दिल्ली के गृह विभाग के प्रधान सचिव (Principal Secretary) को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. यह नोटिस 2002 में हुए नितीश कटारा हत्या मामले में सुखदेव यादव उर्फ़ पहलवान की रिमिशन याचिका पर निर्णय न लेने के लिए जारी किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि यदि प्रधान सचिव अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट की यह नाराजगी पिछले आदेश के अनुपालन नहीं होने पर आई, जिसमें दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद आज सुखदेव की याचिका पर अपना जवाब नहीं दिया. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वह सुखदेव की ओर से रिहाई के लिए दिए गए आवेदन पर फ़ैसला लेकर कोर्ट को सूचित करें.
आज सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का नोटिस जारी किया. जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुयान की पीठ ने प्रधान सचिव से पूछा कि अवमानना की कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए. जस्टिस अभय एस ओका ने कहा कि जब तक कोर्ट अवमानना का नोटिस जारी नहीं करता अधिकारी एक्शन में नहीं आते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली गृह विभाग के प्रमुख सचिव को 28 मार्च को होने वाली सुनवाई में वीसी के ज़रिए जुड़ने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि सुखदेव यादव की रिमिशन याचिका पर निर्णय न लेना एक गंभीर मुद्दा है. अदालत ने यह हिदायत देते हुए कहा कि सरकार, आदेशों का पालन तब तक नहीं करती जब तक अवमानना की नोटिस ना दी जाए. जस्टिस ओका ने कहा, "हमने देखा है कि बिना समय बढ़ाए, यह सरकार कभी भी रिमिशन के आदेशों का पालन नहीं करती."
मामले में सुखदेव यादव ने 20 साल की जेल की सजा पूरी करने के बाद रिमिशन की याचिका दायर की थी. सुखदेव यादव का कहना है कि वह 20 साल क़ैद की अपनी सजा पूरी कर चुका है और अब उसे रिहाई दी जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार की ओर से एक गंभीर बयान रिकॉर्ड किया गया था. आज अदालत को बताया गया कि सजा समीक्षा बोर्ड (SRB) आज याचिका पर विचार करेगा.
कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने समय बढ़ाने की याचिका के लिए भी कोई उचित स्पष्टीकरण नहीं दिया. अदालत ने कहा, "राज्य सरकार ने समय बढ़ाने के लिए स्पष्टीकरण आवेदन भी नहीं दिया, जो कि अत्यंत असभ्य है." इस प्रकार की लापरवाही पर कोर्ट ने कड़ी नाराज़गी व्यक्त की. दिल्ली सरकार के वकील ने पीठ को सूचित किया कि सजा समीक्षा बोर्ड आज याचिका पर निर्णय लेने के लिए बैठक करेगा. यह सुनकर कोर्ट ने उम्मीद जताई कि सरकार अपने कर्तव्यों का पालन करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि यदि प्रधान सचिव ने सही स्पष्टीकरण नहीं दिया, तो उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी.