IIT-NEET एस्पिरेंट के सुसाइड की घटना पर Supreme Court ने लिया संज्ञान, FIR पर मांगी रिपोर्ट
आईआईटी खड़गपुर के 22 वर्षीय छात्र और कोटा में एक नाबालिग NEET एस्पिरेंट के आत्महत्या की घटना पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने FIR की रिपोर्ट मांगा है.
आईआईटी खड़गपुर के 22 वर्षीय छात्र और कोटा में एक नाबालिग NEET एस्पिरेंट के आत्महत्या की घटना पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने FIR की रिपोर्ट मांगा है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पारिवारिक झगड़े या तनावपूर्ण रिश्ते भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत दोषसिद्धि के लिए पर्याप्त नहीं हैं. इसके लिए आत्महत्या के लिए उकसाने का स्पष्ट और सीधा सबूत होना आवश्यक है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आईटी इंजीनियर मानव शर्मा के सुसाइड मामले में उसकी पत्नी और ससुराल वालों के खिलाफ दर्ज FIR में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई महिला, किसी को कहती है कि यदि वह अपने प्रेमी से शादी नहीं कर सकती तो उसे जीवित नहीं रहना चाहिए, तो यह भी उकसाने के स्तर पर नहीं आता. साथ ही अदालत ने महिला के खिलाफ आरोपों को साबित करने के लिए स्पष्ट सबूतों में कमी पाया है.
20 जनवरी के दिन सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिवादी पक्ष यानि निकिता सिंघानिया को अदालत के समक्ष पेश करने को कहा है.
आईटी कर्मचारी अतुल सुभाष की खुदकुशी मामले में पत्नी निकिता सिंघानिया ने FIR रद्द करने की याचिका केरल हाईकोर्ट में दायर की थी। अदालत ने इसे खारिज करते हुए कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने का आधार एफआईआर में मौजूद है। अतुल के परिवार ने अब हाईकोर्ट में अपील पर विचार करने की बात कही है।
बेंगलुरु के सिटी सिविल कोर्ट ने अतुल सुभाष की पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया और साले अनुराग सिंघानिया को जमानत दी है. यह निर्णय उस मामले की सुनवाई के बाद लिया गया जिसमें अतुल ने आत्महत्या करने से पहले अपने परिवार पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था.
सुशील सिंघानिया ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से मांग किया कि उनके खिलाफ मुकदमा दूसरे राज्य में हुआ है, उन्हें गिरफ्तारी से राहत देते हुए अदालत के समक्ष अपनी बात रखने का मौका दिया जाए. साथ ही उसने बहस के दौरान मीडिया ट्रायल पर भी सवाल उठाया.
अतुल सुभाष की पत्नी निकिता सिंघानिया को बेंगलुरू पुलिस ने गुरुग्राम से और मां निशा सिघांनिया समेत भाई अनुराग को प्रयागराज से गिरफ्तार किया है.
याचिका में एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या के मामले का हवाला देते हुए अदालत से मांग किया कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता मे एक कमेटी बनाई जाए जो दहेज व घरेलू हिंसा से जुड़े कानूनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए अपने सुझाव दे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी को आत्महत्या के लिए उकसाने के अपराध में दोषी ठहराने के लिए केवल उत्पीड़न पर्याप्त नहीं है और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उकसाने के स्पष्ट सबूत होने चाहिए.
अदालत सुसाइड को सबूत के तौर पर स्वीकृति देने को लेकर कई बिंदुओं विचार करती है, पहला यह कि अदालत यह मानती है कि आखिरी वक्त में कोई मनुष्य गलत नहीं लिख सकता है. वहीं, अदालत सुसाइड नोट में लिखे बातों पर संदेह उत्पन्न होने की स्थिति में, उसकी पुष्टि के लिए, अभयोजन पक्ष को सबूत रखने को कह सकती है.
बेंगलुरू पुलिस ने बीएनएस की धारा 108 और धारा 3(5) के तहत मुकदमा दर्ज किया है. बीएनएस की धारा 108 आत्महत्या के लिए उकसाने से जुड़ा मामला है, वहीं धारा 3(5) समान इरादे से कई लोगों के द्वारा किए गए अपराध से जुड़ा है. बीएनएस की धारा 3(5) किसी आपराधिक कार्य को कई व्यक्तियों द्वारा सामान्य इरादे के तहत किया जाए, तो संबंधित सभी व्यक्तियों को जिम्मेदार ठहराती है.
भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 108 के सुसाइड के लिए उकसाने को अपराध घोषित करती है. इस मामले में दोषी पाए जाने पर आरोपी को दस साल जेल की सजा और जुर्माना लगाये जाने का प्रवाधान है.
भाई की शिकायत पर पुलिस ने एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की पत्नी एवं उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 108 और धारा 3(5) के तहत केस दर्ज किया है.
केरल की एक अदालत ने पूर्व एडीएम नवीन बाबू की आत्महत्या के मामले में सीपीआई(एम) नेता पीपी दिव्या को जमानत दे दी है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अलग रह रहे पति को आत्महत्या के लिए उकसाने की आरोपी पत्नी और उसके कथित प्रेमी को यह कहते हुए अग्रिम जमानत दे दी कि मामले में प्रत्यक्ष रूप से उकसाया या भड़काया नहीं गया था
दहेज उत्पीड़न और आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पति के पौरूष की जांच कराने का आदेश दिया है.
आईआईटी खड़गपुर के 22 वर्षीय छात्र और कोटा में एक नाबालिग NEET एस्पिरेंट के आत्महत्या की घटना पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने FIR की रिपोर्ट मांगा है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आईटी इंजीनियर मानव शर्मा के सुसाइड मामले में उसकी पत्नी और ससुराल वालों के खिलाफ दर्ज FIR में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई महिला, किसी को कहती है कि यदि वह अपने प्रेमी से शादी नहीं कर सकती तो उसे जीवित नहीं रहना चाहिए, तो यह भी उकसाने के स्तर पर नहीं आता. साथ ही अदालत ने महिला के खिलाफ आरोपों को साबित करने के लिए स्पष्ट सबूतों में कमी पाया है.
20 जनवरी के दिन सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिवादी पक्ष यानि निकिता सिंघानिया को अदालत के समक्ष पेश करने को कहा है.
बेंगलुरु के सिटी सिविल कोर्ट ने अतुल सुभाष की पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया और साले अनुराग सिंघानिया को जमानत दी है. यह निर्णय उस मामले की सुनवाई के बाद लिया गया जिसमें अतुल ने आत्महत्या करने से पहले अपने परिवार पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था.
सुशील सिंघानिया ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से मांग किया कि उनके खिलाफ मुकदमा दूसरे राज्य में हुआ है, उन्हें गिरफ्तारी से राहत देते हुए अदालत के समक्ष अपनी बात रखने का मौका दिया जाए. साथ ही उसने बहस के दौरान मीडिया ट्रायल पर भी सवाल उठाया.
अतुल सुभाष की पत्नी निकिता सिंघानिया को बेंगलुरू पुलिस ने गुरुग्राम से और मां निशा सिघांनिया समेत भाई अनुराग को प्रयागराज से गिरफ्तार किया है.
याचिका में एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या के मामले का हवाला देते हुए अदालत से मांग किया कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता मे एक कमेटी बनाई जाए जो दहेज व घरेलू हिंसा से जुड़े कानूनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए अपने सुझाव दे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी को आत्महत्या के लिए उकसाने के अपराध में दोषी ठहराने के लिए केवल उत्पीड़न पर्याप्त नहीं है और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उकसाने के स्पष्ट सबूत होने चाहिए.
भाई की शिकायत पर पुलिस ने एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की पत्नी एवं उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 108 और धारा 3(5) के तहत केस दर्ज किया है.
केरल की एक अदालत ने पूर्व एडीएम नवीन बाबू की आत्महत्या के मामले में सीपीआई(एम) नेता पीपी दिव्या को जमानत दे दी है.
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दहेज उत्पीड़न और आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पति के पौरूष की जांच कराने का आदेश दिया है.
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सोमवार की रात को एक वकील ने साकेत कोर्ट में अपने चैंबर से कूदकर आत्महत्या कर ली और घटनास्थल से एक सुसाइड नोट भी मिला है. इस मामले में पुलिस ने अपनी जांच शुरू कर दी है..
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अदालत सुसाइड को सबूत के तौर पर स्वीकृति देने को लेकर कई बिंदुओं विचार करती है, पहला यह कि अदालत यह मानती है कि आखिरी वक्त में कोई मनुष्य गलत नहीं लिख सकता है. वहीं, अदालत सुसाइड नोट में लिखे बातों पर संदेह उत्पन्न होने की स्थिति में, उसकी पुष्टि के लिए, अभयोजन पक्ष को सबूत रखने को कह सकती है.