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Murshidabad Violence की घटना 'भयावह', Calcutta HC ने बंगाल सरकार से कहा, प्रभावितों को बसाने और सहायता देने के निर्देश

सुनवाई के दौरान कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को बताया कि मृतकों के परिवारों को 10 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की गई है. अभी किसी को घटनास्थल पर जाने की अनुमति नहीं दी गई है क्योंकि स्थिति में सुधार हो रहा है. अब तक 69 में से 49 परिवार अपने घर लौट चुके हैं.

Murshidabad Violence, Calcutta HC

Written by Satyam Kumar |Published : April 17, 2025 5:44 PM IST

आज मुर्शिबाद हिंसा की घटना को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. कलकत्ता हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद इस घटना को बेहद भयंकर बताया. कलकत्ता हाई कोर्ट ने पलायन कर चुके एक समुदाय लोगों को वापस पुर्नवास कराने और आर्थिक सहायता प्रदान करने का आदेश सुनाया है. मुर्शिदाबाद हिंसा पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने दूसरे दिन सुनवाई की है. कलकत्ता हाई कोर्ट ने पहले दिन घटनास्थल पर केन्द्रीय पुलिस बल (BSF) तैनात करने के आदेश दिए है.

केन्द्र सरकार को जिम्मेदारी लेनी होगी: बंगाल सरकार

पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाई कोर्ट को बताया कि राज्य की पुलिस ने समय रहते उचित कार्रवाई की है. अब तक मुर्शिदाबाद जिले के दो पुलिस जिलों से गिरफ्तारियां हुई हैं—315 जंगीपुर और 274 मुर्शिदाबाद से. साथ ही स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए इंटरनेट सेवा बंद की गई है. फेक न्यूज और अफवाहें फैलाई जा रही हैं, जिसमें 'हिंदू राष्ट्र' की बात कहकर धार्मिक ध्रुवीकरण करने की कोशिश की जा रही है. पुलिस और प्रशासन की त्वरित कार्रवाई से मुर्शिदाबाद में अब स्थिति नियंत्रण में है. जंगीपुर में लगभग 4-5 हजार लोगों ने नेशनल हाईवे जाम किया था. जब पुलिस ने कार्रवाई की, तो उस पर पत्थरबाजी की गई,

आवेदनकर्ता सुवेंदु अधिकारी के इशारे पर ही पुलिस पर हमला किया गया, ऐसा टीएमसी का आरोप है. केंद्र सरकार को अपनी ज़िम्मेदारी लेनी होगी, क्योंकि वक्फ एक्ट जैसे कानून देश के 30 करोड़ लोगों को प्रभावित करते हैं. यह पूरी घटना केंद्र सरकार के खिलाफ एक साजिश प्रतीत होती है. सवाल उठाया गया कि क्या केंद्र सरकार फोर्स भेजकर आम लोगों पर गोली चलाएगी, जैसा कि कुचबिहार में हुआ था.

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69 में 49 लोग अपने घर पहुंच चुके: बंगाल राज्य

राज्य सरकार के अनुसार, स्थिति सामान्य हो रही है और किसी को उसे बिगाड़ने का अधिकार नहीं है. राज्य पुलिस निष्पक्ष रूप से कार्य कर रही है. याचिकाकर्ता (सुवेंदु अधिकारी) पक्षपाती हैं और उनका इरादा धर्मनिरपेक्षता को चोट पहुंचाना है. इंडियन एक्सप्लोसिव एक्ट के तहत दो मामले दर्ज किए गए हैं. राज्य सरकार ने विस्थापित लोगों को सुरक्षित घर पहुंचाने और राहत देने की जिम्मेदारी ली है. शमशेरगंज थाना क्षेत्र में 160 लोगों को 10 हजार रुपये की सहायता दी गई है. फेक न्यूज फैलाने वाले 1093 सोशल मीडिया अकाउंट को पुलिस द्वारा ब्लॉक किया गया है.

एक वकील ने भी भड़काऊ वीडियो पोस्ट किया, जिससे हिंसा भड़क सकती थी. 21. यह पूरी कोशिश धार्मिक भेदभाव फैलाने और राजनीति करने के लिए की जा रही है. सवाल उठाया गया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग केवल पश्चिम बंगाल ही क्यों आता है, अन्य राज्यों में क्यों नहीं? मृतकों के परिवारों को 10 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की गई है. अभी किसी को घटनास्थल पर जाने की अनुमति नहीं दी गई है क्योंकि स्थिति में सुधार हो रहा है. अब तक 69 में से 49 परिवार अपने घर लौट चुके हैं.

BSF बलों की तैनाती बरकरार रखा जाए: केन्द्र

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कलकत्ता हाई कोर्ट के सामने कहा कि यदि कहीं भी विस्फोट की घटना होती है, तो जिले के SP को नियमों के तहत राज्य सरकार को और राज्य सरकार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को तुरंत सूचना देनी चाहिए. साथ ही मुर्शिदाबाद में केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती को बरकरार रखा जाए.

केन्द्र सरकार ने मांग करते हुए कहा कि केंद्रीय बलों को स्वतंत्र कार्यक्षेत्र मिलना चाहिए ताकि वे बिना राज्य पुलिस के अधीन रहे, अपने स्तर पर कार्रवाई कर सकें. राज्य पुलिस के अधीन केंद्रीय बलों की तैनाती नहीं होनी चाहिए. BSF को स्वतंत्र रूप से कार्य करने की अनुमति दी जानी चाहिए.

NIA जांच कराने की मांग

याचिकाकर्ता ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) एक्ट की धारा 6 के तहत NIA से जांच की मांग की है. दंगों के दौरान BSF जवानों पर भी हमला किया गया, जो आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय है. नेता ने दावा किया कि 13 अप्रैल को पीटीआई की रिपोर्ट में दावा किया गया कि दंगों में बम का इस्तेमाल हुआ था. इस लिहाज से यह कोई साधारण घटना नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक ठोस और बार-बार दोहराया जाने वाला पैटर्न है. उन्होंने आरोप लगाया कि बंगाल में पहले भी इसी तरह के दंगे हुए हैं, जो शुक्रवार को शुरू होते हैं और एक खास समुदाय द्वारा फैलाए जाते हैं.

मालदह के मोथाबाड़ी में भी इसी तरह की घटना हुई थी, जिसे लेकर राज्य सरकार ने आपत्ति दर्ज कराई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस घटना के पीछे बांग्लादेशी आतंकी तत्व शामिल हो सकते हैं. टीएमसी के एक प्रवक्ता ने भी स्वीकार किया कि बांग्लादेश से आए लोग दंगे में शामिल थे और यह बात उन्होंने मीडिया में कही. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि दंगाइयों को पत्थरबाजी के लिए पैसे दिए गए. UAPA एक्ट की धारा 15 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति ऐसी परिस्थिति उत्पन्न करता है जिससे देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा हो, तो उसके खिलाफ UAPA के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है.

सुनवाई के दौरान कहा गया कि एक इमाम ने एक इंटरव्यू में धमकी दी कि यदि यह कानून रद्द नहीं किया गया, तो पूरे देश को ठप कर दिया जाएगा. दंगाइयों ने तिरंगा लेकर बम और पत्थर फेंके, जो राष्ट्रध्वज का दुरुपयोग है. ऐसा प्रतीत होता है कि शाहीनबाग जैसी स्थिति पैदा करने की कोशिश की जा रही है. दंगों के दौरान हिंदू महिलाओं के साथ अत्याचार हुआ, उनकी सिंदूर पोछ दी गई और तुलसी की माला तोड़ दी गई. यदि दंगाई वास्तव में बाहर से आए थे, तो NIA जांच पूरी तरह उचित है. बंगाल सरकार की ओर से  यह सवाल उठाया गया कि सीमा पर अब तक फेंसिंग क्यों नहीं हुई, केंद्र सरकार ने इस संबंध में तीन बार राज्य सरकार को पत्र लिखा था (राजनाथ सिंह और अमित शाह द्वारा), लेकिन राज्य सरकार ने अब तक जरूरी जमीन उपलब्ध नहीं कराई. नतीजतन, 72 बॉर्डर आउटपोस्ट अब भी बिना फेंसिंग के हैं.