सोलापुर पुलिस ने एआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद असदुद्दीन ओविसी (Asaduddin Owaisi) के खिलाफ नोटिस जारी किया है. AIMIM चीफ को यह नोटिस सोलापुर मध्य विधानसभा क्षेत्र (Solapur Assembly) के उम्मीदवार फारूक शाब्दी के लिए प्रचार करने के दौरान दी गई. औवैसी मंच पर ही थे, उस दौरान पुलिस ने नोटिस सौंपते हुए कहा कि वे अपने भाषण में किसी भी समुदाय की भावनाओं को ठेस न पहुंचाएं, किसी प्रकार का भड़काऊ भाषण (Inflammatory Speech) न दें. बता दें कि पुलिस ने भारतीय नागरिक संहिता की धारा 168 (BNSS Section 168) के तहत नोटिस जारी किया है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि पुलिस कब अपराध घटित होने की अशंका में किसी को नोटिस जारी कर सकती है, अपराध होने को लेकर पुलिस क्या-क्या कदम उठा सकती है और क्या भारतीय नागरिक संहिता की धारा 168 पुलिस को क्या-क्या कदम उठाने की शक्ति देती है.
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की चैप्टर 12 पुलिस के निवारात्मक कदम (Peventative Action of Police) उठाने की चर्चा यानि अपराध होने से रोकने के उपायों का जिक्र करती है. इस चैप्टर में कुल पांच सेक्शन है जो बताती है कि पुलिस अपराध को रोकने को लेकर क्या-क्या कदम उठा सकती है. यानि सेक्शन 168 से लेकर सेक्शन 172 तक, आइये जानते हैं उन प्रावधानों को...
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 168, पुलिस की निवारक कार्रवाईयों का जिक्र करती है. यहां निवारक उपायों का अर्थ है कि उन कदमों से है, जो पुलिस किसी अपराध होने की आशंका को रोकने को लेकर उठा सकती है. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS, 2023) की धारा 168, पुलिस को संज्ञेय अपराधों को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने की शक्ति देती है. बीएनएसएस की धारा 168 कहती है कि कोई भी पुलिस अधिकारी किसी संज्ञेय अपराध को घटित होने से रोकने को लेकर पूरी तरह हस्तक्षेप कर सकता है.
एआईएमआईएम चीफ औवेसी के भाषण को पुलिस ने भड़काऊ पाते हुए उन्हें नोटिस जारी किया. यहां पुलिस को लगा कि उस भाषण से दंगा भड़क सकती है, जिसमें कई लोगों को जान भी जा सकती है, इसलिए पुलिस ने निवारकात्मक कदम उठाते हुए ओवैसी को नोटिस जारी किया.
BNSS की धारा 169: किसी पुलिस अधिकारी को ऐसी जानकारी मिलती है, तो सबसे पहले इस बात को अपने वरिष्ठ अधिकारी को सूचित करेगा, उसके बाद वह उस पुलिस अधिकारी को बताएगा, जिसके कार्यक्षेत्र में उस अपराध को रोकना या निगरानी करना है.
BNSS की धारा 170: संज्ञेय अपराध को रोकने को लेकर गिरफ्तारी, बीएनएसएस की धारा 170 किसी संज्ञेय अपराध करने के शक में शामिल व्यक्ति को पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकते हैं, लेकिन धारा 170(2) के अनुसार उन्हें 24 घंटे के अंदर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होगा.
BNSS की धारा 171: पब्लिक प्रॉपर्टी के क्षति को रोकने को लेकर कार्यवाही, पुलिस अधिकारी सार्वजनिक सपत्ति को क्षतिग्रस्त होने से रोकने को लेकर कदम उठा सकता है. साथ ही सार्वजनिक स्थलचिह्न, बोया या नेविगेशन के लिए उपयोग किए जाने वाले चिन्ह को हटाने की स्थिति में पुलिस हस्तक्षेप कर सकती है.
BNSS की धारा 172: निर्देशों का पालन कराने हेतु, आम नारगिक को पुलिस के निर्देशों का पालन करना जरूरी है. अगर कोई व्यक्ति इन निर्देशों को मानने से इंकार करता है तो पुलिस उसे गिरफ्तार कर सकती है, जिसे 24 घंटे के अंदर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना जरूरी होगा.
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 168 से धारा 172 में बताए गए उपायों को पुलिस, किसी अपराध को रोकने को लेकर, उठा सकती है.