क्या Divorce Settlement में पत्नी को मिले फ्लैट का मालिकाना हक बिना स्टॉम्प ड्यूटी के ट्रांसफर की जा सकती है?
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक पत्नी को स्टाम्प ड्यूटी के भुगतान से छूट दी, जिसने अपने पति से तलाक समझौते के तहत एक फ्लैट प्राप्त किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक पत्नी को स्टाम्प ड्यूटी के भुगतान से छूट दी, जिसने अपने पति से तलाक समझौते के तहत एक फ्लैट प्राप्त किया था.
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने विवाह को रद्द करते हुए कहा कि ऐसे व्यक्ति के साथ रहने के लिए दबाव डालना, जो न तो शिक्षित है और न ही खुद को सुधारने की इच्छा रखता है, महिला के साथ मानसिक क्रूरता के बराबर है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में महिला को दूसरे पति से भरण-पोषण भत्ता पाने का अधिकार दिया है, भले ही उसने कानूनन तौर पर पहले पति से तलाक ना लिया हो. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाई कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए फैमिली कोर्ट के, भरण-पोषण के फैसले को बहाल किया है.
Uttarakhand Uniform Civil code पोर्टल ओपन हो चुका है, जहां राज्य के लोग अपने मैरिज, लिव इन रिलेशनशिप और तलाक प्रोसेस का रजिस्ट्रेशन आसानी से कर सकेंगे. आइये जानते हैं पूरी प्रक्रिया...
शादी के साल भर में ही तलाक मांगने आए हिंदू कपल की याचिका खारिज करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि दो हिंदूओं के बीच विवाह एक पवित्र बंधन है, और विवाह विच्छेद यानि तलाक का फैसला कानून के अनुसार ही किया जा सकता है.
तलाक मामले की सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि पति अपने दो बच्चों को संभाल रहा है और मुकदमे को ट्रांसफर करने से उसकी परेशानियां और बढ़ जाएगी. आइये जानते हैं पूरा मामला...
तलाक मामले की सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि पति अपने दो बच्चों को संभाल रहा है और मुकदमे को ट्रांसफर करने से उसकी परेशानियां और बढ़ जाएगी. आइये जानते हैं पूरा मामला...
अगर पत्नी पति को उसके माता-पिता से अलग रहने को दबाव बनाती है, जिससे रोजमर्रा की जिंदगी में कलह होता है, तब अदालत पति के तलाक की मांग को स्वीकार करते हुए विवाह नामक संस्था को तोड़ने की इजाजत दे सकता है.
तलाक के इस मामले में पत्नी हमेशा अपने पति पर उसके पैरेंट्स से अलग रहने के लिए दबाव बनाती थी और सास-ससुर को परेशान करने के लिए उसने घरेलु हिंसा का मामला भी दर्ज करा दिया था. आइये जानते हैं कि यह मामला फैमिली कोर्ट से होते हुए हाई कोर्ट तक कैसे पहुंचा और अदालत ने पति को तलाक क्यों दिया...
दंपत्ति की शादी साल 2015 में हुई थी. दोनों एक-दूसरे ऑनलाइन एप के जरिए मिले थे. शादी के साल भर बाद ही उसकी पत्नी, बच्चे को लेकर मायके चली गई थी. मामला फैमिली कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट तक पहुंचा. आइये जानते हैं कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पति की तलाक अर्जी मंजूर करते हुए क्या कहा..
तलाक के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को विचार करना था कि क्या पति वैवाहिक अधिकारों की बहाली के आदेश के बाद पत्नी को भरण-पोषण देने से मुक्त हो जाता है.
पति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से दो आधार पर तलाक की मांग किया. पहला, उसकी पत्नी स्वतंत्र विचारों वाली है और अपनी मनमर्जी से बाजार एवं अन्य जगहों पर जाती है. दूसरा कि वह लंबे समय से उससे दूर रह रही है. आइये जानते हैं इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला...
कलकत्ता हाईकोर्ट ने तलाक को स्वीकृति देते हुए कहा कि पति की इजाजत के बिना पत्नी के रिश्तेदारों का उसके सुसराल में ज्यादा दिन तक रहना क्रूरता है और यह स्थिति और भी भयावह हो जाती है, जब पत्नी अपने पति के घर पर ना हो.
सुप्रीम कोर्ट ने सास-ससुर के खिलाफ सेक्शन 498ए का मुकदमा रद्द करते हुए कहा कि महिला ने पति से तलाक पाने के लिए अपने सास-ससुर के खिलाफ क्रूरता का मुकदमा दर्ज करवाया, क्योंकि जब महिला ने तलाक की मांग की थी तो इसमें उसके साथ हुए क्रूरता का कोई जिक्र नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस केस में पति दुबई में एक बैंक के CEO के रूप में काम कर रहा है और उसका वेतन लगभग 10 से 12 लाख रुपये प्रति माह है. वही पत्नी बेरोजगार है. इसलिए एक मुश्त राशि के रूप में 5 करोड़ की राशि उचित रहेगा.
बेंगलुरू पुलिस ने बीएनएस की धारा 108 और धारा 3(5) के तहत मुकदमा दर्ज किया है. बीएनएस की धारा 108 आत्महत्या के लिए उकसाने से जुड़ा मामला है, वहीं धारा 3(5) समान इरादे से कई लोगों के द्वारा किए गए अपराध से जुड़ा है. बीएनएस की धारा 3(5) किसी आपराधिक कार्य को कई व्यक्तियों द्वारा सामान्य इरादे के तहत किया जाए, तो संबंधित सभी व्यक्तियों को जिम्मेदार ठहराती है.
दिवंगत अतुल ने अपने आखिरी वीडियो में कहा कि वह अपने कमाए हुए पैसों से टैक्स दे रहा है, जो उसके व परिवारवालों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है.
सुनवाई के दौरान अदालत ने पत्नी के दहेज को लेकर मारपीट के दावे को खारिज करते हुए कहा कि पत्नी ने अपने दावे को सही साबित करने के लिए किसी प्रकार के सबूत नहीं दिए है.
Punjab And Haryana High Court ने Working Women पर शक के नजरिए देखनेवालों के प्रति बड़ी टिप्पणी की है. उच्च न्यायालय ने कहा, घर से बाहर कामकाजी महिलाएं Adulterous Life जीवन जी रही हैं, ऐसी धारणा निंदनीय है.
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महिला को गर्भ समाप्त कराने की इजाजत देते हुए कहा कि तलाक पाने का इंतजार कर रही महिलाओं की चुनौती, तलाक पा चुकी महिलाओं से कम नहीं है. हाईकोर्ट ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी के तहत महिला को 28 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दी है.
कर्नाटक हाईकोर्ट की महिला जस्टिस ने पत्नी को गुजारा भत्ता की मांग का आखिरी मौका देते हुए कहा वह एक उचित गुजारा भत्ता की मांग करें. वहीं छह लाख रूपये महीने गुजारा भत्ता की मांग को अदालत ने न्यायिक प्रक्रिया का दुरूपयोग बताया.
भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 बलात्कार के अपराध की व्याख्या करती है. साथ ही बीएनएस की धारा 63 किन परिस्थितियों में किसी महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार माना जाएगा की पुष्टि करती है.
पति की दोषसिद्धी के आधार पर तलाक देने का कोई प्रावधान नहीं है लेकिन अदालत ने इन परिस्थितियों में पति के साथ रहना पत्नी के लिए मानसिक क्रूरता के बराबर पाया, जो उसे तलाक लेने की मंजूरी देता है. अंतत: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पत्नी को तलाक की इजाजत दे दी.
सुप्रीम कोर्ट ने स्त्रीधन के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने किसी महिला द्वारा ब्याह में लाई गई संपत्ति पर उसके पति का हक होने से इंकार किया है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने पति की तलाक की मांग को खारिज करते हुए उसके आरोपों को पत्नी के साथ मानसिक क्रूरता बताया. पति ने पत्नी पर विवाह से बाहर जाकर संबंध बनाने के आरोप लगाते हुए बच्चे का पितृत्व स्वीकार करने से इंकार किया था.
पति द्वारा दायर तलाक के मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी द्वारा बच्चे को पिता के खिलाफ भड़काना, पति के साथ मानसिक क्रूरता करने के जैसा है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट तलाक से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान बदलते समय के साथ हिंदू मैरिज एक्ट में संशोधन करने की बात उठाते हुए रजिस्ट्री को आदेश दिया कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले वाली कॉपी कानून मंत्रालय को भेजें.
पश्चिम बंगाल की एक कोर्ट से घर में सब्जियों लगातार खराब होने से नाराज पति ने पत्नी से तलाक मांगा है.
अपने पति के आर्थिक हालात पर लगातार ताने देने को तलाक का आधार मानते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने एक पत्नी की याचिका खारिज कर दिया. जानें क्या था पूरा मामला...
HC On Wife Refusal Of Physical Relationship: जस्टिस शील नागू और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द किया.
Divorce Case: फैमिली कोर्ट ने क्रूरता के आधार पर एक व्यक्ति को तलाक लेने की इजाजत दी थी. महिला ने इसके खिलाफ अपील किया था. अब हाईकोर्ट ने अपील खारिज कर दी.
Divorce Case: हाईकोर्ट ने आगे कहा कि पत्नी से ये उम्मीद नहीं की जा सकती कि वो पति की इच्छा के अनुसार बाहरी लोगों से बात करे. अगर वो पति की बात नहीं मानती तो आप उसके चरित्र पर उंगली नहीं उठा सकते.
Divorce Case: अदालत ने कहा कि महंगाई के दिनों में, पत्नी और दो नाबालिग स्कूल जाने वाली बेटियों के मेंटेनेस के रूप में 8,000 रुपये दिया जा रहा है, जो कि स्पष्ट रूप से बहुत कम है.
Divorce Case: अगर पति बिना किसी पर्याप्त कारण के पत्नी को अलग रखना चाहता है और पत्नी इसका विरोध कर रही है तो ये क्रूरता नहीं है.
Divorce Case: सप्तपदी एक अनुष्ठान है जहां हिंदू विवाह समारोह के दौरान दूल्हा और दुल्हन एक साथ पवित्र अग्नि (हवन) के चारों ओर सात फेरे लेते हैं.
Divorce Case: कोर्ट ने आरोपी पति को राष्ट्रीय राजधानी Delhi के Green Cover में योगदान देने को कहा है.