अदालत में 'मुकदमे' की कार्यवाही कैसे शुरू होती है?

Satyam Kumar

Image Credit: my-lord.in | 23 Nov, 2024

चार्जशीट

अदालत में किसी मामले की सुनवाई पुलिस के चार्जशीट दायर करने के बाद शुरू की जाती है.

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BNSS की धारा 187

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSSS) की धारा 187 के अनुसार, शिकायत दर्ज होने के 90 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट यानि चार्जशीट अदालत को सौंपती है.

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ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट

जिला अदालत में ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट अपराधिक मामलों की सुनवाई करते हैं.

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मुकदमे पर संज्ञान

सबसे पहले मजिस्ट्रेट मुकदमे का संज्ञान लेकर दोनों पक्षों को अदालत के सामने मौजूद रहने को कहता है.

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समन या वारंट

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 227, आरोपी की हाजिरी के लिए समन या वारंट के आधार पर जारी करता है.

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व्यक्तिगत पेशी

हाजिर होने के बाद अदालत आरोपी को व्यक्तिगत पेशी से मुक्ति दे सकता है.

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विवेकाधिकार शक्ति

मजिस्ट्रेट की यह शक्ति उनके विवेकाधिकार के अधीन हैं.

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चार्जशीट की मांग

वहीं अदालत में कार्यवाही शुरू होने को लेकर आरोपी चार्जशीट की मांग कर सकते हैं,

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अपना-अपना पक्ष

क्योंकि न्याय व्यवस्था दोनों पक्षों को अपनी-अपनी बात रखने का अधिकार देती है.

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ट्रायल की शुरूआत

इस तरह से मजिस्ट्रेट किसी अपराधिक मामले को संज्ञान में लेकर उसकी कार्यवाही शुरू करते हैं.

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