
केस डायरी
केस डायरी एक आपराधिक मामले की दैनिक जांच का एक रिकॉर्ड है, जिसे पुलिस अधिकारी (IO) द्वारा दर्ज किया जाता है.

CrPC की धारा 172 और BNSS की धारा 192
केस डायरी दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 172, अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 192, के अनुसार जांच के दौरान आवश्यक होता है. इसमें पुलिस अधिकारी हर दिन की जांच का विवरण रखते हैं, जो भविष्य में मुकदमे की सुनवाई में सहायक होता है.

केस डायरी का महत्व
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 172, केस डायरी की आवश्यकता और उपयोग को स्पष्ट करते हैं.

घटना की जांच से जुड़ी जानकारी
धारा 172 (1) के अनुसार, पुलिस अधिकारी को यह सुनिश्चित करना होगा कि डायरी में उन समयों का उल्लेख हो जब उसे सूचना मिली, जब उसने अन्वेषण शुरू किया और जब इसे समाप्त किया गया.

मिलती है घटना की जानकारी
धारा 172 (2) में अदालतों को इन डायरियों को मंगाने का अधिकार है. हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि डायरी का उपयोग केवल जांच या विचारण में सहायता के लिए किया जाता है, और यह सबूत के रूप में मान्य नहीं होती.

आरोपी नहीं मांग सकते केस डायरी
सीआरपीसी की धारा धारा 172 (3) के अनुसार, न तो आरोपी व्यक्ति और न ही उसका कोई प्रतिनिधि, डायरी में लिखी जानकारी की मांग कर सकता है.

आरोपों का खंडन करने के दौरान
धारा 172 (3) के अनुसार, आरोपी केवल तभी केस डायरी देख सकता है जब अदालत, सुनवाई के दौरान, आरोपों के खंडन के लिए उपयोग करती है.

अपराधिक घटना की पूरी जानकारी
इस प्रकार, केस डायरी एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो आपराधिक मामलों की जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

बिना सबूत के Case Diary
बता दें कि बिना सबूत के केस डायरी अदालतों के लिए भी एक संदर्भ बिंदु मात्र है.