सुप्रीम कोर्ट 1991 के प्लेसेस ऑफ वार्शिप एक्ट (Places Of Worship Act) को प्रभावी रूप से लागू कराने की मांग वाली एआईएमआईएम प्रमुख अससुद्दीन ओवैसी (AIMIM chief Asaduddin Owaisi) की याचिका पर अब 17 फरवरी को सुनवाई होगी. एआईएमआईएम नेता की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने वार्शिप एक्ट को चुनौती देनेवाली अन्य याचिकाओं के साथ टैग किया गया है. ओवैसी ने 17 दिसंबर, 2024 को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दायर कर, केंद्र सरकार को वार्शिप एक्ट के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है. इससे पहले चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना (CJI Sanjiv Khanna) की पीठ ने धार्मिक स्थलों को पुनः प्राप्त करने से संबंधित नए मुकदमों पर रोक लगाई है. संभावना है कि शीर्ष अदालत ओवैसी की याचिका को अन्य लंबित मामलों के साथ सुनवाई के लिए संलग्न करेगी.
सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार ने अससुद्दीन ओवैसी की जनहित याचिका को अन्य लंबित याचिकाओं के समूह के साथ टैग करते हुए मामले की सुनवाई को 17 फरवरी के लिए स्थगित किया है.
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन’ (AIMIM) के प्रमुख एवं सांसद ओवैसी ने वकील फुजैल अहमद अय्यूबी के माध्यम से 17 दिसंबर, 2024 को याचिका दायर की थी. एआईएमआईएम प्रमुख के वकील ने PTI भाषा को बताया कि ओवैसी ने अपनी याचिका में केंद्र को कानून का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने का निर्देश दिए जाने का आग्रह किया है. उन्होंने उन उदाहरणों का भी जिक्र किया जहां कई अदालतों ने हिंदू वादियों की याचिका पर मस्जिदों के सर्वेक्षण का आदेश दिया था.
पहले, इसी विषय से जुड़े याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना के नेतृत्व वाली पीठ ने 1991 के कानून के खिलाफ इसी तरह की याचिकाओं पर कार्रवाई करते हुए सभी अदालतों को धार्मिक स्थानों को पुनः प्राप्त करने संबंधी नए मुकदमों पर विचार करने और लंबित मामलों में कोई अंतरिम या अंतिम आदेश पारित करने से रोक दिया था. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्लेसेस ऑफ वार्शिप एक्ट, 1991 अधिनियम की धारा 3 और 4 की सीमाओं और विस्तार के संबंध में कई महत्वपूर्ण पहलु हैं, जिस पर इस अदालत को इस पर विचार करना है और जब तक यह मामला वर्तमान में इस अदालत के समक्ष के विचाराधीन है, तब तक इस मामले से जुड़े कोई नए मुकदमे दर्ज नहीं किए जाएंगे.
(खबर PTI इनपुट पर आधारित है)