Three New Criminal Laws: 1 जुलाई यानि की आज से देश भर में तीन नए अपराधिक कानून लागू हो चुके हैं. शिकायत लिखे जाने, मुकदमे की कार्यवाही और साक्ष्यों की व्याख्या को लेकर नए कानून आ चुके है, समयानुकुल बनाने की कोशिश की गई है. नए अपराधों को शामिल किया गया है. कानून को दंडात्मक की जगह सुधारात्मक बनाने की सरकार की पहल भी है. सरकार लगातार लोगों में कानूनी जागरूकता बढ़ाने को लेकर कार्य कर रही है.
पहल तो बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय ने भी की है. उन्होंने लोगों से आग्रह किया वे बदलाव का विरोध करने की जगह उसे उदार मानसिकता के साथ अपनाना चाहिए.
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा,
"परिवर्तन का विरोध करना हमारी स्वाभाविक प्रवृत्ति है या हम अपने कंफर्ट जोन से बाहर आने में कतराते हैं. यह अज्ञात डर है जो इस प्रतिरोध का कारण बनता है और हमारे तर्क को निगल जाता है."
जस्टिस ने न्याय क्षेत्र से जुड़े लोगों अपने कंफर्ट जोन से बाहर आकर, हो रहे बदलाव को अपनाने को कहा है.
जस्टिस ने आगे कहा,
"हम एक सदी से भी अधिक समय से पुराने कानूनों के आधार पर आपराधिक न्याय प्रणाली से निपट रहे हैं. नए अधिनियम/कानून अपने साथ कुछ चुनौतियां लेकर आएंगे, लेकिन हमें बदली हुई मानसिकता के साथ उनका स्वागत करना होगा और अपने कंफर्ट से बाहर आना होगा, ताकि उनका पालन सुनिश्चित किया जा सके."
जस्टिस ने बताया कि नए कानून का उद्देश्य कानूनी प्रक्रिया में तेजी और तकनीक की उपयोगिता पर भी जोर देता है.
"नए आपराधिक कानूनों का उद्देश्य न्यायिक देरी को रोकना और सूचना प्रौद्योगिकी के सशक्त उपयोग को बढ़ावा देना है."
मुख्य न्यायाधीश ने बदलाव को स्वीकार करने का आग्रह किया है. बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने ये बातें विधि और न्याय मंत्रालय द्वारा आयोजित समारोह में कहीं. रविवार के दिन विधि एवं न्याय मंत्रालय ने 'इंडिया प्रोगेसिव पाथ इन एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ क्रिमिनल जस्टिस' नाम से एक सेमिनार आयोजित की थी. कार्यक्रम में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी उपस्थित रहें. उन्होंने भी लोगों से कानून की महत्ता बताने और स्वीकार्य करने की गुजारिश की.