मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से बड़ी टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने प्रवतर्न निदेशालय (ED) से पूछा कि मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में बंद व्यक्ति को साल भर जेल में रखने जैसा कोई प्रावधान है क्या. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कई मौकों पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच एजेंसी की कठोर कार्रवाई पर रोक लगाई है, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ईडी को आरोपी को उन डॉक्यूमेंट्स की जानकारी देनी पड़ेगी जिनका इस्तेमाल वे मुकदमे में उनके खिलाफ नहीं कर रहे हैं.
पीएमएलए मामले में आरोपी अनवर ढेबर की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे की शुरू होने की संभावना निकट भविष्य में नहीं है, क्योंकि मामले में गवाहों की संख्या बहुत अधिक है. मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा बिजनेसमैन पर जिस अपराध का आरोप लगाया गया है, उसकी अधिकतम सजा सात साल है. इसके साथ ही, अदालत ने कहा कि ढेबर के खिलाफ चल रहे मामले की सुनवाई जल्दी शुरू होने की संभावना नहीं है.
सुनवाई के दौरान ईडी ने अनुरोध किया कि ढेबर को जमानत पर रिहा न किया जाए. उन्होंने कहा कि धेबर को अगस्त में गिरफ्तार किया गया था और उनकी हिरासत में एक साल भी पूरा नहीं हुआ है. ईडी के वकील ने यह भी कहा कि सर्वोच्च न्यायालय विभिन्न मामलों में एक साल की हिरासत मानदंड का पालन कर रहा है और इसे धेबर के मामले में भी लागू किया जाना चाहिए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई नियम नहीं है कि मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी को जमानत देने से पहले उसे एक साल जेल में बिताना होगा.
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों में जमानत प्रक्रिया को लेकर महत्वपूर्ण है. यह स्पष्ट करता है कि जमानत पाने के लिए एक निश्चित समय सीमा नहीं होनी चाहिए और प्रत्येक मामले पर उनकी अपनी परिस्थितियों के अनुसार विचार किया जाना चाहिए.
ईडी के वकील ने यह भी कहा कि आरोपी राजनीतिक रूप से जुड़े हुए हैं और एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं. उनका जमानत पर रिहा होना मामले की सुनवाई को प्रभावित कर सकता है. हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि trial court को आरोपी को एक सप्ताह के भीतर रिहा करने का आदेश दिया गया है, जो विशेष अदालत द्वारा तय की गई शर्तों के अनुसार होगा.
बिजनेसमैन अनवर ढेबर, कांग्रेस नेता और रायपुर के मेयर अइजाज ढेबर के भाई हैं. वे मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पहले व्यक्ति हैं जिन्हें आयकर विभाग की चार्जशीट के आधार पर गिरफ्तार किया गया. इस चार्जशीट में आरोप लगाया गया है कि छत्तीसगढ़ और कुछ अन्य राज्यों में शराब व्यापार में कर चोरियों और अनियमितताओं के कारण 2,161 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार का हुआ. वहीं, ईडी ने आरोप लगाया है कि इस घोटाले में वरिष्ठ नौकरशाहों, राजनेताओं, उनके सहयोगियों और राज्य आबकारी विभाग के अधिकारियों का एक सिंडिकेट शामिल है. यह मामला 2019 से चल रहा है और इस घोटाले से राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ है.