क्या है BNSS की धारा 170? जिसके तहत सेना की गतिविधि सोशल मीडिया पर डालने पर 'शख्स' हुआ गिरफ्तार
पुलिस ने सेना की गतिविधियों को सोशल मीडिया पर डालने वाले शख्स को बीएनएसएस की धारा 170 के तहत गिरफ्तार किया है.
पुलिस ने सेना की गतिविधियों को सोशल मीडिया पर डालने वाले शख्स को बीएनएसएस की धारा 170 के तहत गिरफ्तार किया है.
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 250 धारा 250 के तहत, कोई भी अभियुक्त मामले की प्रतिबद्धता के साठ दिनों के भीतर बरी होने के लिए आवेदन कर सकता है. यदि न्यायाधीश को कार्यवाही के लिए अपर्याप्त आधार मिलते हैं, तो अभियुक्त को बरी कर दिया जाएगा, और इस निर्णय के कारणों को दस्तावेज़ों में दर्ज किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता के प्रावधान, जो आरोपी के अधिकारों से संबंधित हैं, कस्टम और जीएसटी अधिनियम के तहत की गई गिरफ्तारियों पर भी लागू होते हैं.
गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि वे दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र कुमार जैन के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस, 2023) की धारा 218 के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति दें.
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश दिया है कि वो बबलू श्रीवास्तव की इस नई अर्जी पर जल्द से जल्द BNSS के प्रावधानों के तहत फैसला ले क्योंकि वो पहले ही 28 साल की सजा काट चुका है.
बीएनएसएस की धारा 8, डॉक्यूमेंट्स को किसी पदार्थ पर अक्षरों, आंकड़ों या चिह्नों के माध्यम से व्यक्त या वर्णित किसी भी मामले के रूप में परिभाषित करती है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड शामिल हैं.
पुलिस के चार्जशीट दायर करने के बाद ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट मुकदमे पर संज्ञान लेकर आरोपी को समन या वारंट जारी करते हैं. इस तरह से अदालत किसी अपराधिक मुकदमे की ट्रायल शुरू करती है.
सम्भल में फ्लैगमार्च को लेकर BNS की धारा 163 लागू कर दिया है. साथ ही संभल में मस्जिद की तरफ आने वाले दोनों रस्ते बंद कर दिए है जो हिन्दू मोहल्लों की तरफ जाते है. आइये जानते हैं कि BNS की धारा 163 लागू होने से किन-किन चीजों पर पाबंदी रहेगी.
पुलिस ने AIMIM के राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद असदुद्दीन ओवैसी भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 168 (BNSS Section 168) के तहत नोटिस जारी किया है. बीनएनएसएस 2023 की धारा 168 पुलिस को किसी अपराध घटित होने की आशंका को रोकने को लेकर उचित उपाय कर सकती है. आइये जानते हैं इस कानून के अनुसार पुलिस क्या-क्या कदम उठा सकती है.
कानूनी के अनुसार कोई व्यक्ति जो हिंसा से जुड़े किसी भी अपराध का शिकार हुआ है, तो वह पुनर्वास के लिए मुआवजे या सरकारी आर्थिक सहायता का हकदार है. देश के नागरिको को यह सभी अधिकार सीआरपीसी (CRPC) की धारा 357-ए, अब नए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS 2023) की धारा 395 में प्रदान की गई है.
ज्वाइंट कमिश्नर कानून व्यवस्था (JCP) अमित कुमार ने मीडिया को इसकी सूचना दी. जेसीपी के अनुसार लखनऊ में आगामी विभिन्न महत्वपूर्ण त्यौहार रक्षाबन्धन, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी और अन्य कार्यक्रमों को देखते हुए लखनऊ में 163 धारा लागू की गई है.
बीएनएसएस की धारा 180 पुलिस को आरोपी से पूछताछ करने का अधिकार देती है. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 181 और 182 पुलिस जांच के दौरान व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रावधान हैं.
हिरासत में लिए व्यक्ति का बयान अदालत में मान्य होंगे या नहीं, इसे लेकर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 180, धारा 181 और धारा 182 इस पर अपनी बात रखती है. पुलिस द्वारा जोर-जबरदस्ती से लिया गया बयान अदालत में मान्य नहीं होंगे.
Supreme Court ने इस बीच Bhartiya Nagrik Suraksha Sanhita की धारा 479 (BNSS Section 479) सभी अंडरट्रायल मामलों में लागू करने की मंजूरी दे दी है. बीएनएसएस की धारा 479 कहती है कि अगर जेल में बंद आरोपी ने संबंधित मामले में अधिकतम सजा का एक-तिहाई समय न्यायिक हिरासत में बिता चुका है, तो उसे अदालत उसे जमानत देने पर विचार कर सकती है.
केंद्र ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दंड प्रक्रिया संहिता के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (बीएनएसएस) की धारा 479, 1 जुलाई से पहले दर्ज किए गए सभी विचाराधीन मामलों (Undertrial Cases) में लागू होगी.
भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 बलात्कार के अपराध की व्याख्या करती है. साथ ही बीएनएस की धारा 63 किन परिस्थितियों में किसी महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार माना जाएगा की पुष्टि करती है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी के तहत कार्यवाही केवल उन मामलों में जारी रहेगी जहां कार्यवाही, जैसे “कोई अपील, आवेदन, परीक्षण, इनक्वायरी या जांच के स्तर पर हो.
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने क्रिमिनल कोड ऑफ प्रोसीजर की धारा 64 को चुनौती देनेवाली रिट याचिका खारिज की है. सीआरपीसी की धारा 64 महिलाओं को समन प्राप्त करने की अनुमति नहीं देती थी. वहीं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS, 2023) में महिलाओं को समन रिसीव करने का अधिकार दिया गया है.
पुलिस ने सेना की गतिविधियों को सोशल मीडिया पर डालने वाले शख्स को बीएनएसएस की धारा 170 के तहत गिरफ्तार किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता के प्रावधान, जो आरोपी के अधिकारों से संबंधित हैं, कस्टम और जीएसटी अधिनियम के तहत की गई गिरफ्तारियों पर भी लागू होते हैं.
गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि वे दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र कुमार जैन के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस, 2023) की धारा 218 के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति दें.
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश दिया है कि वो बबलू श्रीवास्तव की इस नई अर्जी पर जल्द से जल्द BNSS के प्रावधानों के तहत फैसला ले क्योंकि वो पहले ही 28 साल की सजा काट चुका है.
बीएनएसएस की धारा 8, डॉक्यूमेंट्स को किसी पदार्थ पर अक्षरों, आंकड़ों या चिह्नों के माध्यम से व्यक्त या वर्णित किसी भी मामले के रूप में परिभाषित करती है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड शामिल हैं.
पुलिस ने AIMIM के राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद असदुद्दीन ओवैसी भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 168 (BNSS Section 168) के तहत नोटिस जारी किया है. बीनएनएसएस 2023 की धारा 168 पुलिस को किसी अपराध घटित होने की आशंका को रोकने को लेकर उचित उपाय कर सकती है. आइये जानते हैं इस कानून के अनुसार पुलिस क्या-क्या कदम उठा सकती है.
कानूनी के अनुसार कोई व्यक्ति जो हिंसा से जुड़े किसी भी अपराध का शिकार हुआ है, तो वह पुनर्वास के लिए मुआवजे या सरकारी आर्थिक सहायता का हकदार है. देश के नागरिको को यह सभी अधिकार सीआरपीसी (CRPC) की धारा 357-ए, अब नए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS 2023) की धारा 395 में प्रदान की गई है.
ज्वाइंट कमिश्नर कानून व्यवस्था (JCP) अमित कुमार ने मीडिया को इसकी सूचना दी. जेसीपी के अनुसार लखनऊ में आगामी विभिन्न महत्वपूर्ण त्यौहार रक्षाबन्धन, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी और अन्य कार्यक्रमों को देखते हुए लखनऊ में 163 धारा लागू की गई है.
बीएनएसएस की धारा 180 पुलिस को आरोपी से पूछताछ करने का अधिकार देती है. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 181 और 182 पुलिस जांच के दौरान व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रावधान हैं.
Supreme Court ने इस बीच Bhartiya Nagrik Suraksha Sanhita की धारा 479 (BNSS Section 479) सभी अंडरट्रायल मामलों में लागू करने की मंजूरी दे दी है. बीएनएसएस की धारा 479 कहती है कि अगर जेल में बंद आरोपी ने संबंधित मामले में अधिकतम सजा का एक-तिहाई समय न्यायिक हिरासत में बिता चुका है, तो उसे अदालत उसे जमानत देने पर विचार कर सकती है.
केंद्र ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दंड प्रक्रिया संहिता के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (बीएनएसएस) की धारा 479, 1 जुलाई से पहले दर्ज किए गए सभी विचाराधीन मामलों (Undertrial Cases) में लागू होगी.
भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 बलात्कार के अपराध की व्याख्या करती है. साथ ही बीएनएस की धारा 63 किन परिस्थितियों में किसी महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार माना जाएगा की पुष्टि करती है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी के तहत कार्यवाही केवल उन मामलों में जारी रहेगी जहां कार्यवाही, जैसे “कोई अपील, आवेदन, परीक्षण, इनक्वायरी या जांच के स्तर पर हो.
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने क्रिमिनल कोड ऑफ प्रोसीजर की धारा 64 को चुनौती देनेवाली रिट याचिका खारिज की है. सीआरपीसी की धारा 64 महिलाओं को समन प्राप्त करने की अनुमति नहीं देती थी. वहीं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS, 2023) में महिलाओं को समन रिसीव करने का अधिकार दिया गया है.
भारत सरकार ने जीरो एफआईआर और ई-एफआईआर के माध्यम से शिकायत कराने पर आगे कैसे कार्रवाई की जानी चाहिए या किस तरह से कार्रवाई आगे बढ़ेगी, इसे लेकर SOP जारी किया है
विरोध प्रदर्शन को आयोजित करनेवाली ऑल इंडिया लॉयर्स एसोसिएशन ने तीनों अपराधिक कानून से आपत्ति जताई है. आयोजनकर्ता के अनुसार, इस कानून में पुलिस कोअत्यधिक शक्तियां दी गई हैं, लीगल प्रोसीजर को पहले की अपेक्षा अधिक कठोर बनाया है और संस्थाओं की शक्तियों को घटाने का प्रयास किया गया है.
1 जुलाई यानि आज से देश में तीन नए अपराधिक कानून लागू होने जा रहे हैं. कुछ लोगों के अनुसार, अंग्रेजी राज से छुटकारा पाना है, तो कुछ जगहों पर स्वदेशी कानून आने की खुशी है. आइये जानते हैं तीन अपराधिक कानून में किन-किन नियमों में बदलाव हुए है...
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने स्पीडी ट्रायल के संभव होने पर चिंता जाहिर की. सीजेआई ने बताया कि नये कानून के लागू होने के बाद भी अपराधिक मुकदमों का स्पीडी ट्रायल से निपटारा संभव नहीं है. स्पीडी ट्रायल के संभव होने के लिए अदालतों को उचित संसाधनों को मुहैया कराने की जरूरत होगी.