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BNSS Section 66: महिलाओं को भी मिला समन रिसीव करने का अधिकार 

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने क्रिमिनल कोड ऑफ प्रोसीजर की धारा 64 को चुनौती देनेवाली रिट याचिका खारिज की है. सीआरपीसी की धारा 64 महिलाओं को समन प्राप्त करने की अनुमति नहीं देती थी. वहीं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS, 2023) में महिलाओं को समन रिसीव करने का अधिकार दिया गया है.

BNSS की धारा 66 महिलाओं को भी समन स्वीकार करने की अनुमति देती है.

Written by Satyam Kumar |Published : July 21, 2024 11:42 AM IST

Woman To Receive Summon: नए अपराधिक कानून में महिलाओं को सशक्त बनाने पर विशेष जोर दिया गया है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने क्रिमिनल कोड ऑफ प्रोसीजर की धारा 64 को चुनौती देनेवाली रिट याचिका खारिज की है. सीआरपीसी की धारा 64 महिलाओं को समन प्राप्त करने की अनुमति नहीं देती थी. वहीं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS, 2023) में महिलाओं को समन रिसीव करने का अधिकार दिया गया है. पहले यानि की क्रिमिनल कोड ऑफ प्रोसीजर में महिलाओं को समन प्राप्त करने का अधिकार नहीं था.

सुप्रीम कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 64 से जुड़ी याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इस वाद का समाधान बीएनएसएस की धारा 66 में किया गया है जिसके चलते इस याचिका में होनेवाले फैसले को पहले ही कानून द्वारा पारित कर दिया है, इसलिए इस पर आगे सुनवाई करने की कोई जरूरत नहीं रह जाती है. रिट याचिका का निपटारा जाता है.

वहीं याचिकाकर्ता ने सीआरपीसी की धारा 64 को चुनौती देते हुए कहा था कि सीआरपीसी की धारा 64 महिलाओं के साथ भेदभाव करती है, क्योंकि इसमें परिवार की महिला सदस्यों को सम्मन प्राप्त व्यक्ति की ओर से सम्मन स्वीकार करने में असमर्थ माना जाता है.  याचिका में आगे कहा गया कि सेक्शन में "पुरुष" शब्द को शामिल करके महिला परिवार के सदस्यों को बाहर करने से प्रावधान के उद्देश्य के साथ कोई उचित संबंध नहीं है, जिसका उद्देश्य आपराधिक कार्यवाही में किसी भी अनुचित देरी से बचना है, बल्कि यह उन स्थितियों को भी ध्यान में नहीं रखता है जहां समन किया गया व्यक्ति परिवार में केवल महिला साथ रहता है या जब समन मिलने के समय मौजूद एकमात्र व्यक्ति एक महिला है. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका के उद्देश्य को बीएनएसएस की धारा 66 से पूरा होते पाकर याचिका को खारिज की है.

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सीआरपीसी की धारा 64 दंड प्रक्रिया संहिता की सेक्शन 64 समन किया गया व्यक्ति मौजूद नहीं हो तो उस स्थिति में समन किसे दिया जाए. सेक्शन 64  के अनुसार समन किए व्यक्ति की अनुपस्थिति में उसके परिवार कोई व्यस्क सदस्य ही समन स्वीकार कर सकता था. महिलाओं को समन स्वीकार करने की अनुमति नहीं दी गई थी.

BNSS की धारा 66 भी इसी उपरोक्त मामले से संबंधित है. लेकिन बीएनएसएस की धारा 66 में बदलाव किया गया है. बीएनएसएस की धारा 66 के अनुसार, लिंग की परवाह किए बिना (Irrespective Of Gender) परिवार के किसी भी वयस्क सदस्य द्वारा समन को रिसीव किया जा सकता है जिससे महिलाओं को भी समन स्वीकार करने के अनुमति मिली है.

Case Title: कुश कालराम बनाम भारत संघ और अन्य (Writ Petition (Civil) No. 958 of 2022)