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सेवानिवृत हुए भारत के 51वें CJI Sanjiv Khanna, जानें उनके सुनाए ऐतिहासिक फैसले

सीजेआई संजीव खन्ना ने अनुच्छेद 370, इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम, ईवीएम-वीवीपैट मिलान आदि ऐतिहासिक मामलों में फैसला सुनाया. उन्होंने पूजा स्थलों अधिनियम और वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 से संबंधित महत्वपूर्ण मामलों क भी सुनवाई की.

Written by Satyam Kumar |Published : May 13, 2025 4:06 PM IST

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना 65 वर्ष की आयु पूरी करने पर आज सेवानिवृत्त हुए. जस्टिस संजीव खन्ना ने पिछले वर्ष 11 नवंबर को 51वें सीजेआई के रूप में शपथ ली थी और उनका कार्यकाल लगभग छह महीने का रहा. वहीं, न्यायमूर्ति खन्ना के सेवानिवृत्त होने के बाद, वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय के सीनियरमोस्ट जज जस्टिस बी आर गवई 52वें सीजेआई के रूप में शपथ लेंगे. सर्वोच्च न्यायालय में अपने छह महीने से अधिक के कार्यकाल के दौरान, न्यायमूर्ति खन्ना ने कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए, जिनमें अनुच्छेद 370, व्यभिचार का अपराधीकरण, चुनावी बॉन्ड योजना, ईवीएम-वीवीपैट मिलान मामले आदि पर फैसले शामिल हैं.

जस्टिस संजीव खन्ना ने जनवरी 2019 तक दिल्ली हाई कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में कार्य किया. उनका जन्म मई 1960 में हुआ था और उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैम्पस लॉ सेंटर से विधि की डिग्री प्राप्त की. 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में वकील के रूप में पंजीकरण कराया और उन्होंने मुख्य रूप से कराधान, मध्यस्थता, वाणिज्यिक कानून, पर्यावरण कानून, चिकित्सा लापरवाही कानून, और कंपनी कानून में प्रैक्टिस की. CJI खन्ना की अध्यक्षता वाली विशेष पीठ ने 12 दिसंबर 2024 को एक अंतरिम आदेश में कहा कि देश में पूजा स्थलों के कानून के तहत  अब कोई नई याचिका दायर नहीं की जाएगी. यह कानून 15 अगस्त 1947 के बाद से पूजा स्थलों के स्वरूप में किसी भी बदलाव के खिलाफ है.

Waqf Act 2025: वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान, CJI खन्ना की पीठ ने संकेत दिया कि वे एक स्थगन आदेश पारित कर सकते हैं. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि वे 'वक्फ द्वारा उपयोग' से संबंधित प्रावधानों को निलंबित नहीं करेंगे. अब सीजेआई ने इस मामले की सुनवाई को अगले सीजेआई के पास भेजा है, अब वे ही इन मामलों की लिस्टिंग देखेंगे.

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Contempt of Court: CJI खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना की याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. हालांकि, उन्होंने कहा कि बीजेपी सांसद की टिप्पणियां अत्यंत गैर-जिम्मेदार थीं और इससे न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचता है. CJI खन्ना की पीठ ने कहा कि किसी भी प्रकार का नफरत फैलाना या घृणास्पद भाषण सहन नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इससे लक्षित समूहों की गरिमा और आत्म-सम्मान को नुकसान पहुंचता है और यह एक आपराधिक अपराध है.

VVPAT-EVM plea: CJI खन्ना ने कहा कि जबकि मतदाताओं का मौलिक अधिकार है कि उनका वोट सही तरीके से गिना जाए, लेकिन यह 100 प्रतिशत VVPAT पर्चियों की गिनती के अधिकार के बराबर नहीं है. उन्होंने कहा कि VVPAT पर्चियों तक भौतिक पहुंच देना समस्याग्रस्त और अव्यवहारिक है.

Arvind Kejriwal Plea: CJI खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि पूर्व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी जा सकती है. उन्होंने कहा कि जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार अटूट है और केजरीवाल ने 90 दिनों से अधिक समय तक कारावास में बिताया है. जस्टिस खन्ना की पीठ ने केजरीवाल से कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने पर विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण पद है और आरोपों को देखते हुए यह जरूरी है कि केजरीवाल खुद इस पर विचार करें.