Criminal Case Against Teacher: हाल ही में गुजरात उच्च न्यायालय ने एक शिक्षक एवं स्कूल के ट्रस्टी को राहत दी हैं. उच्च न्यायालय ने इनके खिलाफ छात्र को आत्महत्या के लिए उकसाने के लगे आरोपों को खारिज किया है. न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, शिक्षक, स्कूल ट्रस्ट के खिलाफ लगाए गए ये आरोप रिकार्ड पर रखे गए साक्ष्यों के आधार पर स्पष्ट नहीं होते हैं. बता दें कि शिक्षक के ऊपर आरोप लगा कि उन्होंने छात्र की पिटाई की, उसे अपमानित किया, जिसके चलते उसने आत्महत्या करने पर विवश हुआ. अब गुजरात हाईकोर्ट ने शिक्षक और स्कूल के ट्रस्टी के खिलाफ मुकदमे को खारिज किया है. [ये मामला चंद्रेश वसंतभाई मलानी बनाम गुजरात राज्य है]
छात्र की आत्महत्या से जुड़े इस मामले को जस्टिस दिव्येश जोशी की एकल-पीठ के सामने पेश किया गया. जस्टिस ने मौजूद साक्ष्यों की विवेचना करते हुए कहा कि ऐसे साक्ष्य का अभाव है जिससे आरोपी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला सिद्ध हो.
बेंच ने कहा,
“…उकसाने की कार्रवाई में इतनी तीव्रता होनी चाहिए कि इसका उद्देश्य व्यक्ति को ऐसी स्थिति में धकेलना हो, जहां उसके पास आत्महत्या करने के अलावा कोई विकल्प न हो.”
बेंच ने आगे कहा,
"वर्तमान मामले में, एफआईआर और गवाहों के बयानों को सही मानते हुए, यह निष्कर्ष निकालना असंभव है कि आवेदकों ने मृतक को तथाकथित अपमान के माध्यम से आत्महत्या करने के लिए उकसाया है.”
न्यायालय ने छात्र की मौत की घटना को दुखद बताया एवं सांत्वना जताते हुए कहा, यह दुखद है. एक छात्र ने अपनी जान गंवा दी. उसके मां को असहनीय पीड़ा से गुजरना पड़ रहा है.
बेंच ने कहा,
"लेकिन जैसा कि जियो वर्गीस (सुप्रा) के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने देखा, न्यायालय की सहानुभूति और शिकायतकर्ता (छात्र की मां) का दर्द और पीड़ा कानूनी रेमेडीज में तब्दील नहीं हो सकती."
22 जनवरी, 2016 के दिन बारहवी के एक छात्र ने आत्महत्या कर लिया. घटना के कुछ दिनों के बाद, छात्र के सहपाठियों ने उसकी मां को जानकारी दी. सहपाठियों ने बताया, उसकी आत्महत्या से पहले स्कूल में कुछ घटना हुई थी कि स्कूल के कुछ छात्रों ने स्कूल के ट्रस्टी से शिकायत की, कि वर्तमान फैकल्टी की तुलना में पुराने शिक्षक सही थे. इस शिकायत के चलते शिक्षक ने छात्र की पिटाई की, उसे डराते हुए कहा कि आने वाले दिनों में भी उसकी पिटाई जारी रहेगी.
हालांकि, छात्र ने शिक्षक से पिटाई के कारणों को जानना चाहा. तब शिक्षक ने छात्र को ट्रस्टी के पास भेज दिया, साथ ही उसे क्लास से बाहर रहने को भी कहा. छात्र को छुट्टी होने तक स्कूल परिसर में ही रहने को कहा गया. अगले दिन भी, उसे क्लास के बाहर रखा गया. चार घंटे बाद, उसे बताया गया कि उसके इन हरकतों की जानकारी उसके पेरैंट्स को दे दी गई है.
उक्त घटना के कुछ दिनों बाद ही छात्र ने आत्महत्या कर ली थी. अब सुनवाई के बाद गुजरात हाईकोर्ट ने शिक्षक और ट्रस्टी के खिलाफ इस मामले को रद्द करने का आदेश दिया है.