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Anti-Rape Bill: विक्टिम की मौत पर रेपिस्ट को होगी फांसी, बंगाल सदन में पारित हुआ अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक, जानिए इसकी खास बातें

अपराजिता विधेयक

पश्चिम बंगाल सरकार ने बलात्कार जैसे यौन अपराधों के लिए सजा में संशोधन करने के लिए अपराजिता महिला एवं बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया है. इस विधेयक का उद्देश्य बलात्कार मामलों में दोषी पाए जाने वालों के लिए मृत्युदंड जैसी कठोर सजा का प्रावधान करना है, जिससे राज्य में महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण बने.

Written by Satyam Kumar |Updated : September 3, 2024 5:06 PM IST

Aparajita Woman and Child (West Bengal Criminal Laws Amendment) Bill, 2024: आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर की रेप-मर्डर की घटना पर त्वरित कार्रवाई करते हुए बंगाल सरकार ने सदन में एंटी-रेप लॉ पारित किया है. पश्चिम बंगाल सरकार ने बलात्कार जैसे यौन अपराधों के लिए सजा को और कठोर बनाने  के लिए अपराजिता महिला एवं बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया है. इस विधेयक का उद्देश्य बलात्कार मामलों में दोषी पाए जाने वालों के लिए मृत्युदंड जैसी कठोर सजा का प्रावधान करना है, जिससे राज्य में महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण बने. विधेयक में बलात्कार के मामलों में जांच और मुकदमे के समापन के लिए समय-सीमा भी तय करने का भी प्रावधान है.

क्या है अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक, 2024 ?

अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक, 2024 को बंगाल सरकार राज्य में बलात्कार की घटना से निपटने के लिए लागू करने जा रही है. विधेयक बलात्कार के मामलों में सजा, त्वरित कार्रवाई व स्पीडी ट्रायल को कानून बनाने जा रही है. विधेयक में दोषी साबित होने पर आरोपी को मृत्युदंड से लेकर उम्रकैद तक की कठोर सजा देने का प्रावधान है.

अपराजिता महिला एवं बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) विधेयक, 2024 के मुख्य प्रावधान इस प्रकार हैं;

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  1. प्रस्तावित विधेयक भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 64, 66, 70(1), 71, 72(1), 73, 124(1) और 124(2) को संशोधित करने का प्रस्ताव करती है, जो बलात्कार, बलात्कार और हत्या, सामूहिक बलात्कार और एसिड अटैक जैसे अपराधों से संबंधित है. इसमें बलात्कार के अपराधों के लिए 12, 16 और 18 वर्ष से कम उम्र के अपराधियों की सजा से संबंधित कुछ प्रावधानों को हटाने की बात कही गई है.
  2. विधेयक में बलात्कार की जांच और मुकदमा में लगने वाले समय में परिवर्तन करने का प्रस्ताव किया गया है, जिसके अनुसार 21 दिनों के भीतर जांच पूरा कर प्रारंभिक रिपोर्ट को सौंपना अनिवार्य किया गया है, अभी यह समय सीमा दो महीने की है.
  3. विधेयक के तहत, एक अपराजिता टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा.
  4. प्रस्तावित विधेयक में तीन सप्ताह की जांच की समयसीमा को 15 दिन में पूरी करने की बात कही गई है, जिसे एसपी या समकक्ष रैंक के पुलिस अधिकारी द्वारा किया जाएगा. साथ ही मामले में केस डायरी को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के अनुसार लिखा जाना चाहिए.
  5. प्रस्तावित कानून में बार-बार अपराध करने वालों (Repeat Offenders) के लिए कठोर दंड का प्रावधान किया गया है, जिसमें आजीवन कारावास, मृत्युदंड के साथ-साथ जुर्माना भी शामिल है.
  6. कानून में अदालती कार्यवाही को अनधिकृत तौर पर प्रकाशित करने  पर 3 से 5 साल की कैद और जुर्माने लगाने की सजा का प्रावधान है.
  7. राज्य में हर जगह सीसीटीवी लगाया जाएगा. रात्रि में काम करनेवाली महिलाओं को पूरी सुरक्षा दी जाएगी.

विधेयक में साफ तौर पर कहा गया है कि अगर घटना के बाद पीड़ित कोमा में जाती है या उसकी हत्या कर दी जाती है, तो इन मामलों में आरोपी को मृत्युदंड दिया जाएगा.

सदन से पारित हुआ अपराजिता विधेयक, कानून बनने के लिए राज्यपाल की चाहिए मंजूरी

अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक के सदन से पास होने पर ममता बनर्जी ने खुशी जताई. उन्होंने कहा कि विधेयक को अब राज्यपाल और उसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी चाहिए, जिसके बाद ये कानून बन जाएगा. ममता बनर्जी ने कहा कि ये कानून पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए आवश्यक है.