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क्या GST और कस्टम्स अधिनियम में गिरफ्तार व्यक्ति को BNSS की तरह ही राहत मिलेगी? सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता के प्रावधान, जो आरोपी के अधिकारों से संबंधित हैं, कस्टम और जीएसटी अधिनियम के तहत की गई गिरफ्तारियों पर भी लागू होते हैं.

Written by Satyam Kumar |Updated : February 27, 2025 4:16 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने जीएसटी और कस्टम कानूनों (GST and Customs Act) के तहत गिरफ्तारी की शक्तियों पर कोई महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि जीएसटी और कस्टम कानूनों के तहत गिरफ्तारी करने के लिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता (पहले CRPC अब BNSS, 2023) के प्रावधान लागू होंगे और अब से जांच एजेंसियों द्वारा आरोपी की गिरफ्तारी महज संदेह के आधार पर नहीं, बल्कि ठोस सबूतों के आधार पर की जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अब बीएनएसएस की तरह ही जीएसटी और कस्टम कानूनों में तहत अग्रिम जमानत के प्रावधान लागू होंगे, और यदि किसी व्यक्ति को गिरफ्तारी का डर है तो संबंधित पक्ष अदालत से राहत मांगने के लिए स्वतंत्र है. इस महत्वपूर्ण फैसले के बाद दंड प्रक्रिया संहिता के तहत आरोपी व्यक्तियों के अधिकार जीएसटी और सीमा शुल्क अधिनियमों के तहत गिरफ्तारी पर लागू होते हैं, यानि कि उन्हें ना केवल संदेह के आधार पर गिरफ्तारी से राहत मिलेगी बल्कि इन मामलों में गिरफ्तारी का संदेह होने पर अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) मांगने का भी अधिकार होगा. मामले में 281 याचिकाओं ने सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील कर कस्टम, जीएसटी और पीएमएलए एक्ट के विभिन्न प्रावाधानों को चुनौती दिया था.

नागरिकों को परेशान करने से बचें

आज सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई संजीव खन्ना की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ ने इस पर फैसला सुनाया है. इस पीठ में सीजेआई के साथ जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी शामिल है. अदालत ने कहा आपराधिक प्रक्रिया संहिता (अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता) के तहत आरोपियों के अधिकारों के प्रावधान, कस्टम्स अधिनियम और GST अधिनियम दोनों के तहत गिरफ्तारी पर समान रूप से लागू होते हैं. अदालत ने कहा कि PMLA की धारा 19(1) और कस्टम्स अधिनियम की धारा 104 लगभग समान हैं, जो गिरफ्तारी के अधिकार से संबंधित हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल 15 मई के दिन इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे सुनाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA Act) के संदर्भ में कहा कि गिरफ्तारी केवल तब की जा सकती है जब 'विश्वास करने के कारण' हों. कोर्ट ने यह भी बताया कि पीएमएलए की धारा 19(1) और कस्टम्स अधिनियम की धारा 104 लगभग समान हैं. दोनों प्रावधान गिरफ्तारी के अधिकार से संबंधित हैं.

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GST और Custom मामलों में मिलेगी अग्रिम जमानत

एंटीसीपेटरी बेल के प्रावधान जीएसटी और कस्टम अधिनियम पर लागू होते हैं. फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि GST और कस्टम्स अधिनियम के तहत पूर्व जमानत के प्रावधान लागू हैं. यदि किसी व्यक्ति को गिरफ्तारी का डर है, तो वे न्यायालय में राहत के लिए जा सकते हैं, भले ही FIR दर्ज न हो.

कोर्ट ने कर अधिकारियों द्वारा दबाव और उत्पीड़न के आरोपों को ठोस पाते हुए कहा कि गिरफ्तारी के प्रावधानों में अस्पष्टता के कारण नागरिकों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए. अदालत ने यह भी कहा कि GST विभाग द्वारा जारी किए गए गिरफ्तारी से संबंधित परिपत्रों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए. इसके साथ ही, अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि कस्टम्स अधिकारी पुलिस अधिकारी होते हैं.