कब दायर की जाती है डिस्चार्ज याचिका? BNSS में इसका जिक्र कहां आता है

Satyam Kumar

Image Credit: my-lord.in | 18 Mar, 2025

आज गुजरात काडर के पूर्व IAS प्रदीप शर्मा की डिस्चार्ज याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज हुई है.

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पूर्व IAS ने यह याचिका भूमि आवंटन से जुड़े PMLA मामले में राहत पाने के लिए दायर की थी,

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जब किसी केस की शुरूआत होती है, तो आरोपी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाता है. यह मुकदमे को शुरू करने के लिए किया जाता है.

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डिस्चार्ज की प्रक्रिया पुलिस के फाइनल चार्जशीट दायर करने व कोर्ट के संज्ञान लेने के बाद आती है.

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अगर आरोपी को लगता है कि वह उस मामले में संलिप्त नहीं है, तो वह अदालत में डिस्चार्ज याचिका दायर कर सकता है.

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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 250 में डिस्चार्ज का जिक्र आता है,

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जिसके अनुसार, आरोपी को ट्रायल की शुरूआत की तारीख से साठ दिनों के भीतर डिस्चार्ज के लिए आवेदन करने का अधिकार है.

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बीएनएसएस में स्पष्ट किया गया है कि जज को डिस्चार्ज के निर्णय के लिए अपने कारणों को दर्ज करना आवश्यक है.

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वहीं, यदि जज यह उचित पाते हैं कि आरोपी के खिलाफ आगे बढ़ने का पर्याप्त आधार नहीं है, तो आरोपी को डिस्चार्ज यानि की आरोपी को आरोपों से बरी किया जाएगा.

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पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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