
ड्राइवोर्स मामला
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने एक पत्नी को स्टाम्प ड्यूटी के भुगतान से छूट दी है, जिसने अपने पति से ड्राइवोर्स समझौते के तहत एक फ्लैट प्राप्त किया.

सुप्रीम कोर्ट
डाइवोर्स के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना था कि क्या संपत्ति का स्वामित्व पत्नी को बिना स्टॉम्प ड्यूटी के दिया जा सकता है?

Article 142
संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत दायर इस तलाक आवेदन को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया. इस मामले में पति और पत्नी ने आपसी सहमति से अपनी शादी को समाप्त करने का निर्णय लिया.

फ्लैट के स्वामित्व को लेकर विवाद
इस दौरान, एक फ्लैट को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ, क्योंकि दोनों पक्षों ने इसके खरीदने में योगदान देने का दावा किया.

हुआ समझौता
अंततः, एक समझौता हुआ जिसमें पति ने फ्लैट पर अपने अधिकारों को छोड़ने पर सहमति जताई, जबकि पत्नी ने किसी भी भरण-पोषण नहीं लेने का दावा किया.

पत्नी को फ्लैट
इस मामले में कोर्ट ने विचार किया कि क्या पत्नी के नाम पर फ्लैट का विशेष अधिकार बिना स्टाम्प ड्यूटी के भुगतान के स्थानांतरित किया जा सकता है.

स्टॉम्प ड्यूटी से छूट?
कोर्ट ने सकारात्मक उत्तर दिया और कहा कि चूंकि फ्लैट समझौते का विषय था, इसलिए इसे स्टाम्प ड्यूटी से छूट दी जाएगी.

मुकेश बनाम मध्य प्रदेश राज्य
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपने हाल के ही एक फैसले, मुकेश बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य (2024), के मामले को आधार बनाया,

समझौते की चीजों को छूट
जिसमें अदालती प्रक्रियाओं का हिस्सा होने वाली चीजों को स्टॉम्प ड्यूटी से छूट दी जा सकती है.

पत्नी को नहीं देना होगा स्टॉम्प ड्यूटी
इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि फ्लैट, अदालती समझौते का हिस्सा होने के चलते पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 17(2)(vi) के तहत स्टॉम्प ड्यूटी से छूट के लिए योग्य है.

पत्नी के नाम फ्लैट

ओनरशिप ट्रांसफर में राहत
सुप्रीम कोर्ट ने पंजीकरण अधिनियम 1908 की धारा 17(2)(vi) का हवाला देते हुए कहा कि चूंकि फ्लैट समझौते का विषय है, इसलिए इसे पंजीकरण से छूट दी जाएगी.