
मां को गुजारा भत्ता
एक व्यक्ति को अपने मां को गुजारे के लिए पांच हजार रूपये देना बहुत भारी पड़ रहा था.

5000 रूपये का गुजारा भत्ता
इसलिए गुजारा भत्ता की राशि कम करवाने को लेकर उसने अदालत में याचिका दायर की.

77 वर्षीय महिला
वृद्ध महिला यानि की उम्र 77 वर्ष है. उनके पति की मृत्यु साल 1992 में हो चुकी है. उनके दो बेटे और एक बेटी है. अब दो बेटे में से एक की मृत्यु हो चुकी है.

बेटे और पोते को मिली संपत्ति
पति की मृत्यु के बाद, महिला की 50 बिघा भूमि उनके बेटे और उनके मृत बेटे के बेटों के पास चली गई.

फैमिली कोर्ट का फैसला
इस दौरान अदालत ने महिला को एक लाख रूपये और हर महीने पांच हजार रूपये गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया.

गुजारा भत्ता से बेटे ने जताई नाराजगी
अब बेटे ने माँ को ₹5,000 का भरण-पोषण देने के आदेश को चुनौती देते हुए कि चूंकि वह उनके साथ नहीं रह रही थीं. हालांकि, फैमिली कोर्ट ने उनकी मांग खारिज कर दी.

Punjab And Haryana HC

बेटी के साथ रह रही महिला
मां का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने तर्क किया कि महिला के पास कोई आय का स्रोत नहीं है और वह अपनी बेटी की दया पर जीने के लिए मजबूर हैं, उनके पास जीवित रहने का कोई अन्य विकल्प नहीं है.

बेटे से हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी
पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि जब यह पाया गया कि वृद्ध महिला के पास कोई आय का स्रोत नहीं है, तो उसके बेटे द्वारा याचिका दायर करने का कोई आधार नहीं था.

अदालत की आत्मा को झकझोरता है
अदालत ने कहा कि यह याचिक इस न्यायालय की आत्मा को झकझोरता है कि बेटा अपनी माँ के खिलाफ ₹5,000 के भरण-पोषण के निर्धारण को चुनौती देने के लिए याचिका दायर करने का चयन करता है, जबकि वह अपने पिता की संपत्ति का उत्तराधिकारी है और जानता है कि 77 वर्षीय वृद्ध माँ के पास कोई आय का स्रोत नहीं है.

बेटे पर 50,000 का जुर्माना
अदालत ने बेटे पर 50,000 रूपये का जुर्माना लगाते हुए कहा कि कालयुग का एक आदर्श उदाहरण है जो वर्तमान मामले से स्पष्ट होता है. साथ ही तीन महीने के भीतर इस पैसे को भरने का आदेश दिया है.