गुजरात हाईकोर्ट ने पूर्व सैनिक की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर गुजरात सरकार और पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी किया है, जिसमें पूर्व सैनिक ने दावा किया है कि उसकी बेटी, घर से सोना और नकदी लेकर इस्कॉन के पुजारियों के साथ चली गई हैं और अब उसे उत्तर प्रदेश में कहीं बंदी बनाकर रखा गया है. याचिकाकर्ता ने अपनी बेटी को हाजिर कराने की मांग को लेकर दावा किया कि उसने इस घटना की शिकायत कई बार पुलिस से की, लेकिन कोई उचित कदम नहीं उठाया है. गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और पुलिस अधिकारियों से 9 जनवरी तक जवाब देने को कहा है.
जस्टिस संगीता विशेन और जस्टिस संजीव ठाकर की पीठ ने मंगलवार को सरकार, अहमदाबाद पुलिस आयुक्त, मेघानीनगर पुलिस थाने के निरीक्षक और अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) के पुजारियों के अलावा नौ अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर नौ जनवरी तक जवाब मांगा है. बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका एक कानूनी उपाय है, जिसमें किसी लापता व्यक्ति या अवैध रूप से हिरासत में लिए गए व्यक्ति को पेश करने का निर्देश मांगा जाता है.
याचिकाकर्ता पूर्व सैनिक हैं. उन्होंने दावा किया कि अहमदाबाद शहर में एसजी राजमार्ग पर स्थित इस्कॉन मंदिर के कुछ पुजारियों ने उसकी वयस्क बेटी को गुमराह किया, जिसके बाद वह 27 जुलाई, 2024 को उनके (याचिकाकर्ता के) घर से 230 ग्राम सोना और 3,62,000 रुपये की नकदी लेकर उनमें से एक के साथ चली गई. उन्होंने आरोप लगाया कि याचिका में नामित पुजारी उनकी बेटी को नियमित रूप से मादक पदार्थ देते थे और उसे उत्तर प्रदेश के मथुरा में कहीं अवैध रूप से बंधक बनाकर रखा गया है. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि बार-बार शिकायत किये जाने के बावजूद पुलिस अधिकारियों ने पुजारियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं की. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि पुलिस ने उसे ढूंढने के लिए कोई उचित कार्रवाई नहीं की है.
(खबर PTI भाषा से है)