हाल ही में गुजरात हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को एक नोटिस जारी करते हुए दिव्यांग कर्मचारियों के प्रमोशन में 4% आरक्षण लागू नहीं करने के फैसले पर स्पष्टीकरण की मांग की है. याचिका में 34 दिव्यांग कर्मचारियों ने गुजरात सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों के अधिनियम, 2016 के अनुसार उचित नीति नहीं बनाई है. साथ ही उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार के सामने 26 बार अपनी मांगें रखने के बावजूद कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है.
जस्टिस अनिरुद्ध पी. मये ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह अगले सुनवाई की तारीख से पहले एक हलफनामा दाखिल करे. यह आदेश तब आया जब याचिका में उल्लेख किया गया कि केंद्र सरकार ने 28 दिसंबर, 2023 और 17 मई, 2022 को दिशा-निर्देश जारी किए थे. याचिका में कहा गया है कि गुजरात राज्य ने अब तक इस दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया है. दिव्यांगता आयुक्त की अदालत ने 25 जून, 2024 को सामान्य प्रशासन विभाग को इस दिशा में कदम उठाने की सिफारिश की थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
गुजरात सरकार के 34 दिव्यांग कर्मचारियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है जिसमें कहा गया है कि राज्य प्रशासन ने केंद्र के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग द्वारा 28 दिसंबर 2023 और 17 मई 2022 को जारी कार्यालय ज्ञापन के अनुसार कोई नीति नहीं बनाई है. याचिका में कहा गया है कि विभाग ने गुजरात सरकार को सक्षम कर्मचारियों के लिए पदोन्नति में 4 प्रतिशत आरक्षण के लिए एक राज्य नीति बनाने और उसे लागू करने का निर्देश दिया था, जो कि 2016 के विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम (RPD) के प्रावधानों के अनुसार है.
याचिका में सुप्रीम कोर्ट के दो मामलों और विभिन्न निर्देशों का उल्लेख किया गया है जो SC ने केंद्र और राज्य सरकारों को RPD अधिनियम की धारा 33 के प्रावधानों का पालन करने के लिए दिए थे. याचिका में कहा गया है कि हालांकि, गुजरात राज्य द्वारा अब तक कोई ऐसी नीति लागू नहीं की गई है, इसके बावजूद कई बार प्रतिनिधित्व किए गए हैं.
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि 2021 से 2024 के बीच उन्होंने सरकार के सामने 26 बार नीति बनाने के लिए अनुरोध किया, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला. 25 जून 2024 को विकलांगता आयुक्त की अदालत ने सामान्य प्रशासन विभाग को भारत सरकार के कार्यालय ज्ञापन को लागू करने की सिफारिश की थी, लेकिन अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है.
(खबर पीटीआई इनपुट से है)