि प्रदान की जाती है, ताकि जोड़े के बीच समझौते और पुनर्मिलन की संभावनाओं का पता चल सके.

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अगर तलाक आवेदन दायर करने के छह महीने के बाद और 18 महीने के भीतर, यदि दोनों पार्टी द्वारा आवेदन वापस नहीं लिया जाता है, तो अदालत तलाक का आदेश दे सकती है.

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वहीं, शिल्पा शैलेश बनाम वरुण श्रीनिवासन मामले में सुप्रीम कोर्ट के सामने यह सवाल था कि क्या हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13-B की उप-धारा (2) में निर्धारित अवधि (कूलिंग ऑफ पीरियड) को इस न्यायालय द्वारा कम किया जा सकता है साथ ही क्या सुप्रीम कोर्ट को सीधे तलाक देने की शक्ति है.

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सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा था कि यह लगातार देखा जा रहा है कि फैमिली कोर्ट और विभिन्न हाई कोर्ट द्वारा कूलिंग ऑफ पीरियड में माफ किया जा रहा है.

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सुप्रीम कोर्ट ने कई फैसले को आधार बनाते हुए कहा कि अदालत को कूलिंग ऑफ पीरियड माफ करने की शक्ति है, साथ ही आर्टिकल 142 प्रदत शक्तियों के अंतर्गत तलाक देने की शक्ति है.

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बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट को यह फैसला लेने से पहले यह विचार करना पड़ता है कि दंपत्ति के बीच किसी तरह से साथ रहने की गुंजाइश नहीं है और उनके बीच का रिश्ता व्यवहार में पूरी तरह से समाप्त हो चुका है.

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पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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