गुजरात हाई कोर्ट में हाल ही में हुई एक घटना ने वकीलों और जज के बीच के संबंधों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. 17 जनवरी के दिन, न्यायालय ने वकील ब्रजेश त्रिवेदी द्वारा पेश की गई अपमानजनक हरकतों की निंदा की. इस घटना के बाद, वरिष्ठ वकीलों का एक समूह चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल से मिला और संस्थान की गरिमा बनाए रखने के लिए पहल की.
घटना 17 जनवरी के दिन की है, चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल ने कहा कि वकील ब्रजेश त्रिवेदी, जो गुजरात हाई कोर्ट बार काउंसिल के निर्वाचित अध्यक्ष हैं, ने न्यायालय से 'बहस करने' की कोशिश की. इस पर बार काउंसिल के प्रेसिडेंट ब्रजेश त्रिवेदी ने सुनवाई कर रही हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से कहा कि जजों को भी वकीलों को बोलने देना चाहिए. वहीं, चीफ जस्टिस ने कहा कि वकीलों को पूरा सवाल सुनने पर ही जबाव देना चाहिए. अदालत के सामने पेश हुए सीनियर एडवोकेट व बार प्रेसिडेंट ने 2011 के जनहित याचिका के मामले में सुनवाई को स्थगित करने का अनुरोध किया, जिसे अदालत ने अस्वीकार कर दिया.
इस घटना को लेकर एडवोकेट जनरल सहित बार के सीनियर एडवोकेट जज के सामने पहुंचे. एडवोकेट जनरल कमल त्रिवेदी ने न्यायालय में कहा कि "संस्थान की गरिमा और शिष्टाचार को किसी भी कीमत पर बनाए रखा जाना चाहिए." उन्होंने आगे कहा कि न्यायालय और अधिवक्ताओं के बीच एक सहयोगपूर्ण वातावरण की आवश्यकता है. इसके लिए वकीलों के बीच आपसी सम्मान और समन्वय होना जरूरी है जिससे न्याय प्रणाली का अपमान न हो और यह सुचारू रूप से चल सके. कमल त्रिवेदी ने यह भी कहा कि यह एक प्रतिष्ठित संस्थान है जिसकी 60 साल से अधिक की एक समृद्ध परंपरा है. इस प्रकार की घटनाएं इस संस्थान की गरिमा को प्रभावित कर सकती हैं. उन्होंने यह भी कहा कि वकीलों को न्यायालय का अपमान नहीं करना चाहिए और न ही उन्हें अनावश्यक रूप से नीचा दिखाना चाहिए.
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सभी प्रयास किए जाने चाहिए ताकि इस तरह की घटनाएँ पुनः न हों। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि सभी वकील न्यायालय की गरिमा को समझें और उसकी रक्षा करें. वहीं, इस मामले पर संपर्क करने पर, वकील ब्रजेश त्रिवेदी ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि मामला न्यायालय में है.
(खबर पीटीआई इनपुट से है)