'सेकुलरिज्म और समाजवाद' को संविधान की प्रस्तावना से हटाने की मांग पर SC ने सुरक्षित रखा फैसला, जानें बहस के दौरान की अहम दलीलें
संविधान की प्रस्तावना से सेकुलरिज्म और सोशलिज्म हटाने की मांग याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सोमवार को सुनाएगा.
संविधान की प्रस्तावना से सेकुलरिज्म और सोशलिज्म हटाने की मांग याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सोमवार को सुनाएगा.
केरल हाईकोर्ट ने पुलिस की अंतिम रिपोर्ट को खारिज करते हुए मंत्री साजी चेरियन के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं. केरल के मत्स्य मंत्री पर संविधान का अपमान करने के कथित आरोप लगे हैं.
संविधान का आर्टिकल 39ए नागरिकों को समान न्याय और मुफ्त कानूनी सहायता देने के बारे में बताता है. यह अनुच्छेद राज्य को यह सुनिश्चित करने को देश के सभी नागरिकों न्याय पाने के लिए समान अवसर मिले, साथ ही राज्य उन योजनाओं लागू करें, जिससे लोगों को निःशुल्क कानूनी सहायता मिले.
शराबबंदी के उद्देश्य को लेकर पटना हाईकोर्ट ने आर्टिकल 47 का जिक्र किया, जो कि संविधान के चौथे भाग 'राज्य के नीति निदेशक तत्व' में आता है. इस आर्टिकल में मिले निर्देशों के अनुसार राज्य सरकार को नशीली पेय और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक दवाइयों को बैन करने का अधिकार है.
विधायी कानून, वैसे कानून को कहा जाता है जो विधानसभा या संसद के पारित किए जाते हैं. मदरसा एक्ट, 2004 यूपी विधानसभा से पारित किया गया था, जो मदरसा शिक्षा को रेगुलेट करने के लिए बनाया गया था.
Secularism और Socialist को संविधान की प्रस्तावना से हटाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 'धर्मनिरपेक्ष' और 'समाजवाद' संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा रहे हैं.
लेडी ऑफ जस्टिस की हाथ में तलवार की जगह संविधान की किताब दी गई है. सीजेआई ने इसे लेकर बताया कि देश में न्याय संविधान के अनुसार होता है ना कि हिंसक तरीके से, तलवार को हिंसा के नजरिए से भी देखा जाता था.
सोनम का कहना है कि लद्दाख की 97% से अधिक की आबादी आदिवासी है, जिसे लेकर इसे संविधान की छठवीं अनुसूची में शामिल कर जनजातीय क्षेत्र घोषित करने की मांग है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि मनपसंद व्यक्ति से शादी करना संवैधानिक अधिकार है और इसे किसी भी तरह से कमजोर नहीं किया जा सकता.
भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 बलात्कार के अपराध की व्याख्या करती है. साथ ही बीएनएस की धारा 63 किन परिस्थितियों में किसी महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार माना जाएगा की पुष्टि करती है.
संविधान के अनुच्छेद 341 राष्ट्रपति किसी जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर सकती है.
हमारे संविधान में देश के नागरिकों के लिए मौलिक अधिकार के साथ कुछ मौलिक कर्तव्य भी दिए गए हैं जिसका देश के नागरिकों के लिए पालन करना बेहद अनिवार्य है. आइये जानते हैं....
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्म प्रचार के लिए आयोजित सभा में धर्म परिवर्तन आयोजन कराने पर आपत्ति जताई है. अदालत ने कहा कि अगर इन आयोजनों पर उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो देश की बहुसंख्यक आबादी एक दिन माइनॉरिटी बन जाएगी. अदालत ने इस दौरान आर्टिकल 25 का जिक्र किया है.
4 जून को नतीजे आने के बाद, नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में 18वीं लोकसभा का गठन होने जा रहा है. 18वीं लोकभा का गठन की शुरूआत करने को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलेंगे.
आर्टिकल 21 भारतीय संविधान के भाग III में मौलिक अधिकारों के अंतर्गत आता है. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21, जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार देता है. यह अधिकार राज्य और निजी व्यक्तियों के खिलाफ भी लागू होता है.
हाल ही में जर्मन संविधान 'बेसिक लॉ' ने अपनी 75वीं वर्षगाठ मनाई है. 23 मई, 1949 को जर्मन की संसद ने इसे अपनाया था. इसी दिन पश्चिमी जर्मनी की अधिकारिक तौर पर स्थापना भी हुई थी.
प्रधानमंत्री ने भी अपने रैलियों में जमकर इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा, कि संविधान को पूरी तरह बदलना संभव नहीं है. कांग्रेस ने भी 'संविधान बचाओ' पहल को चला रही है. तो आइये पहले संविधान में संशोधन के नियम समझ लेते हैं.
क्या आपकी निजी संपत्ति को लेकर सरकार दूसरों को दे सकती है. क्या निजी संपत्ति को संविधान के 39(बी) के तहत 'समुदाय के भौतिक संसाधनों' का अंग माना जा सकता है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में नौ जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है.
कोर्ट ने कहा कि हिंदुओं को भी अपने धर्म को स्वतंत्र रूप से मानने और अभ्यास करने और अपने अभ्यास के तरीके में हस्तक्षेप किए बिना अपने धर्म का प्रचार करने का मौलिक अधिकार है.
Court ने कहा कि शिक्षा का अधिकार RTE Act और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21A के तहत मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार केवल 6 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद ही उपलब्ध है.
मद्रास हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएस पुट्टास्वामी (सेवानिवृत्त) ने आधार योजना की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी। उन्होंने तर्क दिया कि यह योजना निजता के अधिकार का उल्लंघन करती है।
बीमार कपड़ा उपक्रम (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम, 1974 के तहत , संसद द्वारा पारित किया गया था। इसकी स्थापना व्यापक सार्वजनिक हित के लक्ष्य को पूरा करने के लिए की गई थी, जिसका मतलब कपड़ा कंपनी की खराब संपत्तियों का पुनर्निर्माण और एक व्यवहार्य समाधान का विकास करना था ।
ओल्गा टेलिस बनाम बॉम्बे नगर निगम के मामले में महाराष्ट्र राज्य और बॉम्बे म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने फुटपाथ पर रहने वालों और बॉम्बे में मलिन बस्तियों में रहने वालों को बेदखल करने का फैसला किया।
संविधान द्वारा पहले बनी ऐसी विधियां उस सीमा तक वैध नहीं होती हैं जिस सीमा तक वे मूल अधिकारों से असंगत होती है, ऐसी विधियां आरंभ से ही शून्य अथवा अवैध नहीं होती अपितु वे मूल अधिकारों द्वारा आच्छादित हो जाती है ऐसी विधियां मृत प्राय नहीं होकर सुषुप्त अवस्था में रहती हैं.
संविधान को अपनाए जाने के बाद से कई दशकों के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने हमेशा प्रेस के अधिकारों की सुरक्षा और उसकि स्वतंत्रता को संरक्षित करने का काम किया है और इस संबंध में कई ऐतिहासिक फैसले कोर्ट के गंभीर प्रयास के प्रमाण हैं।
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 के अध्याय 19 में मजिस्ट्रेटों के द्वारा विचारण सम्बन्धी प्रावधानों को तीन भागों में विभाजित किया गया है, पहला सेशन कोर्ट द्वारा विचारण, दूसरा वारंट मामलों पर और तीसरा समन मामलों पर विचारण किया जाता है।
उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति और उनकी सेवानिवृत्ति की एक प्रक्रिया है। न्यायाधीश को अगर अपने कार्यकाल के पूरे होने से पहले इस्तीफा देना, तो उसका प्रोसेस क्या है? संविधान इस बारे में क्या कहता है, आइए जानते हैं...
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने हाल ही में एक मामले में फैसला सुनाया है कि किसी भी जाति को सिर्फ संविधान के अनुच्छेद 341 के जरिए 'अनुसूचित जाति' की लिस्ट में शामिल किया जा सकता है, यह अधिकार जिला स्तरीय जाति छानबीन समिति के पास नहीं है। जानिए पूरा मामला..
ऊपरी अदालतों में अपना पक्ष रखने के लिए मामले के पक्षकारों को अपील का सहारा लेना होता है । आखिर क्या होती है ये अपील, ये कब और किन परिस्थितियों मे दायर की जाती है आइये जानते है विस्तार से ।
जम्मू कश्मीर के स्पेशल स्टेटस को केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में निरस्त कर दिया था और इस फैसले को जहां लोगों ने सपोर्ट किया है, वहीं इसका विरोध भी हुआ। केंद्र के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय में आज से शुरू हुई है. जानें क्या था पूरा मामला.
भारतीय संविधान में संशोधन किस तरह किया जा सकता है और इसमें पहला संशोधन कब और क्यों किया गया था, आइए जानते हैं...
संसद का मॉनसून सत्र जारी है और लोक सभा में विपक्ष ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव जारी किया है जिसपर अगले हफ्ते चर्चा होगा। अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) क्या होता है, यह किन परिस्थितियों में पेश किया जाता है, आइये जानते हैं.
देश के तीन स्तंभों में न्यायपालिका और विधायिका शामिल हैं; इन दोनों संस्थानों के बीच 'सेपरेशन ऑफ पावर्स' के संतुलन को भारतीय संविधान किस तरह बरकरार रखता है और क्या ऐसा कोई मामला सामने आया है जब हस्तक्षेप जरूरी हो गया हो? आइए जानते हैं..
संविधान में 86वें संशोधन अधिनियम 2002 में यह कहा गया है कि राज्य कानून बनाकर 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का प्रबंघ करेगा।
देश के सर्वोच्च न्यायालय का फैसला सर्वोपरि है जिसे कोई चुनौती नहीं दे सकता है और जाहिर सी बात है कि ये एक अत्यंत शक्तिशाली संस्था है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को क्या विशेषाधिकार दिए गए हैं, आइए जानते हैं...
दिल्ली सेवा अध्यादेश के मामले में केंद्र के खिलाफ दायर दिल्ली सरकार की याचिका को उच्चतम न्यायालय ने संविधान पीठ को भेजने का फैसला किया है। सुनवाई में क्या हुआ और इस मामले में क्या निर्देश दिया गया है, जानिए...