Abetment of Suicide Case: बुधवार के दिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मानव शर्मा को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में उसकी पत्नी और ससुराल वालों के खिलाफ दर्ज FIR में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की पीठ ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि FIR की जांच के बाद कहा कि इसमें संज्ञान लेने योग्य अपराध का संकेत मिलता है, इसलिए हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है. मानव शर्मा के ससुराल के खिलाफ FIR 28 फरवरी को सदर बाजार पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी, जिसमें मृतक की पत्नी, उसके माता-पिता और भाई-बहनों पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि FIR का अवलोकन करने के बाद कहा, "प्रथम दृष्टतया, यह मामला संज्ञानीय अपराध को आकर्षित करता है." वहीं, FIR रद्द की मांग को लेकर याचिकाकर्ताओं के वकील ने अदालत में कहा कि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है और उन्हें दुर्भावनापूर्ण इरादे से फंसाया गया है. उन्होंने कहा कि आरोप "अत्यधिक असंभव और अविश्वसनीय" हैं, इसलिए FIR को रद्द किया जाना चाहिए, साथ ही गिरफ्तारी से भी राहत दी जानी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट के हरियाणा राज्य बनाम भजन लाल मामले में दिए गए फैसले को आधार बनाते हुए, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि FIR में हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं है. अदालत ने इस प्रकार, याचिका को खारिज कर दिया गया है, लेकिन याचिकाकर्ता को सक्षम न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन करने की राहत दी है.
मानव शर्मा एक आईटी कंपनी में प्रबंधक थे और उनकी शादी जनवरी 2024 में निकिता शर्मा से हुई थी. मानव शर्मा ने 24 फरवरी को आगरा के डिफेंस कॉलोनी में आत्महत्या की थी. यह FIR 28 फरवरी को सदर बाजार पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी, जिसमें मानव की पत्नी निकिता, उसके माता-पिता और भाई-बहनों पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया है.