Advertisement

मां का खर्च उठाना बेटे को लग रहा था भारी, राहत के लिए HC तक पहुंचा, लेकिन वहां जो हुआ सुकून देगा

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने एक बेटे की याचिका पर चिंता व्यक्त की, जिसमें उसने अपनी 77 वर्षीय माँ को ₹5,000 का भरण-पोषण देने के आदेश को चुनौती दी थी. अदालत ने कहा कि 77 वर्षीय महिला के पास कोई आय का स्रोत नहीं है, तो उसके बेटे द्वारा याचिका दायर करने का कोई आधार नहीं था.

Written by Satyam Kumar Published : February 27, 2025 3:24 PM IST

1

मां को गुजारा भत्ता

एक व्यक्ति को अपने मां को गुजारे के लिए पांच हजार रूपये देना बहुत भारी पड़ रहा था.

2

5000 रूपये का गुजारा भत्ता

इसलिए गुजारा भत्ता की राशि कम करवाने को लेकर उसने अदालत में याचिका दायर की.

3

77 वर्षीय महिला

वृद्ध महिला यानि की उम्र 77 वर्ष है. उनके पति की मृत्यु साल 1992 में हो चुकी है. उनके दो बेटे और एक बेटी है. अब दो बेटे में से एक की मृत्यु हो चुकी है.

Advertisement
Advertisement
4

बेटे और पोते को मिली संपत्ति

पति की मृत्यु के बाद, महिला की 50 बिघा भूमि उनके बेटे और उनके मृत बेटे के बेटों के पास चली गई.

5

फैमिली कोर्ट का फैसला

इस दौरान अदालत ने महिला को एक लाख रूपये और हर महीने पांच हजार रूपये गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया.

6

गुजारा भत्ता से बेटे ने जताई नाराजगी

अब बेटे ने माँ को ₹5,000 का भरण-पोषण देने के आदेश को चुनौती देते हुए कि चूंकि वह उनके साथ नहीं रह रही थीं. हालांकि, फैमिली कोर्ट ने उनकी मांग खारिज कर दी.

7

Punjab And Haryana HC

8

बेटी के साथ रह रही महिला

मां का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने तर्क किया कि महिला के पास कोई आय का स्रोत नहीं है और वह अपनी बेटी की दया पर जीने के लिए मजबूर हैं, उनके पास जीवित रहने का कोई अन्य विकल्प नहीं है.

9

बेटे से हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी

पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि जब यह पाया गया कि वृद्ध महिला के पास कोई आय का स्रोत नहीं है, तो उसके बेटे द्वारा याचिका दायर करने का कोई आधार नहीं था.

Advertisement
Advertisement
10

अदालत की आत्मा को झकझोरता है

अदालत ने कहा कि यह याचिक इस न्यायालय की आत्मा को झकझोरता है कि बेटा अपनी माँ के खिलाफ ₹5,000 के भरण-पोषण के निर्धारण को चुनौती देने के लिए याचिका दायर करने का चयन करता है, जबकि वह अपने पिता की संपत्ति का उत्तराधिकारी है और जानता है कि 77 वर्षीय वृद्ध माँ के पास कोई आय का स्रोत नहीं है.

11

बेटे पर 50,000 का जुर्माना

अदालत ने बेटे पर 50,000 रूपये का जुर्माना लगाते हुए कहा कि कालयुग का एक आदर्श उदाहरण है जो वर्तमान मामले से स्पष्ट होता है. साथ ही तीन महीने के भीतर इस पैसे को भरने का आदेश दिया है.