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Dowry Death Case: जब एक ही कमरे दोनों थे, पत्नी जल गई तो आप कैसे बच गए? सजा बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पति ने पूछा

सांकेतिक चित्र

30 साल पुराने Dowry Death Case में सुप्रीम कोर्ट ने अपीलकर्ता Husband से पूछा कि जब आप दोनों एक ही कमरे में सो रहे थे, Wife कैसे जल गई और आप आग से कैसे बच गए. Supreme Court ने कहा कि आरोपी पक्ष दहेज हत्या के लगे आरोपों को झूठा साबित करने में असफल रहा.

Written by Satyam Kumar |Updated : August 26, 2024 2:36 PM IST

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने 30 साल पुराने दहेज मामले में पति की सजा को बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने अपीलकर्ता(पति) से पूछा कि जब आप दोनों एक ही कमरे में सो रहे थे, पत्नी कैसे जल गई और आप आग से कैसे बच गए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी पक्ष दहेज हत्या के लगे आरोपों को झूठा साबित करने में असफल रहा. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है जहां इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को तेरह साल जेल की सजा सुनाई थी.

जब एक ही कमरे में सो रहे थे दोनों तो पति कैसे बच गय, जबकि पत्नी की जलने से मौत हो गई: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय करोल की बेंच ने पति की याचिका खारिज करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष ने अपना आरोप सिद्ध कर दिया है. वहीं, आरोपी पक्ष अभियोजन पक्ष के दावे को गलत साबित करने में असफल रहा. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि पीड़िता की मृत्यु उत्पीड़न और क्रूरता के कारण हुई है और ये घटना उसकी मृत्यु शादी के सात साल के भीतर ही हुई है, जो दहेज उत्पीड़न के मामले को दिखाता है (दहेज मामले में सात साल का समय एक महत्वपूर्ण समय-सीमा है, जिसके अंदर पत्नी की मौत होने पर दहेज के चलते हत्या की संभावना उत्पन्न होती है).

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 

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"जब अभियोजन पक्ष ने अपना दायित्व पूरा कर लिया और ऐसे तथ्य साबित कर दिए, तो साक्ष्य अधिनियम की धारा 113 बी के प्रावधानों के अनुसार यह साबित करने का भार अपीलकर्ता पर था कि यह घटना दहेज हत्या नहीं थी, साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 भी प्रथम अपीलकर्ता-पति पर यह दायित्व डालती है कि वह पत्नी के साथ एक ही कमरे में सोए, लेकिन वह बच गया और उसे यह बताना चाहिए कि पत्नी की मृत्यु कैसे हुई, क्योंकि यह उक्त धारा के अर्थ में विशेष ज्ञान के अंतर्गत था."

विशेष ज्ञान का अर्थ आग लगने की घटना, घटना शुरू होने के क्रम में होने वाली गतिविधि की जानकारी पति को छोड़कर किसके पास होगी.

पूरा मामला क्या है?

1 सितंबर 1994. घटना उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले की है, जहां एक महिला की लाश अपने ससुराल में पूरी तरह जली हुई मिलती है. ससुरालवालों द्वारा आनन-फानन में महिला का अंतिम संस्कार उसी दिन कर दिया जाता है. महिला की शादी 1988 में हुई थी और 1992 से वह अपने पति के साथ रहने लगी थी. लगभग 20 अक्टूबर 1994 के दिन घटना की प्राथमिकी दर्ज कराई जाती है. शुरूआती सुनवाई में पति को ट्रायल कोर्ट द्वारा बरी कर दिया जाता है. राज्य ने हाईकोर्ट में ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी, हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए तेरह साल जेल की सजा सुनाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है.