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Waqf Amendment Act से जुड़ी याचिकाओं पर त्वरित सुनवाई की मांग से CJI हुए नाराज, Case Listing का प्रोसेस याद दिला दिया

जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की ओर से मौजूद सीनियर एडवोकेट व राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने मामले की त्वरित सुनवाई की मांग की. मास्टर ऑफ रोस्टर यानि सीजेआई संजीव खन्ना इन दलीलों से नाराज होते हुए कहा कि मामलो की सुनवाई की मांग मौखिक तौर पर क्यों की जा रही हैं?

Written by Satyam Kumar |Published : April 7, 2025 2:23 PM IST

वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 से जुड़ी अब तक पांच याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट दायर की गई है. आज सुप्रीम कोर्ट में इन याचिकाओं पर त्वरित सुनवाई मांग की मांग की गई. याचिकाकर्ता (जमीयत-उलेमा-ए-हिंद)  की ओर से मौजूद सीनियर एडवोकेट व राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने मामले की त्वरित सुनवाई की मांग की. मास्टर ऑफ रोस्टर यानि सीजेआई संजीव खन्ना इन दलीलों से नाराज होते हुए कहा कि मामलो की सुनवाई की मांग मौखिक तौर पर क्यों की जा रही हैं? जब त्वरित सुनवाई की मांग को ईमेल करके बताना है. सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि महोदय, ईमेल भेजा जा चुका है. इस दौरान मौजूद एडवोकेट निजाम पाशा ने भी एआईओआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी द्वारा दायर याचिका का जिक्र किया. इसके बाद सीजेआई ने आश्वासन देते हुए कहा कि यह ईमेल दोपहर में उनके पास लाया जाएगा, जिसके बाद वे इस पर फैसला लेंगे.

वक्फ संशोधन अधनियम को चुनौती

संसद द्वारा शुक्रवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किए जाने के तुरंत बाद संशोधनों को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की गई हैं. संसद के दोनों सदनों में विधेयक पारित होने के बाद, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने घोषणा की कि वह वक्फ (संशोधन) विधेयक को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देगी. कांग्रेस सांसद ने दावा किया कि यह संविधान के मूल ढांचे पर हमला है और इसका उद्देश्य धर्म के आधार पर देश को ध्रुवीकृत और विभाजित करना है. कांग्रेस सांसद और लोकसभा में पार्टी के सचेतक मोहम्मद जावेद ने अपनी याचिका में कहा कि ये संशोधन संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 25 (धर्म का पालन और प्रचार करने की स्वतंत्रता), 26 (धार्मिक संप्रदायों को अपने धार्मिक मामलों का प्रबंधन करने की स्वतंत्रता), 29 (अल्पसंख्यकों के अधिकार) और 300ए (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन करते हैं.

मुसलमानों के धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला

अपनी याचिका में जमीयत उलमा-ए-हिंद ने कहा है कि यह कानून देश के संविधान पर सीधा हमला है, जो न केवल अपने नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करता है, बल्कि उन्हें पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता भी प्रदान करता है.

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जमीयत ने कहा,

"यह विधेयक मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता छीनने की एक खतरनाक साजिश है. इसलिए, हमने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है और जमीयत उलमा-ए-हिंद की राज्य इकाइयां भी अपने-अपने राज्यों के उच्च न्यायालयों में इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देंगी."

इसी तरह, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शीर्ष अदालत का रुख किया.

गरीब मुसलमानों को पहुंचेगा लाभ

वहीं केंद्र सरकार ने कहा कि इस कानून से करोड़ों गरीब मुसलमानों को फायदा होगा और यह किसी भी तरह से किसी भी मुसलमान को नुकसान नहीं पहुंचाता है. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि यह कानून वक्फ संपत्तियों में हस्तक्षेप नहीं करता है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार 'सबका साथ और सबका विकास' के दृष्टिकोण के साथ काम करती है.