
तलाक मामला
तलाक का यह मामला छत्तीसगढ़ से जुड़ा है. इस मामले में पति ने तलाक की मांग को लेकर फैमिली कोर्ट में याचिका दायर की थी.

पति रहे पैरेंट्स से अलग
पति ने तलाक की मांग को लेकर बताया कि शादी के छह महीने बाद ही उसकी पत्नी, माता-पिता से अलग रहने के लिए दबाव लगातार बनाने लगी. उसका रवैया दिन-प्रतिदिन बदतर होता जा रहा था.

पत्नी के व्यवहार से परेशान
इस तलाक मामले में दंपत्ति की शादी 2 मई 2017 को हुई थी. पत्नी के दबाव बनाने बावजूद पति अपने पैरेंट्स से अलग नहीं रहना चाहता था और पत्नी के व्यवहार से परेशान था.

लगातार मायके जाना
पत्नी हर 15 दिन पर मायके जाती थी और वापस आने पर उसका व्यवहार एकदम बदला हुआ रहता था. उसने सास-ससुर के खिलाफ घरेलु हिंसा का मुकदमा भी दर्ज करा दिया और साल पिछले छह साल से 2019 से अपने मायके (पिता के घर) पर रह रही है.

तलाक अर्जी मंजूर
फैमिली कोर्ट ने साक्ष्यों के आधार पर पति के दलीलों को सही पाते उसकी तलाक की अर्जी मंजूर कर ली. इस दौरान अदालत ने हर महीने पांच हजार रूपये गुजारा भत्ता देने को कहा.

पत्नी पहुंची छत्तीगढ़ हाई कोर्ट
अब पत्नी ने फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में अपील की. हाई कोर्ट ने यह पाते हुए पति ने मानसिक क्रूरता के आरोप को साबित किया है, पत्नी की अर्जी खारिज की.

पत्नी की मांग खारिज
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पत्नी की अपील को खारिज करते हुए फैमिली कोर्ट के तलाक के फैसले को बरकरार रखा है. साथ ही पति को पांच लाख रूपये एकमुश्त गुजारा भत्ता देने को कहा है.

पैरेंट्स से अलग रहना
फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि पति को उसके माता-पिता से अलग रहने के लिए पत्नी का लगातार दबाव बनाना क्रूरता है.