Supreme Court On Stridhan: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने स्त्रीधन के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने किसी महिला द्वारा ब्याह में लाई गई संपत्ति पर उसके पति का हक होने से इंकार किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, घर से मिले समान पर 'महिला' का एकाधिकार है. अगर पति चाहे तो जरूरत पड़ने पर वह अपनी पत्नी से मदद की मांग कर सकता है लेकिन उसे ये वापस लौटानी होगी. महिला को उसके घर से मिले 'स्त्रीधन' पर पति का कोई अधिकार नहीं है. बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय ने ये बातें दस साल पुराने तलाक विवाद से जुड़े मामले में कहीं. कोर्ट ने पति को आदेश दिया कि वो अपनी पत्नी को 25 लाख रूपये दें.
स्त्रीधन, किसी महिला को उसके घर से मिले उपहार को कहते हैं. ये उपहार उसे शादी के समय, उससे पहले या बाद में दिया जाता है. यह महिला की पूर्ण संपत्ति है. इस पर पति या उसके परिवार का कोई हक नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले से स्पष्ट किया कि स्त्रीधन पति-पत्नी की साझी संपत्ति नहीं है.
जस्टिस दीपंकर दत्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की डिवीजन बेंच ने इस मामले को सुना. कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए पति को आभूषण देने के आदेश दिए.
महिला ने अदालत को बताया. उसके पति और सास ने शादी की पहली रात ही उसके सारे आभूषण सुरक्षित रखने के नाम पर ले लिए थे. बाद में, उन्होंने इस गहने का इस्तेमाल कर्जा चुकाने में किया.
मामला फैमिली कोर्ट पहुंचा. कोर्ट ने महिला के पक्ष में फैसला सुनाया. फैमिली कोर्ट के इस फैसले को केरल हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. केरल हाईकोर्ट ने पाया कि महिला अपने आरोपों को सिद्ध करने में सफल नहीं रही. सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा से, फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए, महिला के पक्ष में फैसला सुनाया है.