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BNSS Section 218: आप नेता सत्येन्द्र जैन के खिलाफ गृह मंत्रालय की कार्रवाई, मुकदमा चलाने को लेकर राष्ट्रपति को चिट्ठी

गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि वे दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र कुमार जैन के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस, 2023) की धारा 218 के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति दें.

Home ministry, AAP Leader satyendra Jain

Written by Satyam Kumar |Published : February 14, 2025 2:48 PM IST

केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी है. चिट्ठी में राष्ट्रपति से अनुरोध किया गया है कि वे दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री व आम आदमी पार्टी के नेता सत्येन्द्र कुमार जैन के खिलाफ मुकदमा चलाने के आदेश दें. चिट्ठी, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS, 2023) की धार 218 के तहत मुकदमा चलाने के इजाजत देने की मांग की है, जो पब्लिक सर्वेंट के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सरकार की इजाजत लेने की बात कहती है.

सत्येन्द्र जैन के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग

गृह मंत्रालय भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत न्यायालय में मामला चलाने हेतु अभियोजन संस्वीकृति के लिए राष्ट्रपति से अनुरोध किया है. चिट्ठी में कहा गया है कि प्रवर्तन निदेशालय से प्राप्‍त सामग्री के आधार पर सत्येन्द्र कुमार जैन के विरुद्ध इस मामले में अभियोजन चलाने के लिए संस्‍वीकृति देने हेतु पर्याप्‍त साक्ष्‍य पाए गए है अत: उनके विरूद्ध न्यायालय में मामला चलाने हेतु अभियोजन संस्वीकृति दें.

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED ने दायर की चार्जशीट

आप नेता सत्येन्द्र जैन के खिलाफ गृह मंत्रालय ने मुकदमा चलाने की इजाजत मांगी है. आय से अधिक संपत्ति का मामला सत्येन्द्र जैन के खिलाफ साल 2017 में दर्ज किया गया था. इस मामले में पहले सीबीआई ने कार्रवाई करते हुए आरोप पत्र दायर किया था. आरोप पत्र में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने दावा किया कि 2018 में सत्येन्द्र जैन की संपत्ति 1.47 करोड़ रूपये थी, जो कि पिछले वर्षों की आय की तुलना में 217 प्रतिशत अधिक रही. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आप नेता को स्वास्थ्य आधार पर जमानत दी थी, जिसे समय-समय पर बढ़ाया गया.

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सीबीआई के बाद इस मामले में ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा दर्ज किया. अब ईडी ने इस मामले में आरोप पत्र (Chargesheet) दायर की है, जिसे लेकर सत्येन्द्र जैन के खिलाफ अभियोजन चलाने के लिए गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति से इजाजत देने की मांग की है.

बीएनएसएस की धारा 218 क्या है?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 218 में न्यायाधीशों, मजिस्ट्रेटों और लोक सेवक (Public Servant) की सुरक्षा के लिए विशेष प्रावधान हैं. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 218 का उद्देश्य न्यायिक और प्रशासनिक अधिकारियों को सुरक्षा प्रदान करना है, जिससे वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन स्वतंत्रता से कर सकें. यह प्रावधान न केवल उनके अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि जब कोई अपराध होता है, तो उसके खिलाफ उचित और निष्पक्ष कार्रवाई की जा सके. साथ ही यह प्रावधान इस बात को सुनिश्चित करते हैं कि जब कोई व्यक्ति अपने आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन करते समय किसी अपराध का आरोपित होता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही तभी की जा सकती है जब सरकार की पूर्व अनुमति प्राप्त हो. यह सुरक्षा व्यवस्था न्यायिक स्वतंत्रता और प्रशासनिक निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है.

बीएनएसएस की धारा 218(1) के तहत, यदि कोई न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट अपने आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन करते समय किसी अपराध का आरोपित होता है, तो उस पर कानूनी कार्यवाही केवल सरकार की पूर्व अनुमति से ही की जा सकती है. यह प्रावधान इस बात को सुनिश्चित करता है कि न्यायिक अधिकारियों को अपनी कार्यशैली में स्वतंत्रता मिले, जिससे वे बिना किसी भय के अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें.

यदि कोई अपराध उस समय किया गया जब राज्य में अनुच्छेद 356 के तहत कोई प्रावधान लागू था, तो उस स्थिति में केंद्रीय सरकार यानि राष्ट्रपति की अनुमति आवश्यक होगी. अनुच्छेद 218(5) में यह स्पष्ट किया गया है कि किस प्रकार का अपराध और किस प्रकार की कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाएगी, यह सरकार द्वारा निर्धारित किया जाएगा.