नाबालिग लेकिन आदतन अपराधी... लूटपाट के चार मामलों में आरोपी को जमानत देने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इंकार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी के ऊपर लूटपाट के 4 मामले हैं और उसके व्यवहार में कोई सुधार नहीं है, इसलिए उसे ज़मानत नहीं दी जा सकती.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी के ऊपर लूटपाट के 4 मामले हैं और उसके व्यवहार में कोई सुधार नहीं है, इसलिए उसे ज़मानत नहीं दी जा सकती.
सुप्रीम कोर्ट ने निजी रक्षा के सिद्धांतों को स्पष्ट करते हुए कहा कि निजी रक्षा का उद्देश्य केवल खतरे को टालना है, ना कि दंडात्मक या प्रतिशोधात्मक कार्रवाई करना.
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 174ए एक अलग, मूल अपराध है, जो सीआरपीसी की धारा 82 के तहत भगोड़ा घोषित किये जाने का आदेश वापस लिये जाने के बाद भी जारी रह सकता है. यह एक अलग अपराध है.
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 172, केस डायरी की आवश्यकता और उपयोग को स्पष्ट करते हैं. नए अपराधिक कानून आने के बाद से यानि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 192 में इस केस डायरी के महत्व का जिक्र आता है.
सुप्रीम कोर्ट ने सास-ससुर के खिलाफ सेक्शन 498ए का मुकदमा रद्द करते हुए कहा कि महिला ने पति से तलाक पाने के लिए अपने सास-ससुर के खिलाफ क्रूरता का मुकदमा दर्ज करवाया, क्योंकि जब महिला ने तलाक की मांग की थी तो इसमें उसके साथ हुए क्रूरता का कोई जिक्र नहीं है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के सामने आया, जिसमें एक व्यक्ति को कांस्टेबल (Constable) के पद पर बहाल करने से इंकार कर दिया गया था. वजह थी कि व्यक्ति ने अपने खिलाफ दर्ज एक अपराधिक मामले (Criminal Case) को छिपाया था.
टोंक के समरवाता में ड्यूटी कर रहे लोक सेवक (Public Servant) पर हाथ उठाने के मामले ने पूरे देश में विवाद खड़ा कर रखा है. BNS Section 132 के अनुसार, अगर कोई लोक सेवक को सरकारी कार्य से रोकने के लिए बल प्रयोग करता है या हमला करता है, तो आरोप सिद्ध होने पर उसे अधिकतम दो साल की जेल और जुर्माना, दोनों लगाया जा सकता है.
भारतीय न्याय संहिता की धारा 351(3) के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति किसी को जान से मारने, गंभीर नुकसान पहुंचाने और किसी की संपत्ति नष्ट करने की धमकी देता है, उसे सात साल तक की जेल की सजा देने का प्रावधान है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एमपी-एमएलए कोर्ट से सांसद-विधायक के खिलाफ लंबित मामलों की लिस्ट भी मांगी है.
जस्टिस ओका ने आगे कहा कि अपराधी और आपराधिकता का जाति, धर्म या समुदाय से कोई संबंध नहीं है और यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन है.
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला कहा कि किसी मामले में गिरफ्तार व्यक्ति एक दूसरे मामले में जमानत की मांग कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी को किसी मामले में अग्रिम जमानत मांगने का अधिकार है, जब तक कि उसे मामले में गिरफ्तार नहीं किया जाता है.
पश्चिम बंगाल सरकार ने बलात्कार जैसे यौन अपराधों के लिए सजा में संशोधन करने के लिए अपराजिता महिला एवं बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया है. इस विधेयक का उद्देश्य बलात्कार मामलों में दोषी पाए जाने वालों के लिए मृत्युदंड जैसी कठोर सजा का प्रावधान करना है, जिससे राज्य में महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण बने.
Supreme Court ने कहा कि अगर कंपनी Cheating या Criminal breach of trust करती है तो कंपनी के अधिकारियों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. शिकायतकर्ता को अधिकारियों के खिलाफ सीधे आरोप साबित करने होंगे. कोर्ट दिल्ली रेस क्लब द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें एक सप्लायर द्वारा भुगतान न करने का आरोप लगाया गया था. कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि आरोपी को समन भेजना एक गंभीर मामला है और इसे यंत्रवत् नहीं किया जा सकता.
Kerala High Court ने Three Criminal Laws के हिंदी नाम को चुनौती देनेवाली PIL खारिज कर दी है. PIL में दावा किया गया था कि
पूर्व केन्द्रीय मंत्री Rajeev Chandrasekhar ने कांग्रेस सांसद Sashi Tharoor के खिलाफ Criminal Defamation का मुकदमा Patiala Court में दर्ज कराया है जिसे Rouse Avenue Court में ट्रांसफर कर दिया गया है.
Jammu and Kashmir High Court ने Judge को धमकी देनेवाले IAS अधिकारी के खिलाफ Criminal Contempt Proccedings चलाने के निर्देश दिए हैं.
भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 बलात्कार के अपराध की व्याख्या करती है. साथ ही बीएनएस की धारा 63 किन परिस्थितियों में किसी महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार माना जाएगा की पुष्टि करती है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट सत्र के दौरान नागरिकों को एक बड़ी सौगात दी है कि अब टीडीएस भरने में देरी होने पर अपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी के ऊपर लूटपाट के 4 मामले हैं और उसके व्यवहार में कोई सुधार नहीं है, इसलिए उसे ज़मानत नहीं दी जा सकती.
सुप्रीम कोर्ट ने निजी रक्षा के सिद्धांतों को स्पष्ट करते हुए कहा कि निजी रक्षा का उद्देश्य केवल खतरे को टालना है, ना कि दंडात्मक या प्रतिशोधात्मक कार्रवाई करना.
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 174ए एक अलग, मूल अपराध है, जो सीआरपीसी की धारा 82 के तहत भगोड़ा घोषित किये जाने का आदेश वापस लिये जाने के बाद भी जारी रह सकता है. यह एक अलग अपराध है.
सुप्रीम कोर्ट ने सास-ससुर के खिलाफ सेक्शन 498ए का मुकदमा रद्द करते हुए कहा कि महिला ने पति से तलाक पाने के लिए अपने सास-ससुर के खिलाफ क्रूरता का मुकदमा दर्ज करवाया, क्योंकि जब महिला ने तलाक की मांग की थी तो इसमें उसके साथ हुए क्रूरता का कोई जिक्र नहीं है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के सामने आया, जिसमें एक व्यक्ति को कांस्टेबल (Constable) के पद पर बहाल करने से इंकार कर दिया गया था. वजह थी कि व्यक्ति ने अपने खिलाफ दर्ज एक अपराधिक मामले (Criminal Case) को छिपाया था.
भारतीय न्याय संहिता की धारा 351(3) के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति किसी को जान से मारने, गंभीर नुकसान पहुंचाने और किसी की संपत्ति नष्ट करने की धमकी देता है, उसे सात साल तक की जेल की सजा देने का प्रावधान है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एमपी-एमएलए कोर्ट से सांसद-विधायक के खिलाफ लंबित मामलों की लिस्ट भी मांगी है.
जस्टिस ओका ने आगे कहा कि अपराधी और आपराधिकता का जाति, धर्म या समुदाय से कोई संबंध नहीं है और यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन है.
पश्चिम बंगाल सरकार ने बलात्कार जैसे यौन अपराधों के लिए सजा में संशोधन करने के लिए अपराजिता महिला एवं बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया है. इस विधेयक का उद्देश्य बलात्कार मामलों में दोषी पाए जाने वालों के लिए मृत्युदंड जैसी कठोर सजा का प्रावधान करना है, जिससे राज्य में महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण बने.
Supreme Court ने कहा कि अगर कंपनी Cheating या Criminal breach of trust करती है तो कंपनी के अधिकारियों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. शिकायतकर्ता को अधिकारियों के खिलाफ सीधे आरोप साबित करने होंगे. कोर्ट दिल्ली रेस क्लब द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें एक सप्लायर द्वारा भुगतान न करने का आरोप लगाया गया था. कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि आरोपी को समन भेजना एक गंभीर मामला है और इसे यंत्रवत् नहीं किया जा सकता.
Kerala High Court ने Three Criminal Laws के हिंदी नाम को चुनौती देनेवाली PIL खारिज कर दी है. PIL में दावा किया गया था कि
भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 बलात्कार के अपराध की व्याख्या करती है. साथ ही बीएनएस की धारा 63 किन परिस्थितियों में किसी महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार माना जाएगा की पुष्टि करती है.
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने क्रिमिनल कोड ऑफ प्रोसीजर की धारा 64 को चुनौती देनेवाली रिट याचिका खारिज की है. सीआरपीसी की धारा 64 महिलाओं को समन प्राप्त करने की अनुमति नहीं देती थी. वहीं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS, 2023) में महिलाओं को समन रिसीव करने का अधिकार दिया गया है.
दिल्ली के सभी जिला बार एसोसिएशनों के अधिवक्ताओं ने तीन नए कानूनों के कुछ प्रावधानों के विरोध में सोमवार को न्यायिक कार्य से दूर रहे.
विरोध प्रदर्शन को आयोजित करनेवाली ऑल इंडिया लॉयर्स एसोसिएशन ने तीनों अपराधिक कानून से आपत्ति जताई है. आयोजनकर्ता के अनुसार, इस कानून में पुलिस कोअत्यधिक शक्तियां दी गई हैं, लीगल प्रोसीजर को पहले की अपेक्षा अधिक कठोर बनाया है और संस्थाओं की शक्तियों को घटाने का प्रयास किया गया है.
नए अपराधिक कानून देश भर में लागू हो चुके हैं. इन कानूनों को कार्य प्रणाली में लाने को लेकर सरकार लगातार अपने प्रयासों में जुटी है.
बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय ने लोगों से अपने कंफर्ट जोन से बाहर आकर बदली हुई मानसिकता के साथ तीन नए कानूनों का स्वागत करने का आग्रह किया है.
1 जुलाई यानि आज से देश में तीन नए अपराधिक कानून लागू होने जा रहे हैं. कुछ लोगों के अनुसार, अंग्रेजी राज से छुटकारा पाना है, तो कुछ जगहों पर स्वदेशी कानून आने की खुशी है. आइये जानते हैं तीन अपराधिक कानून में किन-किन नियमों में बदलाव हुए है...
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 172, केस डायरी की आवश्यकता और उपयोग को स्पष्ट करते हैं. नए अपराधिक कानून आने के बाद से यानि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 192 में इस केस डायरी के महत्व का जिक्र आता है.