आज प्लेसेस ऑफ वार्शिप एक्ट को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों से कहा कि प्लेसेस ऑफ वार्शिप एक्ट, 1991 अधिनियम की धारा 3 और 4 की सीमाओं और विस्तार के संबंध में कई महत्वपूर्ण पहलु हैं, जिस पर इस अदालत को इस पर विचार करना है और जब तक यह मामला वर्तमान में इस अदालत के समक्ष के विचाराधीन है, इस मामले से जुड़े कोई नए मुकदमे दर्ज नहीं किए जाएंगे और न ही कोई प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की स्पेशल बेंच ने इन याचिकाओं पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस ने वार्शिप एक्ट की वैधता को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर जबाव मांगा है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कनु अग्रवाल को सरकार की ओर से, विष्णु शंकर जैन को याचिकाकर्ता पक्ष की ओर से नोडल वकील नियुक्त किया एजाज मकबूल को एक्ट के समर्थन ने याचिका दाखिल करने वाले पक्ष का नोडल वकील नियुक्त किया.
बहस के दौरान अदालत को बताया गया कि अभी प्लेसेस ऑफ वार्शिप एक्ट से जुड़े कई केस पेंडिंग है. शीर्ष अदालत उसकी सुनवाई पर भी अपना रुख साफ करें. इस पर अदालत ने कहा कि जब तक प्लेसेस ऑफ वार्शिप एक्ट का मामला अदालत के समक्ष पेंडिंग है तो कोई नया सूट अदालतें रजिस्टर नहीं करेगा. CJI ने पूछा कि अभी ऐसे कितने ऐसे वाद (SUIT) लंबित हैं. जबाव में सीजेआई को बताया गया कि 18 केस अभी विभिन्न धार्मिक स्थलों को लेकर देश भर में लंबित हैं.
प्लेसेस ऑफ वार्शिप एक्ट की धारा 3 में पूजा स्थलों के चरित्र बदलने पर रोक लगाने की बात कही गई है. कोई भी, किसी धार्मिक संप्रदाय के पूजा स्थल को किसी अन्य संप्रदाय के पूजा स्थल में नहीं बदल सकता है. इस नियम का उद्देश्य धार्मिक स्थलों की पवित्रता और पहचान को बनाए रखना है.