हमारे देश के कानूनी प्रावधानों के अनुसार कोई भी व्यक्ति जो हिंसा से जुड़े किसी भी अपराध का शिकार हुआ है, वह पुनर्वास के लिए मुआवजे या सरकारी आर्थिक सहायता का हकदार है. देश के नागरिकों को यह सभी अधिकार सीआरपीसी (CRPC) की धारा 357-ए में प्रदान किए गए है.
ये अलग बात है कि देश में अपराध के शिकार पीड़ितों के लिए मुआवजे का प्रावधान तय करने में कई दशक बीत गए. पीड़ितों के लिए ये मुआवजा वर्ष 2015 में पीड़ित प्रतिकर योजना के तहत लागू किया गया है. इस योजना के जरिए दुष्कर्म, एसिड हमलों, मानव तस्करी के पीड़ितों से लेकर सीमा पार गोलीबारी में मारे गए या घायल महिलाओं को मुआवजे के रूप में आर्थिक सहायता प्रदान करना है.
देश की सर्वोच्च अदालत ने पीड़ितों के मुआवजे को लेकर अंकुश शिवाजी गायकवाड़ बनाम स्टेट ऑफ़ महाराष्ट्र में विशेष व्यवस्था की है. सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में कहा था कि CrPC की धारा 357 प्रत्येक आपराधिक मामले में मुआवजे तय करने के लिए अदालत को अधिकार देते है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालतों को अनिवार्य रूप से यह खुलासा करना होगा कि उसने प्रत्येक आपराधिक मामले में मुआवजे का खुलासा किया है.
इसी फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने जिला अदालतों (Trial Court) के लिए अंतरिम मुआवजा देने पर विचार करना और पीड़ितों को मुआवजे देने की सिफारिश नहीं करने के कारण बताना अनिवार्य कर दिया है.
इसी तरह से हरि किशन बनाम सुखबीर सिंह केस के फैसले में भी सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि मुआवजा देना अपराध का उचित जवाब देने के साथ-साथ पीड़ितों के पुनर्वास का एक बेहतर उपाय है. इसलिए यह आवश्यक है कि इस योजना का लाभ, उन लोगों तक पहुंचे जिनको सहायता की सख्त जरूरत है.
आवेदन करने के बाद जिला या राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण स्वयं ही अपने स्तर पर मामले की जांच और सत्यापन करते है और फिर मुआवजे की राशि भी निर्धारित करता है. मुआवजा राशि के निर्धारण के 2 महीने के भीतर पीड़ितों यह मुआवजा प्राप्त हो जाता है.
कई बार गरीब और जरूरत लोगों के साथ हुए गंभीर आपराधिक मामलों में प्राधिकरण घटना के 24 से 48 घंटों में भी ये मुआवजा जारी कर देता है.
छोटी बच्चियों से दुष्कर्म के मामलो में देशभर में प्राधिकरण ऐसे कई उदाहरण पेश कर चुका है जब उसने पीड़ित बालिका की मदद के लिए 24 घंटे में ही मुआवजा प्रदान किया है.
अपराध से पीड़ित व्यक्तियों को इस योजना के तहत मुआवजा या सहायता प्राप्त करने के लिए कुछ नियम भी तय किए गए है. अपराध से पीड़ित व्यक्ति या उस पर आश्रित परिजनों को इन नियमों की पालना करना जरूरी होता है
पीड़ित प्रतिकर योजना के तहत अलग अलग अपराध से पीड़ित व्यक्ति के लिए अलग अलग मुआवजा तय किया गया है. यहां तक की देश के राज्यों में भी अलग अलग प्रावधान किए गए है. कई राज्य केन्द्र सरकार से भी अधिक मुआवजा प्रदान कर रहे है. केन्द्र सरकार द्वारा इस योजना के तहत तय किए गए मुआवजे के अनुसार न्यूनतम मुआवजे की राशि इस प्रकार है.
किसी अपराध के मामले पीड़िता की आयु 14 वर्ष से कम होने की स्थिति में मुआवजे की राशि डेढ़ गुणा अधिक दिए जाने का प्रावधान है. इसके साथ अदालतो की सिफारिश राज्य सरकार मुआवजा अपने अनुसार बढ़ा भी सकती है.
— एसिड अटैक से पीड़ित होने पर तीन लाख रुपये
— दुष्कर्म से पीड़ित होने पर तीन लाख रुपये
—नाबालिक से यौन शोषण के मामले में दो लाख रुपये
— मानव तस्करी से बचने के बाद पुनर्वास पर 2 लाख
— यौन हमला दुष्कर्म के अलावा 50 हजार रुपये
— स्थायी विकलांग होने की स्थिति में 2 लाख रुपये
— आंशिक विकलांगता की स्थिति में 1 लाख रुपये
— पीड़ित की मृत्यु होने की स्थिति में 2 लाख रुपये
— भ्रूण की हानि होने पर 1.5 लाख रुपये