सहमति के बाद भी नाबालिग पत्नी के साथ 'शारीरिक संबंध' बनाना Rape
बॉम्बे हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता (पति) को POCSO Act के तहत मिले सजा को बरकरार रखते हुए कहा कि नाबालिग पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार (Rape) है, चाहे इसमें उसकी सहमति हो.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता (पति) को POCSO Act के तहत मिले सजा को बरकरार रखते हुए कहा कि नाबालिग पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार (Rape) है, चाहे इसमें उसकी सहमति हो.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अलग रह रहे पति को आत्महत्या के लिए उकसाने की आरोपी पत्नी और उसके कथित प्रेमी को यह कहते हुए अग्रिम जमानत दे दी कि मामले में प्रत्यक्ष रूप से उकसाया या भड़काया नहीं गया था
दहेज उत्पीड़न और आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पति के पौरूष की जांच कराने का आदेश दिया है.
तलाक मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि दंपत्ति छह साल से अलग रह रहे हैं और उनके रिश्ते में बहुत गिरावट आ चुकी है, जिसमें सुधार होना मुश्किल है.
याचिकाकर्ता (पति) ने पत्नी पर ट्रांसजेंडर होने का आरोपों पर राहत देने से इंकार करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति के खिलाफ कोई रिट नहीं हो सकती.
दिल्ली हाईकोर्ट ने पत्नी के साथ क्रूरता का मामले को रद्द करने की मांग वाली पति की याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह मामला अमीर लोगों द्वारा कानून का उल्लंघन करने का एक उदाहरण है.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति के खिलाफ दहेज के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि प्राथमिकी में साक्ष्य दहेज उत्पीड़न के दावों का समर्थन नहीं करते हैं. मामले में मुख्य विवाद दंपति के यौन संबंधों से संबंधित असहमतियों से जुड़े हैं.
लिव-इन-रिलेशनशिप से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि दहेज हत्या के मामले में आरोपी बनाने के लिए ये दिखाना पर्याप्त है कि महिला और पुरूष उस समय पति-पत्नी के तौर पर साथ रह रहे थे.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने की मांग वाली याचिकाओं का विरोध किया है.
तलाक देने से पहले अदालत कुछ कारणों पर विचार करती है, जो हिंदू विवाह अधिनियम के द्वारा तय किए गए है और कपल को तलाक लेने के कारण को सही पाते हैं.
तलाक की मांग को लेकर फैमिली कोर्ट में आए दंपत्ति को जब जज नीलिमा सिंह ने सात फेरों के सात वचन पढ़ने को दिया तो दोनों भावुक हो गए और तलाक की मांग वापस लेते हुए साथ रहने को राजी हो गए.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि पति का दूसरी महिला को घर में रखना और उससे बच्चा होना पत्नी के साथ घरेलु हिंसा है. साथ ही ऐसी स्थिति में पत्नी का अपना वैवाहिक घर छोड़ना उसे गुजारा भत्ता से वंचिक करने का आधार हीं हो सकता है.
हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अनुसार पति-पत्नी दोनों को गुजारा भत्ता पाने का हक है. वहीं कुछ परिस्थितियों के बारे में भी बताया गया है जब पत्नी को पति से गुजारा भत्ता पाने का अधिकार नहीं होगा.
हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अनुसार पति भी अपनी पत्नी से गुजारा भत्ता की मांग कर सकते हैं. आइये जानते हैं कि वे परिस्थितियां कौन सी है जब पत्नी पति से गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है.
वैवाहिक रिश्ते को समाप्त करने के लिए तलाक लेने की प्रक्रिया है. सहमति से तलाक पाने के लिए पति-पत्नी दोनों में से किसी एक को परिवारिक न्यायालय (Family Court) में वाद दायर करनी होती है.
दिल्ली की एक अदालत ने घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत अंतरिम भरण-पोषण के लिए एक महिला के अनुरोध को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि वह खुद का भरण-पोषण करने में सक्षम है.
बेटी की तलाक होने के दो साल बाद पिता ने उसके पिछले ससुराल वालों से स्त्रीधन की मांग करते हुए दहेज रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि ‘स्त्रीधन’ केवल महिलाओं का है, और उसका इस पर पूर्ण स्वामित्व है. अपने पुराने फैसले को आधार बनाते हुए सु्प्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत ने पुष्टि की कि एक महिला का अपने ‘स्त्रीधन’ पर पूरा अधिकार है और इस पर न तो उसके पति और न ही उसके पिता को उसकी स्पष्ट अनुमति के बिना इस पर कोई अधिकार है.
30 साल पुराने Dowry Death Case में सुप्रीम कोर्ट ने अपीलकर्ता Husband से पूछा कि जब आप दोनों एक ही कमरे में सो रहे थे, Wife कैसे जल गई और आप आग से कैसे बच गए. Supreme Court ने कहा कि आरोपी पक्ष दहेज हत्या के लगे आरोपों को झूठा साबित करने में असफल रहा.
पश्चिम बंगाल की एक कोर्ट से घर में सब्जियों लगातार खराब होने से नाराज पति ने पत्नी से तलाक मांगा है.
अपने पति के आर्थिक हालात पर लगातार ताने देने को तलाक का आधार मानते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने एक पत्नी की याचिका खारिज कर दिया. जानें क्या था पूरा मामला...
एक हाउसवाइफ के अधिकारों को लेकर कोई अलग से कानून तो नहीं है लेकिन मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में एक मामले में हाउसवाइफ की मेहनत और योगदान को अहमियत देते हुए एक फैसला सुनाया है
मुस्लिम विवाह अधिनियम 1939 के अनुसार, पति या पत्नी एक दूसरे को तलाक दे सकते है. इसका ज्यादातर इस्तेमाल तब किया जा सकता है जब पति और पत्नी को लगता है कि वे एक साथ नहीं रह सकते है, तो वे अदालत में इस अधिनियम के तहत तलाक के लिए याचिका दायर कर सकते हैं.